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'अगर भारत के पास 10 अब्दुल कलाम होते तो डिफेंस R&D में और कमाल हो जाता...', आकाश मिसाइल बनाने वाले साइंटिस्ट ने क्या कहा

पूर्व डीआरडीओ वैज्ञानिक प्रहलाद रामाराव ने कहा कि अगर भारत के पास एपीजे अब्दुल कलाम जैसे 10 लोग होते, तो अनुसंधान और विकास में क्रांति आ सकती थी. उन्होंने आकाश मिसाइल प्रणाली के विकास में अपने अनुभव साझा किए और कहा कि भारत को स्वदेशी नवाचारों और टीम वर्क पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.

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मिसाइल मैन डॉ. अब्दुल कलाम और डॉ. प्रहलाद रामाराव. (फाइल फोटोः गेटी/X)
मिसाइल मैन डॉ. अब्दुल कलाम और डॉ. प्रहलाद रामाराव. (फाइल फोटोः गेटी/X)

अगर भारत के पास एपीजे अब्दुल कलाम जैसे 10 लोग होते, तो हम अनुसंधान और विकास के तरीके में वास्तव में बदलाव ला सकते थे. यह बात पूर्व डीआरडीओ वैज्ञानिक प्रहलाद रामाराव ने कही.

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रामाराव बेंगलुरु में हैं. वह भारत के "मिसाइल मैन" और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा एकत्रित मिसाइल निर्माण टीम का हिस्सा थे. आकाश नामक स्वदेशी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, जिस पर उन्होंने और उनकी टीम ने लगभग 15 वर्षों तक काम किया. 8 और 9 मई को पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोन के हमले को बर्बाद कर दिया. 

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रामाराव ने कहा कि भारत के लिए सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि हम व्यक्तिगत रूप से अच्छे हैं, लेकिन एक टीम के रूप में काम नहीं कर सकते. कलाम इस समस्या का समाधान करने में बहुत अच्छे थे. उन्होंने मुझे सिखाया कि कैसे व्यक्तिगत ऊर्जा को एक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए समन्वय में लाया जाए. इसलिए मुझे लगता है कि अगर हमारे पास 10 कलाम जैसे लोग होते, तो भारत वास्तव में आगे बढ़ सकता था.

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34 की उम्र में कलाम मिसाइल प्रोजेक्ट के चीफ थे

रामाराव ने कहा कि जब वह केवल 34 वर्ष के थे, तब उन्हें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल परियोजना के परियोजना निदेशक बनाया गया था, जिसे मूल रूप से एसएएम एक्स कहा जाता था और बाद में आकाश प्रणाली का नाम दिया गया.

उन्होंने कहा कि आज के युवा वैज्ञानिक भारत को स्वदेशी नवाचारों से लैस करने में बेहतर सक्षम हैं. मुझे यकीन है कि अगर आप एक और मिसाइल प्रणाली बनाना चाहते हैं, तो इसमें शायद पांच साल लगेंगे क्योंकि नींव तैयार हो चुकी है.

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APJ Abdul Kalam

25 साल में एक्सपर्ट बना भारत, अब प्रभुत्व कायम करना बाकी

रामाराव ने यह भी कहा कि भारतीय विनिर्माताओं की क्षमता भी बहुत बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि अब भारतीय उद्योग इतने स्मार्ट हैं कि अगर आप उन्हें एक अवधारणा देते हैं, तो वे इसे बना सकते हैं. 

उन्होंने स्वीकार किया कि भारत ने पिछले 25 वर्षों में निर्देशित मिसाइलों और रॉकेटों के मामले में परिपक्वता हासिल की है. अभी भी इस क्षेत्र में पूर्ण प्रभुत्व का दावा करने के लिए बहुत लंबा रास्ता तय करना होगा.

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रामाराव ने कहा कि अब यह नीति निर्माताओं पर निर्भर करता है कि वे इस विशाल संसाधन का देश के हित में उपयोग करें. हमें निश्चित रूप से कलाम जैसे किसी व्यक्ति की आवश्यकता है, जो हमारी जैसी अनुभवहीन टीम को प्रेरित करने में सफल रहे.

आकाश एयर डिफेंस सिस्टम 

आकाश भारत की स्वदेशी मध्यम दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल प्रणाली है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है. इसे भारतीय सेना और वायुसेना में 2014 से तैनात किया गया है. इसका उन्नत संस्करण आकाश-NG (नेक्स्ट जेनरेशन) 2021 में शामिल हुआ. यह प्रणाली कम और मध्यम ऊंचाई पर हवाई खतरों, जैसे फाइटर जेट्स, ड्रोन और क्रूज मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है. 

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विशेषताएं

  • रेंज: 45-70 किमी (आकाश-NG)
  • लक्ष्य: फाइटर जेट्स, ड्रोन, क्रूज मिसाइलें और बैलिस्टिक मिसाइलें
  • मार्गदर्शन: रडार-आधारित कमांड गाइडेंस और एक्टिव रडार होमिंग (आकाश-NG)
  • वॉरहेड: 60 किलोग्राम उच्च-विस्फोटक
  • सटीकता: 90-100% इंटरसेप्शन दर
  • तैनाती: मोबाइल लॉन्चर, टैंक और ट्रक पर तैनात, जो इसे गतिशीलता प्रदान करता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर्स (ECCM): दुश्मन के जैमिंग और इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप को नाकाम करने की क्षमता.
  • स्वदेशीकरण: 96% से अधिक स्वदेशी घटक, जो इसे “मेक इन इंडिया” का प्रतीक बनाता है.

आकाश मिसाइल से पिछले साल ही चार टारगेट को ध्वस्त किया गया था. इसके साथ ही भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया था, जो एक ही मिसाइल यूनिट से चार एरियल टारगेट बर्बाद कर सकता है. आकाश मिसाइल सिस्टम की सिंगल यूनिट में चार मिसाइलें होती हैं. जो अलग-अलग टारगेट्स को ध्वस्त कर सकती हैं. 

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Missile system (Akash)

पाकिस्तानी हमलों को नाकाम करना

पाकिस्तान द्वारा 7-10 मई 2025 को किए गए हवाई हमले ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में थे, जिसमें भारत ने 7 मई को PoK और पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया. यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में थी. 

  • 7-8 मई: 15 शहरों (श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, चंडीगढ़, आदि) पर ड्रोन और मिसाइल हमले.
  • 9 मई: तड़के 1:40 बजे, पंजाब के वायुसेना अड्डे पर फतेह-1 मिसाइल से हमला.
  • 10 मई: श्रीनगर से नालिया तक 26 स्थानों (बारामूला, अवंतीपुरा, जम्मू, फिरोजपुर, जैसलमेर, भुज, आदि) पर JF-17, F-16, J-10, PL-15 AAM, AMRAAM, और DJI सैन्य ड्रोन से हमले.

आकाश की भूमिका

  • फतेह-1 का विनाश: 9 मई को पंजाब में दागी गई फतेह-1 मिसाइल को आकाश-NG ने हवा में ही नष्ट कर दिया. मिसाइल जैसे ही आकाश की रेंज (70 किमी) में आई, उसे ट्रैक और इंटरसेप्ट कर लिया गया.
  • JF-17 और F-16: 10 मई को जम्मू और पठानकोट में तैनात आकाश प्रणालियों ने एक JF-17 जेट को नष्ट किया. एक F-16 भी क्षतिग्रस्त हुआ. 
  • ड्रोन स्वार्म्स: आकाश ने DJI सैन्य ड्रोन और अन्य ड्रोन स्वार्म्स को निष्प्रभावी किया, जो श्रीनगर, बारामूला और भुज में हमले की कोशिश कर रहे थे. इसके लिए आकाश की ECCM क्षमता और रडार सटीकता महत्वपूर्ण थी.
  • मिसाइल हमले: PL-15 और AMRAAM मिसाइलों को आकाश ने पंजाब और राजस्थान में नष्ट किया. 

इस मिसाइल में कई चीजों को अपग्रेड किया गया

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आकाश मिसाइल के ग्राउंड सिस्टम को अपग्रेड किया गया है. इसके अलावा राडार, EOTS और टेलीमेट्री स्टेशन, मिसाइल ट्रैजेक्टरी और फ्लाइट पैरामीटर्स को सुधारा गया है. इससे ज्यादा जानकारी अभी तक सेना, सरकार या डीआरडीओ की तरफ से दी नहीं गई है.

आकाश मिसाइल के तीन वैरिएंट्स मौजूद

देश में इसके 3 वैरिएंट मौजूद हैं- पहला आकाश एमके- इसकी रेंज 30KM है. दूसरा आकाश एमके-2 - रेंज 40KM है. तीसरा आकाश-एनजी - रेंज 80KM है. आकाश-एनजी 20 km की ऊंचाई तक जाकर दुश्मन के विमान या मिसाइल को नष्ट कर सकती है.  

गति ही इसकी सबसे बड़ी ताकत 

इसकी गति 2.5 मैक यानी 3087 km/hr है. आकाश-एनजी यानी आकाश न्यू जेनरेशन मिसाइल जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है.  इसकी रेंज 40 से 80 km है. साथ ही इसमें एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे मल्टी फंक्शन राडार लगा है जो एकसाथ कई दुश्मन मिसाइलों या विमानों को स्कैन कर सकता है. 

आकाश-एनजी मिसाइल को मोबाइल प्लेटफॉर्म से लॉन्च कर सकते हैं. आकाश-एनजी का कुल वजन 720 kg है. इसकी लंबाई 19 फीट और व्यास 1.16 फीट है. ये अपने साथ 60 kg वजन का हथियार ले जा सकता है.

आकाश-एनजी मिसाइल के पुराने संस्करण को पिछले साल चीन के साथ हुए सीमा विवाद के दौरान लद्दाख स्थित लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भी तैनात किया गया था. इसके अलावा भारतीय वायुसेना ने आकाश मिसाइलों को ग्वालियर, जलपाईगुड़ी, तेजपुर, जोरहाट और पुणे बेस पर भी तैनात कर रखा है.

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