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बिहार के महायुद्ध में कांग्रेस ने तय किया अपना 'रणक्षेत्र'... सीमांचल पर नहीं करेगी समझौता!

कांग्रेस इस बार बिहार चुनाव में बहुत ही रणनीति के साथ फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही है. महागठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला भले ही तय न हुआ हो, लेकिन कांग्रेस ने अपने कोटे की सीटें तलाश ली है. कांग्रेस की नजर दलित और मुस्लिम बहुल सीटों पर है, जिसके लिए सीमांचल की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान है.

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बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की केमिस्ट्री (Photo-PTI)
बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की केमिस्ट्री (Photo-PTI)

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है. राहुल गांधी की 'वोट अधिकार यात्रा' के बाद कांग्रेस ने सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तैयार कर लिया है. आरजेडी के साथ सीट बंटवारे से पहले दिल्ली में बिहार कांग्रेस नेताओं ने पार्टी हाईकमान के साथ हुई बैठक में उन सीटों की फेहरिस्त रख दी है, जिन पर उसे चुनाव लड़ना है.

कांग्रेस के रणनीतिकारों ने बिहार में अपने कोटे वाली विधानसभा सीटों की तलाश कर ली है. कांग्रेस ने सम्मानजनक सीटों के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी की है, लेकिन सीटों के नंबर गेम में फंसने के बजाय जीत की गारंटी वाली सीटों पर ही चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है.

बिहार कांग्रेस नेताओं की दिल्ली में मंगलवार और बुधवार, दो दिन पार्टी नेतृत्व के साथ बैठक हुई. बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा सीट शेयरिंग के मुद्दे पर हुई. कांग्रेस का बिहार में एम-डी (मुस्लिम-दलित) समीकरण वाली सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान है. सीमांचल क्षेत्र की सीटों पर कांग्रेस कोई समझौता नहीं करेगी, लेकिन सवाल यह है कि क्या आरजेडी राजी होगी?

कांग्रेस का बिहार में सीट सेलेक्शन

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2020 में कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 19 सीटें जीतने में सफल रही. कांग्रेस अपने मौजूदा सभी विधायकों वाली सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इसके अलावा कांग्रेस ने उन सीटों का चयन किया है, जिन पर वह दूसरे नंबर पर रही है. कांग्रेस पिछली बार वाली कई सीटों पर चुनाव नहीं लड़ेगी, उनके बदले दूसरी सीटों का चयन किया है.

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कांग्रेस इस बार 70 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए राजी है. सीट शेयरिंग को लेकर बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्ण अल्लावरू ने कहा कि, हम मानते हैं कि गठबंधन में नए साथी आए हैं तो सभी को कंप्रोमाइज करना होगा, तभी नए साथी को मौका मिलेगा. हर प्रदेश में अच्छी और खराब सीटें होती हैं. बंटवारे में अच्छी और बुरी सीटों का ध्यान रखना चाहिए.

अल्लावरू ने कहा कि कांग्रेस ने अपनी सीटों की सूची राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को सौंप दी है. इस मुद्दे पर समन्वय समिति में चर्चा जारी है. उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा कि 15 सितंबर तक सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला हो जाएगा. कृष्णा अल्लावरू के बयानों से साफ है कि कांग्रेस सीट बंटवारे में लचीलापन दिखाने के मूड में है, लेकिन इस बार नंबर गेम में नहीं फंसना चाहती है.

नंबर के बजाय विनिंग सीट पर फोकस

कांग्रेस उन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जिस पर वो आसानी से जीत सके. इस बार कांग्रेस ने प्लान बनाया है कि वह आरजेडी की मर्जी की सीटों के बजाय अपनी पसंद की सीटें लेगी. पसंद की सीटें मिलने पर ही कुछ सीटों पर समझौता करेगी.

2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जो 70 सीटें आरजेडी ने दी थीं, उनमें 45 सीटें एनडीए के मजबूत गढ़ की सीटें थीं, जिन्हें कांग्रेस पिछले चार चुनावों में नहीं जीत सकी थी. यहां बीजेपी जीत रही थी या फिर उसके सहयोगी दल जेडीयू. कांग्रेस की सहयोगी आरजेडी भी इन सीटों पर लंबे समय से जीत नहीं सकी थी. इसके अलावा 23 सीटें ऐसी थीं, जिस पर कांग्रेस के विधायक थे. इस तरह से कांग्रेस को काफी मुश्किल भरी सीटें मिली थीं.

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वहीं, आरजेडी ने उन सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिस पर एम-वाई समीकरण मजबूत स्थिति में था. कांग्रेस इस बार 2020 के चुनाव वाली गलती नहीं दोहराना चाह रही है. कांग्रेस ने बिहार की उन सीटों का सेलेक्शन किया है, जहां पर उसके जीत की संभावना ज्यादा हो. कांग्रेस 70 के बजाय 55 से 60 सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है, लेकिन यह सीट के विनिंग फॉर्मूले वाली होने पर ही है.

 बिहार में डी-एम के भरोसे कांग्रेस

बिहार में कांग्रेस ने इस बार उन सीटों की तलाश की है, जो डी-एम (दलित-ंमुस्लिम) समीकरण और कांग्रेस के विरासत वाली रही है. 2024 के चुनाव में भी कांग्रेस को उन्हीं सीटों पर जीत मिली है, जहां दलित और मुस्लिम वोटर अहम रहे हैं. बिहार में कांग्रेस और आरजेडी का कोर वोटबैंक मुस्लिम है.

कांग्रेस ने अपना पूरा फोकस दलित-मुस्लिम वोटों पर ही कर रखा है, जिसके लिए दलित, मुस्लिम और यादव बहुल वाली सीटों की तलाश की है. इसी मद्देनजर कांग्रेस ने मुस्लिम बहुल सीमांचल और दलित बहुल वाले इलाके की सीटों का चयन किया है. इन सीटों पर कांग्रेस कोई समझौता करने के मूड में नहीं है.

सीमांचल पर कांग्रेस का नो कंप्रोमाइज

बिहार कांग्रेस के सभी सांसदों ने सीमांचल में ज्यादातर सीटों पर चुनाव लड़ने की डिमांड पार्टी हाईकमान के सामने रखी है. कांग्रेस के चार में से तीन सांसद सीमांचल क्षेत्र से हैं. कटिहार से तारिक अनवर, किशनगंज से डॉ. मो. जावेद और पूर्णिया से पप्पू यादव सांसद हैं. यही वजह है कि कांग्रेस खुद को सीमांचल इलाके में अपने आप को मजबूत मानकर चल रही है.

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मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने से भी सीमांचल का इलाका कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए मुफीद लग रहा है. इसीलिए कांग्रेस सीमांचल में खुद को मजबूत मानकर चल रही है और ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है. कांग्रेस सीमांचल में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़कर अपने सियासी वर्चस्व को पाना चाहती है. सीमांचल इलाके की 26 सीटों में से कांग्रेस ने 16 सीट पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है. इन सीटों पर कोई समझौता नहीं करेगी.

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