छपरा प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक काल से जुड़ी अपनी ऐतिहासिक महत्ता के लिए जाना जाता है. यह प्राचीन कोसला राज्य का हिस्सा था, जिसका इसका उल्लेख 9वीं शताब्दी से मिलता है. दिघवाडुबौली गांव का उल्लेख मिलता है, जहां से प्रसिद्ध राजा महेंद्रपालदेव के शासनकाल में एक ताम्रपत्र प्राप्त हुआ था. महाभारत के गुरु द्रोणाचार्य का आश्रम भी यहीं स्थित होने की
मान्यता है. छपरा में कई प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल हैं. अंबिका भवानी मंदिर का विशेष महत्व है, जहां राजा दक्ष, जो माता सती के पिता थे, का 'यज्ञकुंड' स्थित बताया जाता है. मान्यता है कि जब राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया था, तब माता सती ने क्रोधित होकर इसी यज्ञकुंड में आत्मदाह कर लिया था.
16वीं शताब्दी में, छपरा का उल्लेख अकबर के शासनकाल के आधिकारिक अभिलेख ‘आइने-अकबरी’ में मिलता है. अकबर के शासन के दौरान, बिहार को छह राजस्व मंडलों या ‘सरकारों’ में विभाजित किया गया था, और छपरा उनमें से एक था. इसी समय क्षेत्र में शोरा (साल्टपीटर) व्यापार का विकास हुआ. 18वीं शताब्दी में जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने नियंत्रण स्थापित किया, तब तक छपरा एक समृद्ध ‘नदी व्यापार केंद्र’ बन चुका था. व्यापार की बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए डच, फ्रेंच, पुर्तगाली और अंग्रेजों ने यहां पर साल्टपीटर रिफाइनरी स्थापित की. औपनिवेशिक काल में भारत यूरोप को सैन्य उपयोग के लिए बड़ी मात्रा में साल्टपीटर निर्यात करता था. छपरा आज सारण जिले का मुख्यालय है और घाघरा तथा गंगा नदियों के संगम के पास स्थित है.
सारण लोकसभा क्षेत्र, जिसे 2008 से पहले छपरा लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था, छह विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बना है, जिनमें छपरा विधानसभा क्षेत्र भी शामिल है. छपरा का एक अनोखा राजनीतिक रिकॉर्ड है, जिसे गर्व से नहीं देखा जा सकता. 1967 से अब तक यहां से या तो किसी राजपूत या यादव उम्मीदवार को ही चुना गया है, चाहे वह किसी भी पार्टी से रहा हो. परिसीमन के बाद वैश्यों का प्रभाव बढ़ा है, जो कुल जनसंख्या का लगभग 12 प्रतिशत हैं.
1957 में गठन के बाद से छपरा में 17 विधानसभा चुनाव हुए हैं. कांग्रेस ने यहां चार बार जीत दर्ज की, जिसमें आखिरी जीत 1972 में मिली थी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और इसके पूर्व रूप ‘भारतीय जनसंघ’ ने भी चार बार जीत हासिल की. वर्तमान विधायक, बीजेपी के चतुर्भुज नाथ गुप्ता, 2015 से लगातार दो बार यह सीट जीत चुके हैं. अन्य दलों में राष्ट्रीय जनता दल (RJD), अब विलुप्त हो चुकी जनता पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो-दो बार जीत हासिल की है, जबकि प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
लालू प्रसाद यादव ने छपरा/सारण लोकसभा सीट से चार बार चुनाव जीता है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी सिंगापुर-स्थित बेटी रोहिणी आचार्य बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी से हार गईं. रूडी ने अब तक कुल पांच बार यह सीट जीती है, जिनमें 2014, 2019 और 2024 में लगातार तीन जीत (हैट्रिक) शामिल हैं. 2024 लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने छपरा विधानसभा क्षेत्र में भी बढ़त बनाई.
जनसंख्या के आधार पर, छपरा में हिंदू समुदाय 81.45 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय 18.11 प्रतिशत है. साक्षरता दर 81.30 प्रतिशत है. अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 11.14 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता लगभग 12.2 प्रतिशत हैं. मतदाता संरचना में 62.59 प्रतिशत शहरी और 37.41 प्रतिशत ग्रामीण मतदाता शामिल हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में छपरा में 3,30,176 पंजीकृत मतदाता थे, जिसमें मतदान प्रतिशत 51.09 था. 2024 के लोकसभा चुनावों तक यह संख्या बढ़कर 3,36,354 हो गई.
सारण की भूमि ने कई महान विभूतियों को जन्म दिया है, जिनमें स्वतंत्रता संग्राम के नायक और समाजवादी विचारधारा के प्रतीक जयप्रकाश नारायण प्रमुख हैं, जिनका जन्म सिताबदियारा में हुआ था. इसके अलावा, कई कवि, कलाकार और संगीतकार भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध कर चुके हैं.
(अजय झा)