Indian Penal Code: अगर कोई इंसान किसी के बहकावे में आकर (Being deceived) या उकसाने (Provoking) पर किसी को संगीन नुकसान पहुंचाता है और उस वक्त उसे इस काम के लिए उकसाने वाला भी वहां मौजूद होता है, तो वह भी अपराध का भागीदार होगा. इसे ही भारतीय दंड संहिता की धारा 114 (Section 114) में परिभाषित किया गया है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 114 इस बारे में क्या बताती है?
आईपीसी की धारा 114 (Indian Penal Code Section 114)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 114 (Section 114) के मुताबिक अपराध (Offence) किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति (Presence of an abettor) एक अपराध माना गया है और इसके लिए IPC की धारा 114 में दण्ड का प्रावधान (Provision of punishment) किया गया है. धारा 114 के अनुसार, जब कभी कोई व्यक्ति जो अनुपस्थित होने पर दुष्प्रेरक के नाते दण्डनीय (Punishable as abettor) होता. उस समय उपस्थित हो जब वह कार्य या अपराध किया जाए जिसके लिए वह दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप दण्डनीय होता, तब यह समझा जाएगा कि उसने ऐसा कार्य या अपराध किया है.
इसे भी पढ़ें--- IPC Section 113: उकसाने पर किसी की जान लेने वाले की सजा बताती है IPC धारा 113
क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.