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सीतामढ़ी लोकसभा सीट: गठबंधन बदलने से क्या बदलेगा समीकरण?

बिहार के तिरहुत प्रमंडल में पड़ने वाला सीतामढ़ी क्षेत्र नक्सल प्रभावित है और माओवादी रेड कॉरिडोर का हिस्सा होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है. ये बिहार का बड़ा सियासी केंद्र भी है.

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सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन (Photo Source- Railway)
सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन (Photo Source- Railway)

सीतामढ़ी बिहार के तिरहुत प्रमंडल में स्थित जिला है. यह मिथिला क्षेत्र का प्रमुख शहर है जो पौराणिक आख्यानों में सीता की जन्मस्थली के रूप में उल्लिखित है. यह शहर लखनदेई नदी के तट पर स्थित है. 1908 में यह मुजफ्फरपुर जिले का हिस्सा बना. 1972 में मुजफ्फरपुर से अलग होकर यह स्वतंत्र जिला बना. बिहार के उत्तरी गंगा के मैदान में स्थित यह जिला नेपाल की सीमा पर होने के कारण संवेदनशील है. बज्जिका यहां की बोली है लेकिन हिंदी और उर्दू राजकाज की भाषा और शिक्षा का माध्यम है.

सीतामढ़ी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 2014 के चुनाव में एनडीए की जीत हुई और आरएलएसपी के राम कुमार शर्मा कुशवाहा सांसद बने. 2014 में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी बीजेपी के साथ थी. 2019 में आरएलएसपी आरजेडी-कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल हो गई. सीतामढ़ी क्षेत्र नक्सल प्रभावित है और माओवादी रेड कॉरिडोर का हिस्सा होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

आजादी के बाद 1957 में सीतामढ़ी सीट पर जब पहली बार चुनाव हुए तो यहां से जीतकर आचार्य जे. बी. कृपलानी पीएसपी के टिकट पर लोकसभा गए. इसके बाद के तीन चुनावों 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर नागेंद्र प्रसाद यादव जीतकर लोकसभा गए. 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनावों में यहां से कांग्रेस की जीत का सिलसिला टूटा और जनता पार्टी के नेता श्याम सुंदर दास जीतकर लोकसभा के सदस्य बने.

1980 के चुनाव में सीतामढ़ी सीट से इंडियन नेशनल कांग्रेस(URS) के बलिराम भगत लोकसभा चुनाव जीते. 1984 में कांग्रेस के राम श्रेष्ठ खिरहार चुनाव जीते. 1989 में इस सीट से जनता दल के हुकुमदेव नारायण यादव ने जीत का परचम लहराया. 1991 और 1996 के चुनाव में यहां से जनता दल के नवल किशोर राय लोकसभा के लिए चुने गए. 1998 के चुनाव में आरजेडी के सीताराम यादव जीते.

1999 के अटल लहर वाले चुनाव में ये सीट बीजेपी की सहयोगी जेडी-यू को चली गई. जेडीयू के टिकट पर नवल किशोर राय ने इस सीट से चुनाव जीता. 2004 में जब केंद्र में यूपीए जीती तो यहां से भी आरजेडी के सीताराम यादव ने चुनावी परचम लहराया. 2009 के चुनाव में जेडीयू के अर्जुन राय ने इस सीट का सियासी समीकरण अपने पक्ष में साधा और लोकसभा पहुंचे. 2014 के मोदी लहर में एनडीए के सहयोगी दल आरएलएसपी के टिकट पर राम कुमार शर्मा कुशवाहा ने यहां से जीत का परचम लहराया.

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सीतामढ़ी सीट का समीकरण

सीतामढ़ी लोकसभा सीट के वोटर लगातार बदलावों को पसंद करने वाले हैं. इस इलाके में पिछले कुछ चुनावों में नवल किशोर राय काफी लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित हुए. इस इलाके से वे तीन बार सांसद चुने गए. सीतामढ़ी संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 1,355,817 है. इसमें से 636,956 महिला वोटर हैं जबकि 718,861 पुरुष वोटर हैं.

विधानसभा सीटों का समीकरण

इस संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- सीतामढ़ी, रुन्नी सैदपुर, बाजपट्टी, रीगा, बथनाहा, परिहार और सुरसंड. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से बीजेपी और आरजेडी को 2-2 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. जबकि 1-1 सीट जेडीयू और कांग्रेस के खाते में गई.

2014 चुनाव का जनादेश

16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए चुनाव में सीतामढ़ी से एनडीए के सहयोगी के रूप में आरएलएसपी के राम कुमार शर्मा कुशवाहा विजयी रहे थे. उन्हें 411265 वोट मिले. और उन्होंने आरजेडी के सीताराम यादव को शिकस्त दी. सीताराम यादव को 263300 वोट मिले. वहीं तीसरे नंबर पर रहे जेडीयू के अर्जुन राय. इस चुनाव में अर्जुन राय को 411265 वोट मिले.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

सीतामढ़ी सीट से सांसद राम कुमार शर्मा कुशवाहा का जन्म 8 जनवरी 1964 को सीतामढ़ी में हुआ था. उन्होंने 2014 का चुनाव आरएलएसपी के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की. उन्होंने सांसद निधि से आवंटित पैसे को इलाके के विकास के लिए खर्च करने में 100 फीसदी का आंकड़ा पूरा किया है. संसदीय कार्यवाही में भी वे काफी सक्रिय रहते हैं. 16वीं लोकसभा के दौरान राम कुमार शर्मा कुशवाहा ने 25 बहसों में हिस्सा लिया. जबकि 189 सवाल पूछे.

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