हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) भारत का एक राज्य है जो उत्तरी भाग में स्थित है (State of India). यह जिला जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों और उत्तर में लद्दाख और पश्चिम में पंजाब राज्यों, दक्षिण-पश्चिम में हरियाणा, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखंड और उत्तर के साथ सीमा साझा करता है. राज्य पूर्व में, चीन में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ एक अंतरराष्ट्रीय सीमा भी साझा करता है (Himachal Pradesh Geographical Location). हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'भगवान की भूमि' (Himachal Pradesh, Land of God).
हिमाचल प्रदेश की कुल क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किमी है (Himachal Pradesh Area) और इसकी जनसंख्या है 6,864,602 है (Himachal Pradesh Population). हिंदी हिमाचल प्रदेश की आधिकारिक भाषा है और संस्कृत राज्य की अतिरिक्त राजभाषा है (Himachal Pradesh Language).
हिमाचल प्रदेश में 4 लोकसभा सीट, 3 राज्यसभा सीट और 68 विधानसभा क्षेत्र हैं (Himachal Pradesh Constituencies).
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था और विकास में एक प्रमुख योगदानकर्ता है. हिमालय दुनिया के सभी पर्यटकों को आकर्षित करता है. शिमला, मनाली, धर्मशाला, डलहौजी और कसौली जैसे हिल स्टेशन घरेलू और विदेशी दोनों पर्यटकों के लिए लोकप्रिय गंतव्य हैं. राज्य में प्रमुख मंदिरों के साथ कई महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल भी हैं जहां श्रद्धालुओं का अवागमन लगा रहता है (Himachal Pradesh Tourism).
हिमाचल प्रदेश उन राज्यों में से एक है जो भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) में स्थित है, जो दुनिया में जैविक विविधता के सबसे समृद्ध जलाशयों में से एक है. हिमाचल प्रदेश में लगभग 463 पक्षी हैं, और ट्रैगोपन मेलानोसेफालस हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी है. 77 स्तनधारी, 44 सरीसृप और 80 मछली प्रजातियां यहां पाई जाती हैं. हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में पांच राष्ट्रीय उद्यान हैं (Himachal Pradesh Flora and Fauna).
देश के कई राज्यों में बाढ़ और बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. राजस्थान के सीकर में सड़कों पर पानी भर गया है, जिससे लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है. महिला की कार पानी में डूब गई और उसे ट्रैक्टर से रेस्क्यू किया गया. बच्चे नाव चलाकर खेल रहे हैं और बाजार बंद हैं. महाराष्ट्र के नागपुर में तीन दिन की बारिश से शहर दरिया बन गया है, सड़कें जलमग्न हैं और घरों में पानी घुस गया है. देखें विशेष.
ये मानसून नहीं आसां बस इतना समझ लीजिए...आज हिंदुस्तान के किसी भी कोने में रहने वाले आम इंसान को जिगर मुरादाबादी के इन अल्फाज़ों को अपने जिगर में बसा लेना चाहिए...क्योंकि पहाड़ों पर बादल फटें तो वो कुदरती तबाही हो सकती है...पहाड़ों पर फ्लैश फ्लड आ जाए वो भी कुदरती तबाही हो सकती है लेकिन कुदरती तबाही में दर्जनों लापता हो जाएं ये कुदरती नहीं हो सकता.
बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा मंडी के थुनाग पहुंचे. उन्होंने थुनाग के मुख्य बाजार का दौरा किया और नुकसान का जायजा लिया. इस दौरान यह देखा गया कि कितना नुकसान हुआ है और कितने घर प्रभावित हुए हैं.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुक्खू मंडी पहुंचे और आपदा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया. उन्होंने बताया कि मंडी में सड़क संपर्क टूट गया था और राशन पहुंचाने में दिक्कतें आईं. पीडब्ल्यूडी विभाग, प्रशासनिक अधिकारियों, सेना, एनडीआरएफ और आईटीबीपी की मदद से युद्ध स्तर पर सड़कों को जोड़ा गया.
मौसम इस साल भारत में अलग-अलग रंग दिखा रहा है. मानसून के आने के बाद से जो तबाही पहाड़ी और मैदानी इलाकों में देखने को मिल रही है. वो पिछले सालों के मुकाबले कहीं ज्यादा है. मौसम विभाग ने वैसे तो पहले ही एलान कर दिया था कि इस साल मानसून औसत से ज्यादा बारिश लेकर आएगा.
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा हिमाचल प्रदेश के मंडी पहुंचे. उनके साथ हिमाचल के भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मौजूद रहे. जे पी नड्डा का यह दौरा हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के लिए विशेष है, जहां पिछले आठ दिनों से लगातार बारिश, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाओं के कारण भारी क्षति हुई है.
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमाचल के मंडी पहुंचे. यहां उन्होंने मंडी में हुए नुकसान और मौजूदा हालात का जायजा लिया. हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री और हिमाचल भाजपा अध्यक्ष भी इस दौरान मौजूद रहें.
मंडी में बीते दिनों आई फ्लैश फ्लड और भूस्खलन की घटनाओं से पूरा शहर मुसीबतों के दौर से गुजर रहा है. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मंडी पहुंचे और बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की. उन्होंने पीड़ितों का हालचाल जाना और उनकी आपबीती सुनी। कई लोगों के घर बह गए हैं और उनके परिजन लापता बताए जा रहे हैं.
यूपी समेत देश के कई राज्यों में आसमान से आफत बरस रही है. मानसून की बारिश से शहर दर शहर नदी नाले उफान पर हैं. कुछ शहरों में तो सड़क पर ही सैलाब आ गया. झांसी, सागर, मंडला, रायसेन, भंडारा, नैनीताल हर जगह मूसलाधार बरसात हुई है.
मंडी में पिछले आठ दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन बड़े स्तर पर चल रहा है, लेकिन हालात में बहुत सुधार नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री जयराम रमेश ने बताया कि पिछले कल भी वे लगभग 18 किलोमीटर पैदल चलकर लोगों के बीच गए थे और आज भी उनका लगभग आठ किलोमीटर का टूर था, लेकिन रात को भारी बारिश के कारण रास्ता चलने लायक नहीं रहा.
पिछले 24 घंटों से हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में हो रही मूसलाधार बारिश ने सामान्य जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है और टोंस, यमुना और गिरि नदियां उफान पर हैं. जिला प्रशासन ने लोगों को नदियों, नालों और नालों के नज़दीक न जाने की चेतावनी दी है.
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सियाथी गांव में एक पालतू कुत्ते 'रॉकी' ने 63 लोगों की जान बचा ली. रॉकी की वजह से 22 परिवार के लोग सही सलामत हैं. ये कहानी आपका दिल छू लेगी.
हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के कारण 16 दिनों में 80 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 128 नागरिक घायल हुए हैं और 38 लोग अब भी लापता हैं. 235 रास्ते अभी भी बंद हैं. इस आपदा के 6 दिन बाद मंडी की सांसद कंगना रानौत जब अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचीं, तो स्थानीय लोगों की नाराजगी के बीच उन्होंने कहा कि 'मेरे पास कोई कैबिनेट का पद तो है नहीं.'
Uttarakhand और Himachal में बारिश क्यों मचा रही इतना ज्यादा कोहराम? जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह.
भारत के दो वर्षा क्षेत्र—उष्णकटिबंधीय मानसून और सवाना जलवायु—हरियाली और तबाही दोनों लाते हैं. मानसून कृषि और जैव-विविधता को बढ़ावा देता है, लेकिन बाढ़ और भूस्खलन भी लाता है. जुलाई 2025 में हिमाचल प्रदेश में अचानक आई बाढ़ ने भारी नुकसान किया. जलवायु परिवर्तन ने चरम मौसमी घटनाओं को बढ़ाया, जिससे बेहतर प्रबंधन और नीतियों की जरूरत है.
कंगना ने कहा, 'बीजेपी हर तरह से अग्रसर है, फील्ड पर है. सिर्फ मैं नहीं, कई कार्यकर्ता यहां पर हैं. यहां के मुख्यमंत्री की तरफ से कुछ भी नहीं हो रहा है. अपनी काली करतूतों को छिपाने के लिए उनके पास एक ही फेमस नाम है- कंगना, कंगना करते रहते हैं. मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की भी जवाबदेही होनी चाहिए.'
देश के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में इन दिनों भारी तबाही मची हुई है. पहाड़ों पर भूस्खलन और मैदानी क्षेत्रों में नदी-नालों का उफान संकट का कारण बन गया है. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में स्थिति गंभीर है, जहां लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मानसून की आफत के बीच बादल फटने की घटनाओं ने सैलाब ला दिया है.
भारत के पहाड़ी राज्यों में मानसून ने भारी तबाही मचाई है. भारी बारिश के कारण कई इलाकों में सैलाब आ गया है. पहाड़ों पर भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं, जिससे रास्ते बंद हो गए हैं और घरों को नुकसान पहुंचा है. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में स्थिति गंभीर बनी हुई है.
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मनाली-रोहतांग मार्ग पर रानी नाला के पास एक कार गहरी खाई में गिर गई. हादसे में चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुआ है. हादसा रविवार को हुआ जब एक अल्टो कार अचानक सड़क से फिसलकर खाई में जा गिरी. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हादसे पर गहरा शोक जताया है.
भारी बारिश के बीच हिमाचल प्रदेश में सैलाब ने कई इलाकों में आफत ला दी है. पहाड़ों से लेकर मैदान तक तबाही मची हुई है. पहाड़ों पर भूस्खलन से संकट है, घर क्षतिग्रस्त हो रहे हैं. मैदानी इलाकों में नदी-नाले उफान पर हैं. कई जगहों पर बादल फटने से मलबा ही मलबा नजर आ रहा है.
हिमाचल प्रदेश के मंडी में आई आपदा ने एक शिक्षक दंपति का जीवनभर की मेहनत और भविष्य का सपना छीन लिया. थुनाग बाजार के रहने वाले शिक्षक और उनकी पत्नी ने प्लॉट खरीदने के लिए 30 लाख रुपये एकत्र किए थे, लेकिन 30 जून की रात आई बाढ़ में उनका घर और उसमें रखा वह ट्रंक भी बह गया, जिसमें पूरी जमा पूंजी और गहने रखे थे.