ढाका
ढाका (Dhaka) बांग्लादेश की राजधानी है (Capital of Bangladesh). यह बांग्लादेश का सबसे बड़ा शहर होने के साथ-साथ दुनिया का सबसे बड़ा बंगाली भाषी शहर भी है. यहां की आबादी 8.9 मिलियन है जो इसे दुनिया का आठवां सबसे बड़ा और छठा सबसे घनी आबादी वाला शहर बनाती है (Dhaka Population).
ढाका दक्षिण एशिया के प्रमुख शहरों में से एक है और एक प्रमुख वैश्विक मुस्लिम बहुल शहर है. बंगाल डेल्टा के हिस्से के रूप में, शहर बुरीगंगा नदी, तुराग नदी, ढलेश्वरी नदी और शीतलाक्ष्य नदी से घिरा है (Dhaka Geographical Location).
ढाका बांग्लादेश में राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन का केंद्र है. यह बांग्लादेश सरकार, कई बांग्लादेशी कंपनियों और प्रमुख बांग्लादेशी शैक्षिक, वैज्ञानिक, अनुसंधान और सांस्कृतिक संगठनों का केंद्र है. एक आधुनिक राजधानी शहर के रूप में अपनी स्थापना के बाद से इसकी जनसंख्या, क्षेत्र और ढाका की सामाजिक और आर्थिक विविधता में जबरदस्त वृद्धि हुई है. यह शहर अब देश के सबसे सघन औद्योगीकृत क्षेत्रों में से एक है. यह शहर बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का 35% हिस्सा है (Dhaka Economy).
बंगाली यहां की राष्ट्रीय भाषा है (Dhaka Language). यहा की साक्षरता दर 74.6% है (Dhaka Literacy).
ओल्ड ढाका क्षेत्र की अपनी अनूठी भोजन परंपरा है, जिसे ढाकाइट भोजन के रूप में जाना जाता है. यहां की
मोरोग पुलाव काफी प्रसिद्ध है, जो पारंपरिक बिरयानी से थोड़ा अलग है. ढाका की मटन कच्ची बिरयानी अत्यधिक लोकप्रिय है. ढाकाई बकरखानी पुराने ढाका के लोगों का पारंपरिक नाश्ता है (Dhaka Food).
बांग्लादेश के छात्र नेता उस्मान हादी को 12 दिसंबर को ढाका में बाइक सवार लोगों ने गोली मारी थी. उन्हें गंभीर हालत में इलाज के लिए बाद में सिंगापुर ले जाया गया था, जहां उनकी गुरुवार रात मौत हो गई. हादी की मौत की खबर से बांग्लादेश उबल पड़ा.
ढाका में उस्मान हादी की हत्या के बाद भड़की हिंसा में भीड़ ने प्रोथोम आलो और द डेली स्टार के दफ्तरों पर हमला किया. पत्रकार घंटों तक फंसे रहे. आरोप है कि राजनीतिक उकसावे और भारत विरोधी नैरेटिव के चलते स्वतंत्र मीडिया को निशाना बनाया गया.
अमेरिकी दूतावास ढाका की सुरक्षा चेतावनी से भारत सतर्क हो गया है. युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में बड़े प्रदर्शन की आशंका है, जो हिंसक हो सकते हैं. चटगांव में भारतीय उच्चायोग पर पत्थरबाजी हुई है. भारत अपने मिशनों को हाई अलर्ट पर रखते हुए स्थिति पर नजर बनाए हुए है.
पिछले हफ्ते 12 दिसंबर को ढाका में बाइक सवार नकाबपोश हमलावरों ने उस्मान हादी को गोली मारी थी. इस हमले का मुख्य आरोपी और कथित शूटर फैसल करीम है.
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से बांग्लादेश राजनीतिक शून्य में चला गया है. अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के पास न तो मजबूत जनादेश है, न ही प्रशासनिक पकड़. ऐसे हालात में बांग्लादेश में लगातार उथल-पुथल मची हुई है.
बांग्लादेश चुनाव से पहले एक बार फिर से अस्थिरता और हिंसा के दौर में जा चुका है. जुलाई आंदोलन के नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश जल रहा है. इस हिंसा में भारत को टारगेट किया जा रहा है. बांग्लादेश में भारत के 4 राजनियक ठिकाने बंद कर दिए गए हैं.
बांग्लादेश में इस समय राजनीतिक शून्य पैदा हुआ है. ढाका में ऐसा एक भी नेता नहीं है जो सही मायने में देश की जनता की आवाज होने का दावा कर सकता हो. ऐसी स्थिति में भारत के इस पड़ोसी देश में भारत विरोध और कट्टरपंथ बखूबी पनप रहा है.
Sharif Usman Hadi की मौत के बाद ढाका में हिंसा भड़क उठी। जानें Greater Bangladesh map विवाद, Bangladesh unrest, anti-India protests और चुनाव से पहले बने हालात की पूरी जानकारी.
बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले के भालुका में अपमानजनक टिप्पणी के आरोप पर उग्र भीड़ ने हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या कर दी. भीड़ ने शव घसीटा, हाईवे जाम किया, डिवाइडर पर लटकाया और आग लगा दी.
Usman Hadi की मौत के बाद Bangladesh में हिंसा और anti-India protests तेज. Awami League offices, Indian missions निशाने पर, चुनाव से पहले हालात बेकाबू.
बांग्लादेश में भारत विरोधी बयान देने वाले शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा और बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता ने भारत की चिंता बढ़ा दी है. ढाका में अखबारों के दफ्तर जलाने, अवामी लीग कार्यालय पर हमले और भारतीय उच्चायोग के घिराव के बीच कट्टरपंथी संगठनों की गतिविधियां फिर तेज होती दिख रही हैं.
बांग्लादेश के नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद ढाका में दंगाई खुले आम हिंसा को अंजाम दे रहे हैं. उपद्रवियों ने बांग्लादेश के दो प्रमुख अखबार 'द डेली स्टार' और 'प्रथम आलो' के दफ्तर को उस समय आग के हवाले कर दिया जब वहां दर्जनों पत्रकार काम कर रहे थे. इसके बाद वहां मौजूद पत्रकारों का एक एक पल मौत से लड़ते हुए गुजरा.
Dhaka violence के दौरान Daily Star और Prothom Alo के ऑफिस पर हमला. आग लगने से 28 journalists तीन घंटे छत पर फंसे, प्रेस सुरक्षा पर सवाल.
फरवरी में बांग्लादेश में आम चुनाव होंगे. इससे पहले वहां की पार्टियां भारत-विरोधी बयानबाजियां शुरू कर चुकीं. यहां तक कि नेशनल सिटीजन पार्टी के नेता हसनत अब्दुल्ला ने सारी हदें तोड़ते हुए भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को अलग-थलग कर देने की धमकी दी.
भारत के सेवन सिस्टर्स को अलग करने की धमकी देने वाला छुटभैया नेता हसनत अब्दुल्लाह ने फिर से भारत के खिलाफ जहर उगला है. चुनाव लड़ने के लिए तैयार इस शख्स ने कहा है कि अगर आप देखते ही गोली मारने की पॉलिसी में विश्वास करते हैं, तो मैं देखते ही सलाम करने की पॉलिसी क्यों मानूं?
दिल्ली में मंगलवार को बांग्लादेश उच्चायोग ने भी विजय दिवस मनाया था. इस मौके पर उच्चायुक्त एम. रियाज हमीदुल्लाह ने भारत-बांग्लादेश संबंधों को परस्पर हितों पर आधारित बताया था. उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के बीच आपसी निर्भरता है और संबंध क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सुरक्षा के लिए अहम हैं.
16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तान की सेना ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया. 93 हजार सैनिक कैदी बने. हमूदुर रहमान कमीशन ने जांच की और हार का कारण बताया – याह्या खान और नियाजी जैसे अफसरों का शराब, औरतों और भ्रष्टाचार में डूबना. नैतिक पतन से सेना कमजोर हुई. रिपोर्ट दबी रही. मुकदमा कभी नहीं चला.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारतीय उच्चायुक्त को बुलाकर भारत में रह रहीं शेख हसीना के 'भड़काऊ बयानों' पर गंभीर चिंता व्यक्त की. बांग्लादेश सरकार ने कहा कि हसीना के बयान उनके समर्थकों को आगामी संसदीय चुनावों को बाधित करने के लिए आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसा रहे हैं.
राजधानी ढाका के पॉल्टन इलाके में दिनदहाड़े निर्दलीय MP उम्मीदवार शरीफ उस्मान हादी को गोली मार दी गई. बाइक सवार हमलावरों ने रिक्शे पर बैठे हादी पर पॉइंट-ब्लैंक फायरिंग की और फरार हो गए. हादी की हालत नाजुक है.
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में फरवरी में पहला चुनाव होगा. पिछले साल हुए छात्र आंदोलन के बाद देश की राजनीति पूरी तरह बदल गई. अब चुनाव ऐसे माहौल में होगा जहां अवामी लीग जैसा बड़ा दल पाबंदीशुदा हो चुका. एक पुरानी पार्टी है, जिसमें भीतर ही घमासान है. एक और दल है, जो धार्मिक चरमपंथ पर काम करता रहा.
ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने 1971 में पाकिस्तानी सेना और रजाकरों के अत्याचारों को याद करते हुए पाकिस्तान को संदेश दिया है कि पीढ़ियां बदल सकती हैं, लेकिन सच नहीं बदलता. इन छात्रों ने साफ कहा है कि रजाकरों के साथ कोई समझौता नहीं होगा. हाल के दिनों में यूनुस सरकार ने गलत मंशा से पाकिस्तान के साथ दोस्ती बढ़ाने की कोशिश की है.