पिछले कुछ सालों में चीनी हथियारों की खराबी की खबरें सुर्खियों में रही हैं. पाकिस्तान में चीनी मिसाइलें टेस्ट में फेल होकर गिरीं, तो बांग्लादेश में चीनी जेट क्रैश हुए. फिर भी, चीन दुनिया भर में अपने सस्ते हथियार और विमान बेच रहा है.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के मुताबिक, 2018 से 2024 तक चीन ने 44 देशों को हथियार बेचे. लेकिन सवाल ये है कि कौन-कौन से देश चीनी हथियार खरीद रहे हैं? क्यों खरीद रहे हैं, जबकि इनकी क्वालिटी पर सवाल उठ रहे हैं? क्या भारत को इससे चिंता करने की जरूरत है?
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चीनी हथियारों की खराबी: क्या हुआ पाकिस्तान और बांग्लादेश में?
पाकिस्तान में मिसाइल और जेट की नाकामी
शाहीन-3 मिसाइल हादसा: 22 जुलाई 2025 को पाकिस्तान ने शाहीन-3 मिसाइल का टेस्ट किया, जो चीन की मदद से बनी थी. मिसाइल डेरा गाजी खान के परमाणु केंद्र के पास गिरी, जिससे बड़ा धमाका हुआ. मलबा बलूचिस्तान के डेरा बुगटी में बस्तियों के करीब गिरा. ये मिसाइल JF-17 थंडर जेट की तरह चीन-पाकिस्तान की साझेदारी का नतीजा थी.
JF-17 की समस्याएं: पाकिस्तान का JF-17 थंडर जेट, जो चीन के साथ मिलकर बनाया गया, बार-बार तकनीकी खराबी का शिकार रहा. 2020 में इसके रडार की सटीकता पर सवाल उठे. FM-90 मिसाइल सिस्टम के सेंसर काम नहीं कर रहे थे.
F-22P फ्रिगेट्स: पाकिस्तान की नौसेना के लिए चीन ने F-22P फ्रिगेट्स बनाए, लेकिन इनके इंजन और परफॉर्मेंस में दिक्कतें आईं. सेंसर और रडार सिस्टम भी खराब पाए गए.

बांग्लादेश में जेट क्रैश
इन हादसों ने चीनी हथियारों की क्वालिटी पर बड़ा सवाल उठाया. फिर भी, कई देश सस्ते दाम और आसान शर्तों की वजह से चीन से हथियार खरीद रहे हैं.
कौन-कौन से देश खरीद रहे हैं चीनी हथियार?
SIPRI और RAND कॉर्पोरेशन के डेटा के मुताबिक, 2018 से 2024 तक 44 देशों ने चीन से हथियार और विमान खरीदे. इनमें ज्यादातर विकासशील देश हैं, जो सस्ते हथियारों की तलाश में हैं. नीचे प्रमुख देशों की लिस्ट और उनके द्वारा खरीदे गए हथियार हैं...
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एशिया (77.3% चीनी हथियारों का निर्यात)
पाकिस्तान

बांग्लादेश
म्यांमार
थाईलैंड
S26T सबमरीन, VT-4 टैंक, टाइप 071E लैंडिंग जहाज.
इंडोनेशिया
C-705 एंटी-शिप मिसाइल, FM-90 एयर डिफेंस सिस्टम. 2017 में एक हादसे में इंडोनेशियाई सैनिक मारे गए, जिससे चीनी हथियारों की क्वालिटी पर सवाल उठे.
मलेशिया
लिटोरल मिशन शिप्स (चीनी जहाज), लेकिन इनकी क्वालिटी पर शिकायतें आईं.
श्रीलंका
Y-12 ट्रांसपोर्ट विमान, टाइप 053H फ्रिगेट.
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अफ्रीका (19.1% चीनी हथियारों का निर्यात)
नाइजीरिया: CH-4 ड्रोन, VT-4 टैंक, SH-5 आर्टिलरी सिस्टम.
अल्जीरिया: CH-4 ड्रोन, HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, C-28A कोरवेट.
इथियोपिया: SH-15 सेल्फ-प्रोपेल्ड हॉवित्जर.
कोट डी आइवर: VN22B बख्तरबंद वाहन.
सूडान: FTC-2000 ट्रेनर जेट, टाइप 96 टैंक.
उगांडा: टाइप 85 टैंक, SH-3 आर्टिलरी.
जाम्बिया: K-8P जेट, Z-9 हेलिकॉप्टर.
केन्या: VN-4 बख्तरबंद वाहन, WZ-551 बख्तरबंद कर्मचारी वाहक.
नामीबिया: FT-9 जेट, टाइप 07PA आर्टिलरी.
कैमरून: टाइप 07PA आर्टिलरी, WZ-551 वाहन.
घाना: Z-9 हेलिकॉप्टर.
तंजानिया: टाइप 63A उभयचर टैंक.
जिबूती: WMA301 असॉल्ट गन.
सेनेगल: PTL-02 असॉल्ट गन.
मोरक्को: Sky Dragon 50 एयर डिफेंस सिस्टम.
मिस्र: विंग लूंग ड्रोन.
ट्यूनीशिया: CH-4 ड्रोन.

मध्य-पूर्व
सऊदी अरब: CH-4 और विंग लूंग ड्रोन। 2024 में वर्ल्ड डिफेंस शो में 40 चीनी डिफेंस कंपनियां मौजूद थीं.
संयुक्त अरब अमीरात (UAE): विंग लूंग ड्रोन, CH-5 ड्रोन.
जॉर्डन: CH-4 ड्रोन (2015 में, जब अमेरिका ने MQ-1 ड्रोन देने से मना किया).
इराक: CH-4 ड्रोन, FT-9 जेट.
ओमान: C-802 एंटी-शिप मिसाइल.
ईरान: C-802 और C-704 मिसाइलें, टाइप 92 बख्तरबंद वाहन. 1980 के दशक से चीन ने ईरान को टैंक, मिसाइलें और विमान बेचे.
दक्षिण अमेरिका
वेनेजुएला: K-8W जेट, VN-4 बख्तरबंद वाहन.
बोलीविया: K-8 जेट, टाइप 92 बख्तरबंद वाहन.
पेरू: टाइप 90B रॉकेट लॉन्चर.

अन्य क्षेत्र
सर्बिया: FD-2000 एयर डिफेंस सिस्टम (रूस के S-300 की कॉपी).
उज्बेकिस्तान: FD-2000 एयर डिफेंस सिस्टम.
कजाकिस्तान: विंग लूंग ड्रोन.
तुर्कमेनिस्तान: HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम.
कंबोडिया: SH-1 आर्टिलरी.
लाओस: Z-9 हेलिकॉप्टर.
वियतनाम: K-8 जेट (पहले खरीदे, लेकिन अब रूस और पश्चिमी देशों की ओर झुकाव).
नेपाल: Y-12 ट्रांसपोर्ट विमान.
मोजाम्बिक: टाइप 82 आर्टिलरी.
क्यूबा: सीमित मात्रा में Z-9 हेलिकॉप्टर.
अर्जेंटीना: WMZ-551 बख्तरबंद वाहन (छोटी मात्रा में खरीद).

क्यों खरीदते हैं देश चीनी हथियार?
चीन के हथियारों की खराबी की खबरें आने के बावजूद कई देश इन्हें क्यों खरीद रहे हैं? इसके कई कारण हैं...
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चीनी हथियारों की खामियां
हालांकि चीन सस्ते हथियार बेचता है, लेकिन इनकी क्वालिटी पर सवाल उठते रहे हैं...

भारत के लिए क्या मायने?
भारत के लिए चीनी हथियारों का निर्यात चिंता की बात है, खासकर क्योंकि पाकिस्तान इसका सबसे बड़ा खरीदार है...
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क्यों चुनते हैं देश चीनी हथियार, भले ही खराबी हो?