नोबेल पुरस्कार की सीरीज में आज भौतिकी का पुरस्कार घोषित हो गया. 2025 का नोबेल पुरस्कार फिजिक्स अमेरिका के जॉन क्लार्क, मिशेल एच. डेवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस को दिया गया है. यह सम्मान 'इलेक्ट्रिक सर्किट में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और एनर्जी क्वांटाइजेशन' की खोज के लिए है. यह खोज क्वांटम कंप्यूटिंग और सुपरकंडक्टिंग सर्किट्स को नई दिशा देगी. स्टॉकहोम के रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने घोषणा की.
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ये तीनों अमेरिकी वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने 1980-90 के दशक में क्वांटम मैकेनिक्स को इलेक्ट्रॉनिक्स से जोड़ा.
ये वैज्ञानिक अलग-अलग लैब्स में काम कर रहे थे, लेकिन उनकी खोजें एक-दूसरे से जुड़ीं. नोबेल समिति ने कहा कि उनकी खोज ने क्वांटम प्रभाव को रोजमर्रा के सर्किट्स में ला दिया.
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— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 7, 2025
The Royal Swedish Academy of Sciences has decided to award the 2025 #NobelPrize in Physics to John Clarke, Michel H. Devoret and John M. Martinis “for the discovery of macroscopic quantum mechanical tunnelling and energy quantisation in an electric circuit.” pic.twitter.com/XkDUKWbHpz
क्वांटम मैकेनिक्स छोटे कणों (इलेक्ट्रॉन) का विज्ञान है, जहां चीजें अजीब तरीके से व्यवहार करती हैं – जैसे टनलिंग (दीवार से गुजरना) या एनर्जी का क्वांटाइजेशन (ऊर्जा का छोटे पैकेट्स में बंटना). विजेताओं ने दिखाया कि ये प्रभाव बड़े स्तर (मैक्रोस्कोपिक) पर भी इलेक्ट्रिक सर्किट्स में हो सकते हैं.
कल्पना कीजिए एक सर्किट जो बर्फ की तरह ठंडा हो (सुपरकंडक्टिंग) और इलेक्ट्रॉन दीवार से 'जादू' से गुजर जाते हैं. यह पुराना विचार था, लेकिन इन वैज्ञानिकों ने इसे साबित किया.
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यह खोज भौतिकी को बदल देगी. पहले क्वांटम प्रभाव सिर्फ परमाणु स्तर पर होते थे, लेकिन अब सर्किट्स में – यानी कंप्यूटर्स, सेंसर और मेडिकल डिवाइसेज में.
नोबेल समिति ने कहा कि यह खोज क्वांटम जानकारी को व्यावहारिक बनाती है. पुरस्कार राशि 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (करीब 8.5 करोड़ रुपये) तीनों में बंटेगी.
2025 का नोबेल भौतिकी पुरस्कार क्वांटम दुनिया को करीब लाता है. जॉन, मिशेल और जॉन की मेहनत से भविष्य बदलेगा. भारत में भी आईआईटी और आईएसआरओ क्वांटम पर काम कर रहे हैं. यह पुरस्कार दिखाता है कि छोटे विचार बड़ी क्रांति लाते हैं.