बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज अनुमंडल में स्थित काराकट एक ब्लॉक है, जिसकी भौगोलिक स्थिति और ऐतिहासिक विरासत दोनों ही इसे खास बनाते हैं. काराकट से लगभग 15 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम दिशा में सोन नदी बहती है, जो इस क्षेत्र की भूमि को उपजाऊ बनाती है. यहां की उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी में चावल और गेहूं समेत कई फसलों की भरपूर खेती होती है. नजदीकी शहरों में
डेहरी-ऑन-सोन (20 किलोमीटर), जिला मुख्यालय सासाराम (35 किलोमीटर), और बिक्रमगंज (50 किलोमीटर) प्रमुख हैं.
इतिहास की दृष्टि से करकट का क्षेत्र प्राचीन मगध साम्राज्य (छठी–चौथी शताब्दी ई.पू.), मौर्य साम्राज्य (तीसरी शताब्दी ई.पू.), गुप्त साम्राज्य (चौथी–छठी शताब्दी ई.) और पाल वंश (आठवीं–बारहवीं शताब्दी ई.) के अधीन रहा है. बारहवीं शताब्दी के बाद यह क्षेत्र खरवार और चेरो जैसे आदिवासी शासकों के नियंत्रण में आया, जिन्होंने बाहरी आक्रमणों का विरोध किया. सोलहवीं शताब्दी में यह शेरशाह सूरी के अधीन चला गया, जिनकी राजधानी सासाराम ही थी.
सूरी वंश के पतन के बाद काराकट सीधे मुगलों के शासन में आ गया. 1764 की बक्सर की लड़ाई के बाद यह ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन चला गया. मुगल काल से ही यहां जमींदारी व्यवस्था का प्रचलन शुरू हो गया था. जगदीशपुर के बाबू कुंवर सिंह के प्रभाव के कारण, काराकट के गांवों ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया.
2011 की जनगणना के अनुसार, काराकट ब्लॉक का क्षेत्रफल 202 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें कुल जनसंख्या 2,09,284 थी. जनसंख्या घनत्व 1,036 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था और लिंगानुपात 1,000 पुरुषों पर 919 महिलाएं था. कुल 143 गांवों में 31,555 घर थे, जिनमें से 47 गांवों की आबादी 1,000 से कम थी और 47 गांवों की जनसंख्या 1,000 से 1,999 के बीच थी. काराकट की साक्षरता दर 61.64% थी, जिसमें पुरुष साक्षरता 71.13% और महिला साक्षरता 51.33% थी.
काराकट विधानसभा क्षेत्र के रूप में 1967 में स्थापित हुआ था. यह सामान्य श्रेणी की सीट है और काराकट लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा खंडों में से एक है. अब तक हुए 14 विधानसभा चुनावों में, माले (लिबरेशन) के अरुण सिंह कुशवाहा ने चार बार जीत दर्ज की है. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, कांग्रेस, जनता पार्टी और जनता दल ने दो-दो बार और जेडीयू व राजद ने एक-एक बार सीट जीती है.
अरुण सिंह कुशवाहा ने 2020 के विधानसभा चुनाव में एक दशक बाद जीत हासिल की जब उनकी पार्टी ने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन से गठबंधन किया. उन्होंने भाजपा के राजेश्वर राज को 18,189 वोटों से हराया. हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में माले उम्मीदवार की बढ़त केवल 6,599 वोटों की रही, जिससे भाजपा को उम्मीद है कि यदि वह अपने एनडीए सहयोगियों को एकजुट रख सके तो काराकट में पहली जीत हासिल कर सकती है.
जनसांख्यिकीय दृष्टिकोण से काराकट में लगभग 17.61% अनुसूचित जाति के मतदाता हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता लगभग 8.6% हैं. यह मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र है, जहां केवल 11.13% मतदाता शहरी हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में यहां 328,648 पंजीकृत मतदाताओं में से 52.28% ने मतदान किया था. 2024 लोकसभा चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 337,162 हो गई.
(अजय झा)