स्टारलिंक
स्टारलिंक (Starlink) स्पेसएक्स (SpaceX) द्वारा संचालित एक इंटरनेट सेटेलाइट (Internet Satellite) का समूह है. यह 40 देशों को इंटरनेट सेटेलाइट एक्सेस कवरेज प्रदान करता है. इसका उद्देश्य 2023 के बाद उपग्रह व्यक्तिगत संचार सेवा के साथ वैश्विक कवरेज करना भी है. स्पेसएक्स ने 2019 में स्टारलिंक उपग्रहों को लॉन्च करना शुरू किया (Starlink Launch). सितंबर 2022 तक, स्टारलिंक में पृथ्वी की कम कक्षा (LEO) में 3,000 से अधिक बड़े पैमाने पर उत्पादित छोटे उपग्रह शामिल हैं. यह उपग्रह, निर्दिष्ट ग्राउंड ट्रांसीवर्स के साथ संचार करते हैं. स्टारलिंक जून 2022 तक 5,00,000 से अधिक ग्राहकों को इंटरनेट एक्सेस प्रदान करता है.
रेडमंड, वाशिंगटन में स्पेसएक्स उपग्रह विकास सुविधा में स्टारलिंक अनुसंधान, विकास, निर्माण और कक्षा नियंत्रण दल हैं. मई 2018 में स्पेसएक्स ने नक्षत्र के डिजाइन, निर्माण और तैनाती की एक दशक लंबी परियोजना की लागत कम से कम यूएस 10 बिलियन यूएस डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था (Cost of Starlink).
15 अक्टूबर 2019 को, यूनाइटेड स्टेट्स फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (FCC) ने स्पेसएक्स की ओर से अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) को फाइलिंग प्रस्तुत की, जिसमें FCC द्वारा पहले से स्वीकृत 12,000 स्टारलिंक उपग्रहों के पूरक के लिए 30,000 अतिरिक्त स्टारलिंक उपग्रहों के लिए स्पेक्ट्रम की व्यवस्था की गई थी (Number of Starlink).
खगोलविदों ने भू-आधारित खगोल विज्ञान पर नक्षत्रों के प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है और उपग्रह पहले से ही भीड़भाड़ वाले कक्षीय वातावरण में कैसे जुड़ेंगे. स्पेसएक्स ने ऑपरेशन के दौरान उनकी चमक को कम करने के उद्देश्य से स्टारलिंक उपग्रहों में कई उन्नयन लागू करके खगोल विज्ञान की चिंताओं को कम करने का प्रयास किया है. उपग्रह क्रिप्टन-ईंधन वाले हॉल थ्रस्टर्स से लैस हैं जो उन्हें अपने जीवन के अंत में डी-ऑर्बिट करने की अनुमति देते हैं. इसके अतिरिक्त, सेटेलाइट को अपलिंक किए गए ट्रैकिंग डेटा के आधार पर टकराव से अपने आप बचने के लिए डिजाइन किया गया है (Starlink Design).
Starlink भारत में अपना डेमो शुरू करने वाली है. कंपनी 30 अक्टूबर और 31 अक्टूबर को मुंबई में अपने सैटेलाइट सर्विस की सिक्योरिटी का डेमो अधिकारियों को दिखाएगी. बता दें कि कंपनी को जुलाई के अंत में भारत में अपनी सर्विस शुरू करने की मंजूरी मिली है. इस सर्विस के शुरू होने से दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट की सर्विस आसानी से पहुंच सकेगी.
Elon Musk की सेटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. ये कंपनी भारत में ही अपना डेटा सेंटर तैयार करेगी. साथ ही कंपनी ने भारत की तरफ से लागू की गईं सख्त शर्तों को भी स्वीकार कर लिया है. केंद्र में संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने राज्यसभा में एक जवाब दिया.
एलॉन मस्क की सैटेलाइट बेस्ड इंरटनेट सर्विस Starlink को भारत में लाइसेंस मिल गया है. स्टारलिंक को ये लाइसेंस 31 जुलाई को मिला है.
एलन मस्क की कंपनी वाला सैटेलाइट इंटरनेट Starlink जल्द भारत में दस्तक देगा.Starlink की नेक्स्ट वेव में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं, जिसमें से एक स्पीड है.
Elon Musk की इलेक्ट्रिक कार कंपनी Tesla ने भारत में एंट्री कर ली है. अब इंतजार है, तो Starlink का, लेकिन क्या स्टारलिंक भारत में कोई कमाल कर पाएगा. वहीं कुछ लोगों को लगता है कि स्टारलिंक के आने से Jio, Airtel और Vi पर काफी असर पड़ सकता है. आइए जानते हैं Starlink भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में क्या नया कर सकता है.
एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में इंटरनेट सैटेलाइट के संचालन की मंज़ूरी मिल गई है. यह फैसला भारत के सुदूर इलाकों तक भी हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
Elon Musk की कंपनी Starlink को मिली India में Satellites से Internet चलाने की मंजूरी
Elon Musk का Starlink सैटेलाइट इंटरनेट भारत में जल्द ही दस्तक देगा. सरकार की तरफ से कंपनी को हरी झंडी मिल गई है और पिछले महीने ही एयरटेल और जियो ने कहा है कि वो भी भारत में Starlink की सर्विस देना शुरू कर देंगी. लेकिन सवाल ये है कि Starlink इंस्टॉल करने और प्लान्स के लिए यूजर्स को कितने पैसे देने होंगे?
Starlink की सर्विस भारत में जल्द ही शुरू हो सकती है. हाल में कंपनी को जरूरी लाइसेंस मिला है. ऐसे में लोगों का सवाल है कि इस सर्विस के लिए उन्हें कितने पैसे खर्च करने होंगे. स्टारलिंक का टार्गेट रिमोट एरिया में हाई स्पीड इंटरनेट ऑफर करना है. इस सर्विस की कीमत को लेकर हाल में जानकारी सामने आई है. आइए जानते हैं डिटेल्स.
ट्रंप और मस्क के बीच खर्च और टैक्स कटौती वाले बिल को लेकर तनातनी शुरू हुई थी, जिसे राष्ट्रपति ट्रंप 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' कह रहे हैं. अमेरिकी कारोबारी मस्क ने इस बिल की तीखी आलोचना की थी. उन्होंने ने इस बिल को कबाड़ बताया और इसका सपोर्ट करने वाले रिपब्लिकन सांसदों से राजनीतिक बदला लेने की धमकी तक दे डाली.
Elon Musk की SpaceX की Starlink सैटेलाइट्स बड़ी संख्या में गिर रही हैं. NASA की रिपोर्ट बताती है कि सौर गतिविधियां कैसे इन सैटेलाइट्स को नुकसान पहुंचा रही हैं. जानें वजह...
Elon Musk की Starlink इंटरनेट सेवा को भारत में मिला लाइसेंस. जानें कितनी होगी कीमत, कब शुरू होगी सर्विस, कहां मिलेगा कनेक्शन और कितना होगा हार्डवेयर किट का खर्च.
एलन मस्क की सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस Starlink को भारत में जरूरी लाइसेंस मिल गया है..ये एक सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस है जिसकी मदद से दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचाया जा सकता है.
सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस Starlink को भारत में जरूर लाइसेंस मिल गया है. इस लाइसेंस के साथ स्टारलिंक भारत में अपनी सर्विस लॉन्च के और करीब आ गई है. स्टारलिंक की मदद से ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट की सर्विस पहुंचाई जा सकेगी. खासकर उन जगहों पर जहां टावर या ब्रॉडबैंड को पहुंचाना मुमकिन ना हो. आइए जानते हैं इसकी डिटेल्स.
एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने का लाइसेंस मिला है, जिससे दूरदराज के इलाकों में भी बहुत तेजी से इंटरनेट पहुंचाया जा सकेगा. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कनाडा में जी-7 शिखर बैठक में शामिल होंगे, जहां उनकी डोनाल्ड ट्रंप समेत विश्व नेताओं से मुलाकात होगी.
एलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत के टेलीकॉम विभाग से सैटेलाइट इंटरनेट सेवा का महत्वपूर्ण लाइसेंस मिल गया है. ये लाइसेंस कंपनी को भारत में अपनी इंटरनेट सेवा शुरू करने के और करीब ले आया है. स्टारलिंक तीसरी कंपनी है जिसे ये लाइसेंस मिला है. इससे पहले OneWeb और रिलायंस जियो को भी यह अनुमति दी गई है. आइए जानते हैं डिटेल्स.
Elon Musk की सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस Starlink को भारत में एक जरूरी लाइसेंस मिल गया है. मस्क की कंपनी पिछले कई सालों से भारत में अपनी सर्विस शुरू करना चाहती है..
एलन मस्क की कंपनी Starlink को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की मंजूरी मिल गई है. भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने स्टार्लिंग को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस दे दिया है. अब स्टार्लिंग, वनवेब और रिलायंस जियो के साथ मिलकर भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा प्रदान करेगी, हालांकि व्यावसायिक शुरुआत स्पेक्ट्रम आवंटन के बाद ही होगी.
Elon Musk की सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस Starlink की भारत में एंट्री का रास्ता साफ हो गया है. मस्क की कंपनी को जरूरी लाइसेंस मिल गया है.
स्टारलिंक भारत में सैटेलाइट इंटरनेट शुरू करने वाला है, लेकिन ट्रंप-मस्क के झगड़े से इसकी रफ्तार धीमी हो सकती है. ट्रंप की टैरिफ नीति और मस्क के बिजनेस पर दबाव भारत की योजनाओं को प्रभावित कर सकता है. भारत सरकार सतर्क है और सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए स्टारलिंक को मौका दे रही है.
जल्द ही भारत में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को जारी किया जा सकता है. इसके लिए TRAI एक प्रस्ताव तैयार कर रही है. इस प्रस्ताव में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को 5 साल के लिए जारी करने की मांग की जाएगी, जिससे मार्केट ट्रेंड को चेक किया जा सके. स्पेक्ट्रम जारी होने के बाद ही भारत में स्टारलिंक की सर्विस शुरू हो पाएगी. आइए जानते हैं ट्राई के इस प्रस्ताव का स्टारलिंक पर क्या असर होगा.