असम के 126 सीट के लिए मार्च-अप्रैल 2026 को विधानसभा चुनाव होना है (Assam Assembly Election 2026). यह चुनाव न केवल राज्य के राजनीतिक भविष्य को तय करेगा, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है. असम में सभी विधानसभा सीटो पर जनता अगले पांच वर्षों के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी.
वर्ष 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की थी. हेमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में बनी सरकार ने कई जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं, जिनमें “असम आयुष्मान” योजना, महिला सशक्तिकरण के कार्यक्रम और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास शामिल रहे.
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस, और क्षेत्रीय दल जैसे AIUDF और असम गण परिषद (AGP) ने भी जनता से जुड़े मुद्दों को उठाते हुए सरकार की नीतियों पर लगातार सवाल उठाए हैं.
असम कांग्रेस प्रमुख गौरव गोगोई ने चुनाव आयोग से मांग की है कि असम, केरल, तमिलनाडु, बंगाल और पुडुचेरी में चुनाव से पहले मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट लागू की जाए. उनका आरोप है कि मैनुअल वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की गुंजाइश ज्यादा है.
असम कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गोगोई ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग द्वारा निर्वाचक नामावली के विशेष संशोधन के निर्देश BJP को वोट की चोरी के माध्यम से सरकार बनाने में मदद कर सकते हैं. गोगोई ने कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा अपनी कुर्सी बचाने के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश से BJP के मतदाताओं को लाकर उनके नाम असम की मतदाता सूची में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्णिया रैली में घुसपैठियों का मुद्दा उठाया और कहा कि बिहार में एक भी घुसपैठिया नहीं रहने दिया जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से साफ हो गया है कि ये अभियान असम और पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी की चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी है.
असम विधानसभा चुनाव 2026 की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की सियासी अदावत जगजाहिर है. सीएम हिमंता ने एक समय राहुल गांधी को गिरफ्तार कर जेल भेजने की चुनौती दी थी तो अब राहुल गांधी ने भी हिमंता को जेल भेजने का ऐलान करके असम की सियासी तपिश को बढ़ा दिया है.