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'दीपू चंद्र पर झूठे आरोप लगाकर लिंचिंग की गई', तसलीमा नसरीन का बांग्लादेशी पुलिस पर आरोप

तसलीमा नसरीन कई वर्षों से भारत, पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में निर्वासन में रह रही हैं. कट्टरपंथियों को आहत करने वाली उनकी रचनाओं के कारण जान से मारने की धमकियों के बाद उनका बांग्लादेशी पासपोर्ट रद्द कर दिया गया था.बाद में उन्हें स्वीडन की नागरिकता दी गई.

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दीपू चंद्र दास की लिंचिंग पर तसलीमा नसरीन ने क्या कहा? (Photo: Reuters)
दीपू चंद्र दास की लिंचिंग पर तसलीमा नसरीन ने क्या कहा? (Photo: Reuters)

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमे दिख रहा है कि बांग्लादेश में जिस हिंदू शख्स दीपू चंद्र दास को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था. वह अपनी मौत से कुछ देर पहले उन लोगों से बात कर रहा है, जो पुलिस की वर्दी में हैं. इस वीडियो में दीपू नीले रंग की फुल स्लीव स्वेटशर्ट और ट्राउजर पहने है और वह अपनी बात समझाने की कोशिश कर रहा है. 

यह घटना ढाका से काफी दूर मयमनसिंह की है, जहां भारत विरोधी नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद हिंसक प्रदर्शन भड़के थे.  अब इस मामले पर बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने सोशल मीडिया पोस्ट पर इस पूरे घटनाक्रम को साझा करते हुए कहा कि दीपू दास की लिंचिंग में पुलिस की भूमिका हो सकती है. उन्होंने सवाल उठाया कि इस हत्या के दोषियों को आखिर न्याय के कटघरे में कौन लाएगा.

तसलीमा नसरीन ने अपने पोस्ट में लिखा कि दीपू दास मयमनसिंह के भालुका इलाके में एक फैक्ट्री में काम करता था और मजदूर था. उन्होंने बताया कि दास के एक मुस्लिम सहकर्मी ने किसी मामूली बात पर नाराज होकर सार्वजनिक रूप से दास पर पैगंबर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा दिया. इसी आरोप के बाद भीड़ ने दीपू पर हमला कर दिया.

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नसरीन के मुताबिक, पुलिस ने दीपू को भीड़ से बचाकर हिरासत में लिया था, यानी उस वक्त वह पुलिस संरक्षण में था. नसरीन ने कहा कि दीपू चंद्र दास ने पुलिस को बताया था कि वह निर्दोष है और यह आरोप उसके सहकर्मी की साजिश है, लेकिन पुलिस ने उस सहकर्मी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.

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तसलीमा नसरीन ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या पुलिस ने कट्टरपंथी सोच के चलते दीपू को फिर से भीड़ के हवाले कर दिया, या फिर क्या उग्रवादियों ने पुलिस को मात दे दी. उन्होंने कहा कि हमलावरों ने दीपू को सार्वजनिक रूप से पीटा, फांसी दी और फिर जला दिया.

नसरीन ने कहा कि दीपू चंद्र दास अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला था. उसकी कमाई से उसके विकलांग पिता, मां, पत्नी और बच्चे का गुजारा चलता था. अब उनका क्या होगा? उनके रिश्तेदारों की मदद कौन करेगा? इन पागल हत्यारों को न्याय के कटघरे में कौन लाएगा? दीपू का परिवार इतना सक्षम नहीं है कि हमलावरों से बचने के लिए भारत भाग सके.. उन्होंने कहा कि गरीबों के पास न तो कोई सहारा बचता है, न कोई देश और न ही कोई सुरक्षा.

तसलीमा नसरीन के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पूछा कि दीपू दास की लिंचिंग के जिम्मेदार लोगों को सजा देने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. थरूर ने इसे बांग्लादेश में फैल रहे भीड़तंत्र के बीच एक असहनीय त्रासदी बताया.

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थरूर ने कहा था कि बांग्लादेश में उफान पर चल रहे भीड़तंत्र के बीच यह एक असहनीय रूप से दुखद घटना है. इस गरीब हिंदू व्यक्ति की निर्मम हत्या पर शोक व्यक्त करते हुए मैं बांग्लादेश सरकार द्वारा की गई निंदा की सराहना करता हूं, लेकिन यह भी जानना चाहता हूं कि हत्यारों को सजा देने के लिए वे क्या कर रहे हैं और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए कौन-से कदम उठाए जा रहे हैं?

इस बीच, 20 दिसंबर को बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार ने बताया कि रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने इस मामले में सात संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. यह कार्रवाई उस घटना के दो दिन बाद हुई, जब मयमनसिंह के रहने वाले हिंदू युवक दीपू दास पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर भीड़ ने उन्हें पीट-पीटकर मार डाला था.

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