चेनारी विधानसभा क्षेत्र, जो सासाराम लोकसभा सीट के छह हिस्सों में से एक है, बिहार के रोहतास जिले में स्थित है. यह क्षेत्र मुख्य रूप से तीन प्रखंडों - चेनारी, रोहतास और नौहट्टा - के साथ शिवसागर प्रखंड की कुछ ग्राम पंचायतों को शामिल करता है. यह क्षेत्र सासाराम और डेहरी अनुमंडलों में फैला है, जिसमें कुल 153 गांव हैं, जिनमें से 42 निर्जन
हैं.
चेनारी विधानसभा सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है. इसके चारों ओर प्रमुख नगर स्थित हैं जिनमें सासाराम (जिला मुख्यालय) 23 किमी पूर्व में, भभुआ (कैमूर जिला मुख्यालय) 30 किमी पश्चिम में, मोहनिया 35 किमी उत्तर-पश्चिम में और नोखा 40 किमी उत्तर-पूर्व में शामिल है. दुर्गावती नदी इस क्षेत्र के पास बहती है, जबकि सोन नदी लगभग 28.4 किमी की दूरी पर है। ये दोनों नदियां इस इलाके के लिए जीवनरेखा जैसी हैं.
चेनारी का एक बड़ा हिस्सा रोहतास पठार पर स्थित है, जो विंध्याचल पर्वतमाला के पूर्वी छोर का हिस्सा है. इसकी पहाड़ी भौगोलिक संरचना बड़े सिंचाई परियोजनाओं के लिए चुनौतीपूर्ण बनाती है.
2020 के विधानसभा चुनावों में चेनारी में कुल 3,03,618 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से अनुसूचित जातियों की संख्या 22.16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों की 4.87 प्रतिशत और मुसलमानों की अनुमानित संख्या 9.5 प्रतिशत थी. यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, केवल 3.8 प्रतिशत मतदाता ही शहरी श्रेणी में आते हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार, इस क्षेत्र का लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 920 महिलाओं का था, जो राष्ट्रीय औसत से थोड़ा कम है. साक्षरता दर 70.8 प्रतिशत रही, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर महिलाओं की तुलना में अधिक थी. यहां की प्रमुख भाषाएं भोजपुरी, हिंदी और उर्दू हैं.
2020 के विधानसभा चुनावों में चेनारी में 57.31 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 3,15,790 पंजीकृत मतदाताओं तक पहुंच गई.
सड़क संपर्क अच्छा है और अधिकांश सड़कें संतोषजनक स्थिति में हैं, लेकिन बिजलीकरण अभी भी एक चुनौती है. खासतौर पर दूरस्थ इलाकों में जहां अब भी लगभग 12 प्रतिशत ग्रामीण आबादी बिजली से वंचित है. स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है, जिससे ग्रामीणों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.
चेनारी का इतिहास सासाराम से गहराई से जुड़ा है, जो शेरशाह सूरी की सत्ता का केंद्र था. चेनारी से लगभग 13 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित शेरगढ़ किला एक ऐतिहासिक धरोहर है. इस किले के निर्माण को लेकर मतभेद हैं, जहां कुछ इसे शेरशाह के समय का मानते हैं, वहीं कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह किला उनके शासन से पहले का है और शेरशाह ने इसे केवल मरम्मत कराकर अपनी दूसरी रक्षापंक्ति के रूप में इस्तेमाल किया था.
हालांकि चेनारी की राजनीतिक यात्रा को लेकर कोई मतभेद नहीं है. यह क्षेत्र 1962 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया. तब से अब तक यहां की जनता ने समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियों को प्राथमिकता दी है, वाम और दक्षिणपंथी दोनों दलों से दूरी बनाए रखी है. अब तक हुए 2009 उपचुनाव सहित 16 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने छह बार जीत हासिल की है, जबकि बाकी 10 बार विभिन्न समाजवादी दलों को सफलता मिली है, जिनमें जेडीयू तीन बार, जनता दल दो बार, और आरजेडी, हिंदुस्तानी समाजवादी पार्टी, जनता पार्टी, लोक दल और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी एक-एक बार विजयी रहे हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मुरारी प्रसाद गौतम ने जेडीयू के मौजूदा विधायक ललन पासवान को 18,003 वोटों से हराया था. यह वही चुनाव था जिसमें लोजपा ने एनडीए से नाता तोड़कर जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे और कुल 25 सीटों पर जेडीयू की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया. चेनारी में लोजपा के चंद्रशेखर पासवान को 18,074 वोट मिले थे, जो कि जेडीयू की हार के अंतर से केवल 71 वोट अधिक थे.
अब जब लोजपा फिर से एनडीए में शामिल हो चुकी है, तो यह समीकरण बदल सकता है. चेनारी विधायक मुरारी प्रसाद गौतम ने फरवरी 2024 में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया. हालांकि वे अभी भी चेनारी के विधायक बने हुए हैं, क्योंकि उनके खिलाफ दलबदल कानून के तहत अयोग्यता की कार्यवाही विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय की प्रतीक्षा में है, जो संभवतः 2025 के चुनावों से पहले पूरी नहीं होगी. इसका मतलब यह हो सकता है कि भाजपा 2025 के विधानसभा चुनाव में गौतम को एनडीए उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतार सकती है.
हालांकि गौतम का भाजपा में आना, पार्टी को सासाराम लोकसभा सीट पर जीत नहीं दिला सका. वहां कांग्रेस के मनोज कुमार ने भाजपा के शिवेश कुमार को हराया। भाजपा ने छह विधानसभा क्षेत्रों में से तीन में बढ़त बनाई, लेकिन कांग्रेस ने चेनारी में अपनी पकड़ बरकरार रखी.
(अजय झा)