सोनपुर, जिसे सोनेपुर भी कहा जाता है, बिहार के सारण जिले का एक अनुमंडल स्तरीय नगर है, जो अपने विश्वप्रसिद्ध पशु मेला सोनपुर मेला के लिए प्रसिद्ध है. यह भारत का सबसे बड़ा पशु मेला है, जिसमें हर साल लाखों पर्यटक शामिल होते हैं. यहां हाथी और घोड़े खरीदने का विशेष आकर्षण रहता है, और सजे-धजे हाथी इस मेले की सबसे बड़ी खासियत माने जाते
हैं.
हर साल यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के दिन, यानी नवंबर महीने में आरंभ होता है और पंद्रह दिनों से लेकर एक महीने तक चलता है. गंडक नदी के किनारे स्थित प्राचीन हरिहरनाथ मंदिर इस मेले की आध्यात्मिक शुरुआत का केंद्र होता है, जहां श्रद्धालु पवित्र स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं. बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा पर्यटकों के लिए स्विस कॉटेज की व्यवस्था की जाती है और गंडक पर नौका सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं.
ऐतिहासिक दृष्टि से यह मेला अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. कहा जाता है कि मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य (321 ईसा पूर्व – 297 ईसा पूर्व) ने अपने सैनिकों के लिए हाथी खरीदने हेतु इस मेले में भाग लिया था. उस समय मध्य एशिया समेत विभिन्न देशों के व्यापारी यहां आया करते थे.
सोनपुर गंडक नदी के किनारे स्थित है, जहां यह नदी गंगा से मिलती है. यह हाजीपुर से मात्र 3 किमी दूर है, जो वैशाली जिले का मुख्यालय है. वर्तमान में सोनपुर और राज्य की राजधानी पटना के बीच की दूरी लगभग 25 किमी है, जो नए गंगा पुल के पूर्ण होने के बाद और कम हो जाएगी. यह नगर मुजफ्फरपुर से 58 किमी और सारण जिला मुख्यालय छपरा से 60 किमी की दूरी पर स्थित है.
सोनपुर और हाजीपुर को केवल गंडक नदी अलग करती है, लेकिन इनके बीच भाषाई अंतर आश्चर्यजनक है. हाजीपुर में जहां मैथिली बोली जाती है, वहीं सोनपुर में भोजपुरी भाषा का वर्चस्व है. दोनों नगर सड़क और रेलवे पुलों द्वारा आपस में जुड़े हुए हैं. सोनपुर रेलवे स्टेशन क्षेत्रीय परिवहन का प्रमुख केंद्र रहा है, और एक समय में यह भारत का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफॉर्म (738 मीटर) होने का रिकॉर्ड भी रखता था.
1951 में गठित सोनपुर विधानसभा क्षेत्र, सारण लोकसभा सीट के छह खंडों में से एक है. इसमें सोनपुर और दिघवारा प्रखंड शामिल हैं. 2020 के विधानसभा चुनावों में यहां कुल 2,88,143 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 11.09% अनुसूचित जाति और 5.30% मुस्लिम समुदाय से संबंधित थे. यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, जहां शहरी मतदाता केवल 17.64% हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाता संख्या बढ़कर 2,98,216 हो गई.
सोनपुर विधानसभा सीट कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं का गवाह रही है. 1980 में लालू प्रसाद यादव ने इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री राम सुंदर दास को हराकर विधानसभा में प्रवेश किया. 1985 में जीत दोहराने के बाद, लालू ने मुख्यमंत्री बनने के बाद यह सीट छोड़ दी, जिसे स्थानीय मतदाताओं ने अपमान के रूप में देखा. इसका बदला उन्होंने 2010 में उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को हराकर लिया, जिन्हें बीजेपी के विनय कुमार सिंह ने 20,685 वोटों से पराजित किया. इसके बाद लालू परिवार ने इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा, हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने सारण लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और सोनपुर खंड में 3,969 वोटों से बढ़त हासिल की.
अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में इस सीट से मिश्रित नतीजे सामने आए हैं. कांग्रेस ने यहां चार बार जीत हासिल की, लेकिन अंतिम बार 1972 में. लालू की पार्टी आरजेडी ने भी चार बार जीत दर्ज की है, जिनमें 2015 और 2020 की जीत शामिल है. भाजपा, जनता दल और जनता पार्टी ने दो-दो बार तथा निर्दलीय, भाकपा और लोक दल ने एक-एक बार जीत हासिल की है.
हालांकि 2015 और 2020 की लगातार जीत के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि सोनपुर के मतदाता आरजेडी से फिर जुड़ गए हैं, फिर भी यह सीट बीजेपी के लिए अब भी संभावनाओं से भरी हुई है. 2015 में 36,936 मतों की जीत 2020 में घटकर मात्र 6,686 रह गई. 2025 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए मतदाता सहभागिता बढ़ाना निर्णायक साबित हो सकता है, विशेषकर तब जब 2020 में यहां सर्वाधिक मतदान प्रतिशत सिर्फ 59.01% रहा था.
(अजय झा)