भारतीय राजनीति में “महागठबंधन” (Mahagathbandhan) का मतलब होता है कई राजनीतिक दलों का एक बड़ा गठबंधन, जो किसी साझा लक्ष्य या विरोधी दल के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए बनता है. महागठबंधन भारतीय राजनीति का एक शक्तिशाली लोकतांत्रिक प्रयोग है.
बिहार में राजनीतिक दलों का महागठबंधन 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले बनाया गया. तत्कालीन महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सहित वामपंथी दल शामिल थे, जिसके नेता नीतीश कुमार (मुख्यमंत्री) और अध्यक्ष तेजस्वी यादव (उपमुख्यमंत्री) बने. बाद में नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए और एनडीए में शामिल हो गए.
फ़िलहाल महागठबंधन के घटक दलों में आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट पार्टियों के अलावा मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी शामिल है.
बिहार विधानसभा का पहला सत्र 1 दिसंबर से शुरू होगा. 243 विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी और 2 दिसंबर को नए स्पीकर का चुनाव होगा. NDA के जीतने की संभावना.
बिहार कांग्रेस 1 दिसंबर को पटना में बड़ी बैठक करेगी. वोट चोरी मुद्दे पर एनडीए को घेरने और दिल्ली रैली की तैयारी होगी.
बिहार चुनाव में करारी हार के बाद अब विपक्षी महागठबंधन और इसकी अगुवाई कर रही आरजेडी में रार सामने आई है. आरजेडी के हारे उम्मीदवारों ने तेजस्वी यादव की कोर टीम की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
2024 लोकसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन ने एक मजबूत विपक्ष होने का अहसास कराया था. पर बाद के दिनों में आपसी फूट के चलते यह गठबंधन लगातार कमजोर होता गया. बिहार विधानसभा चुनावों में मिली असफलता ने साबित कर दिया कि गठबंधन का कोई महत्व नहीं रह गया. शायद यही कारण है कि कांग्रेस ने बीेएमसी चुुनाव अकेले लड़ने का फैसला ले लिया है.
प्रशांत किशोर पर लगातार बीजेपी की बी टीम होना का आरोप लगता रहा है. बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान कई बार ऐसा लगा कि किशोर की जन-सुराज पार्टी महागठबंधन की बजाए एनडीए को ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है. आखिर इस बात में कितनी सच्चाई है, आइये देखते हैं?
लोकसभा चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी को मिली शिकस्त से ऐसा लग रहा था कि मुसलमानों के वोट एकतरफा महागठबंधन को जाएंगे. पर ऐसा क्यों नहीं हुआ, यह इंडिया गठबंधन के दलों को सोचने और समझने की जरूरत है ?
बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने पारंपरिक गढ़ों के साथ-साथ यादव-मुस्लिम बहुल इलाकों में भी भारी सीटें जीतीं. कुल 63 सीटें बेहद कम वोट अंतर से तय हुईं, जिससे चुनाव में कड़ी टक्कर दिखी. एनडीए ने 38 जिलों में से 14 जिलों में सभी सीटें जीतीं और अनुसूचित जाति आरक्षित सीटों पर भी दबदबा बनाया. वहीं, महागठबंधन का प्रदर्शन कमजोर रहा और वह किसी भी सीट पर 50% वोट शेयर नहीं पा सका.
बिहार चुनाव 2025 में शाहाबाद–मगध इलाका एनडीए के लिए सबसे बड़ा गेम-चेंजर साबित हुआ. इस क्षेत्र की 48 सीटों में से एनडीए ने 39 जीत लीं, जबकि महागठबंधन यहां 33 सीटें हार गया. 2020 में सिर्फ 8 सीटें जीतने वाले एनडीए को इस बार 31 सीटों का भारी फायदा मिला.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार विधानसभा नतीजों के रुझानों में NDA की सुनामी आ गई है जहां NDA 200 पार करता दिख रहा है. साथ ही इस पर भारत में बिहार के चुनावी हीट मैप में सीटों का विवरण और वोट प्रतिशत का विश्लेषण किया गया है. जिसमें बीस से पचास फीसदी वोट प्रतिशत वाली सीटों की संख्या कितनी है और महागठबंधन की स्थिति कैसी है.
बिहार चुनाव 2025 के शुरुआती रुझानों में एनडीए ने 160 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बना ली है, जबकि महागठबंधन 50 के नीचे सिमटता दिख रहा है. पप्पू यादव ने इन रुझानों को “बिहार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण” बताया है. बीजेपी 89 और जेडीयू 79 सीटों पर आगे है. एलजेपी भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है. अंतिम नतीजों के लिए मतगणना जारी है. इस बीच पप्पू यादव का बयान सामने आया है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रुझानों में एनडीए की बड़ी बढ़त के बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि रुझान स्पष्ट हैं, लेकिन अंतिम नतीजों का इंतजार करना चाहिए. उन्होंने माना कि कांग्रेस गठबंधन की वरिष्ठ पार्टी नहीं थी, इसलिए RJD को भी अपने प्रदर्शन की समीक्षा करनी होगी.
बिहार चुनाव में भाजपा ने कई सीटों पर बड़ी बढ़त बनाकर डबल इंजन सरकार की ताकत साबित की है. वहीं विपक्ष यानन महागठबंधम पूरी तरीके से धराशायी हो चुकी है. आरजेडी का 2010 के बाद से अबत का सबसे खराब प्रदर्शन सामने आ रहा है, जहां 50 सीटें भी पार करना नामुमकिन दिख रहा है.
2020 के चुनावों में आरजेडी मात्र कुछ हजार वोटों से एनडीए से पीछे रह गई थी. इस बार उम्मीद थी कि वह पिछली बार का फासला पार कर लेगी. पर हुआ इसका उल्टा. महागठबंधन इस चुनाव में बुरी तरह हारती नजर आ रही है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन के अंदर कई सीटों पर सहयोगी दलों के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली. कांग्रेस, आरजेडी, वाम दल और वीआईपी के बीच हुए इस अंदरूनी मुकाबले ने गठबंधन की एकजुटता को कमजोर दिखाया.
करीब करीब सभी एग्जिट पोल में आरजेडी की हार दिखाई दे रही है. जाहिर है कि इस बार की हार तेजस्वी यादव की हार मानी जाएगी. क्योंकि वे सीएम चेहरा ही नहीं थे बल्कि महागठबंधन का घोषणा पत्र भी उनके नाम से ही था.
एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक NDA को 43 फीसदी जबकि महागठबंधन को 41 फीसदी वोट शेयर मिलने का अनुमान है. जिसमें से हाउस वाइफ वोटरों ने 48 प्रतिशत ने NDA को वोट दिया, जबकि महागठबंधन को 37 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है.
बिहार में 243 सीटों पर दो चरणों में चुनाव हुआ था. पहले चरण में 121 सीटों पर 65 फीसदी वोटिंग हुई थी. दूसरे चरण में रिकॉर्ड 68.5 फीसदी मतदान हुआ था.
विपक्षी महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने एग्जिट पोल अनुमान खारिज करते हुए दावा किया है कि आरजेडी की 1995 से भी बड़ी जीत होगी. उन्होंने दावा किया कि 18 नवंबर को सीएम पद की शपथ लूंगा.
Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं, इतना ही नहीं पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया है. बिहार में इस वोटिंग पैटर्न के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं, क्योंकि 2020 की तुलना में इस बार 10 फीसदी ज्यादा मतदान हुए हैं.