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बांग्लादेश में हिंसा

बांग्लादेश में हिंसा

बांग्लादेश में हिंसा

बांग्लादेश में साल 2024 से 2025 तक हिंसा कई स्तरों पर फैली- राजनीतिक विरोध, सांप्रदायिक संघर्ष, छात्रों द्वारा प्रेरित आंदोलन, यौन हिंसा, भीड़ हिंसा और सांस्कृतिक लक्षित हमले जिसका असर सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर भी देखने को मिला.

जून 2024 में बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2018 बांग्लादेश कोटा सुधार आंदोलन के जवाब में किए गए सरकारी फैसले को पलटते हुए स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30 फीसदी कोटा बहाल करने के खिलाफ विरोध शुरू हुआ था. छात्रों को ऐसा लगने लगा कि योग्यता के आधार पर उनके पास सीमित अवसर ही बचेंगे. इस विरोध की शुरुआत सरकारी नौकरियों के लिए पुनः स्थापित कोटा प्रणाली की प्रतिक्रिया के रूप में शुरू हुई थी. लेकिन बाद में यह हिंसक होती चली गई. जिसके बाद बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना को 5 अगस्त को देश छोड़ेकर जाना पड़ा (Bangladesh Coup).

बांग्लादेश में पीएम शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच 4 अगस्त 2024 को हुई झड़प में कम से कम 91 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए. जिससे अधिकारियों को मोबाइल इंटरनेट बंद करना पड़ा और अनिश्चित काल के लिए देशव्यापी कर्फ्यू लागू करना पड़ा था. अल्पसंख्यकों के खिलाफ 330 दिनों में लगभग 2,442 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं दर्ज हुईं.

बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई, जो कि 2024 के विरोध और हिंसा की वजह से शुरू हुई राजनीतिक उथल-पुथल का हिस्सा बताया गया.

24 फरवरी 2025 को कोक्स’ बाजार में एयर फोर्स बेस पर “संभावित हमलावरों” ने हमला किया; इसमें स्थानीय नागरिक की मौत और कई घायल हुए. “बुल्डोजर मार्च” के नाम से देशव्यापी प्रदर्शन हुआ जिसमें विरोधियों के निशाने पर अवामी लीग के कई ढांचे और बंगबंधु संग्रहालय जैसे संस्थान रहे.

12 दिसंबर 2025 को शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद देश भर में हिंसक विरोध शुरू हुआ. विरोधकारियों ने पत्रकारिक संस्थाओं के दफ़्तरों पर हमला किया और सरकारी भवनों को निशाना बनाया. 18 दिसंबर 2025 को एक हिंदू युवक, दिपू चंद्र दास, को भीड़ ने “ब्लास्फेमी” (Blasphemy) के आरोप पर मार डाला, जिससे धार्मिक तनाव बढ़ने लगा.

हिंदू घरों की लूटपाट और लूटपाट के डर ने हिंदुओं को पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया. ये विरोध प्रदर्शन में हिंदू मंदिरों और घरों पर हमलों, तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी की घटनाएं हुई, जिसकी निंदा की गई.

बॉलीवुड कलाकारों और सार्वजनिक हस्तियों ने भी देश में धार्मिक-समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा पर कड़ी प्रतिक्रियाएं दी.

इतना ही नहीं देश में कलाकारों और कार्यक्रमों पर भी हिंसा का असर देखने को मिला. एक प्रसिद्ध सारोद कलाकार के कार्यक्रम स्थल पर हमला हुआ जिसके बाद उन्हें कोलकाता भागना पड़ा.

Diplomatic तनाव के बीच, बांग्लादेश ने अगरतला (त्रिपुरा) में वीजा सेवा अस्थायी रूप से निलंबित कर दी.

भारत के राज्य विदेश मंत्री, कीर्ति वर्धन सिंह, ने कहा कि 2024 से 8 दिसंबर तक बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की लगभग 2,200 घटनाएं दर्ज की गईं.

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