भोर विधानसभा क्षेत्र बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित है और यह गोपालगंज लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है और इसका गठन वर्ष 1957 में किया गया था. इस क्षेत्र में भोर, कटेया और विजयीपुर प्रखंड शामिल हैं.
भोर एक प्रखंड स्तरीय कस्बा है, जो गोपालगंज जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है. यह उत्तर
प्रदेश की सीमा के निकट है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले का पडरौना नगर भोर से 40 किलोमीटर पूर्व में स्थित है. इसके अलावा, नजदीकी प्रमुख नगरों में सिवान (30 किमी दक्षिण-पूर्व), बेतिया (75 किमी उत्तर-पश्चिम), और देवरिया (65 किमी पश्चिम, यूपी में) शामिल हैं. राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 145 किलोमीटर दूर है.
भोर गंडक नदी घाटी में स्थित है और यह क्षेत्र उपजाऊ गंगा के मैदानों में आता है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. प्रमुख फसलें धान, गेहूं, मक्का और गन्ना हैं. इसके अलावा यहां कुछ चावल मिलें, ईंट भट्टे और छोटे कृषि आधारित उद्योग भी मौजूद हैं, हालांकि औद्योगिक विकास लगभग नगण्य है.
स्थानीय मान्यता के अनुसार, भोर का नाम द्वापर युग के योद्धा राजा भूरीश्रवा के नाम पर पड़ा, जो कौरवों की ओर से कुरुक्षेत्र युद्ध में लड़े थे. किंवदंती है कि उन्हें एक ऐसा चमत्कारी हाथी प्राप्त हुआ था, जो एक ही दिन में भोर से कुरुक्षेत्र (अब की दूरी 1080 किमी) तक यात्रा कर सकता था.
भोर विधानसभा क्षेत्र में इसके गठन के बाद से अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं. इनमें कांग्रेस पार्टी ने आठ बार जीत दर्ज की है. जनता दल, भाजपा और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने दो-दो बार यह सीट जीती है, जबकि जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) (जद(यू)) को एक-एक बार जीत मिली है. यह क्षेत्र अक्सर राज्य स्तरीय राजनीतिक रुझानों के अनुसार बदलता रहा है.
2020 के विधानसभा चुनाव में जद(यू) के सुनील कुमार ने सीपीआई(एमएल)(एल) के जितेंद्र पासवान को केवल 462 वोटों के बेहद कम अंतर से हराया था. लोजपा की पुष्पा देवी को केवल 4,520 वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रहीं. नोटा (NOTA) तीसरे स्थान पर रहा. यह मुकाबला राज्य के सबसे करीबी चुनावों में से एक था. उस समय एनडीए से बाहर रह रही लोजपा ने विरोधी मतों को विभाजित कर परिणाम को प्रभावित किया, हालांकि वह जद(यू) को हराने के अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकी.
2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 3,38,763 मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें अनुसूचित जातियों की संख्या 48,341 (14.27%) और अनुसूचित जनजातियों की संख्या 11,213 (3.31%) थी. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 37,603 (11.10%) थी. भोर क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, जहां केवल 4.57% मतदाता शहरी हैं.
2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,62,491 हो गई थी. चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 की मतदाता सूची में से 7,680 मतदाता 2024 तक अन्यत्र स्थानांतरित हो गए थे. भोर में आमतौर पर मतदान प्रतिशत 52% से 54% के बीच रहता है. 2020 में सबसे अधिक 54.02% मतदान दर्ज किया गया.
2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व लोजपा के पुनः एनडीए में शामिल होने के बाद, गोपालगंज सीट से जद(यू) के उम्मीदवार ने भोर खंड में बढ़त बनाई. लेकिन 2025 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए एनडीए इस सीट को हल्के में नहीं ले सकता. गोपालगंज, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का गृह जिला है, और भोर क्षेत्र में यादव मतदाता लगभग 12.50% हैं. साथ ही, मुस्लिम मतदाता भी 11.10% हैं. यह देखा जाना बाकी है कि इस वर्ग का समर्थन किसे मिलता है, क्योंकि बिहार में मुस्लिम समुदाय पर जद(यू) और राजद दोनों की मजबूत पकड़ है.
(अजय झा)