बिहार का सियासी माहौल विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही गर्मा गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में दो हफ्ते तक चली 'वोटर अधिकार यात्रा' आज (सोमवार) समाप्त हो रही है. एसआईआर (SIR) के मुद्दे पर 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई 'वोटर अधिकार यात्रा' बिहार के लगभग 25 जिलों से होते हुए 1300 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद अब पटना के गांधी मैदान में शक्ति प्रदर्शन के साथ समाप्त होगी.
'वोटर अधिकार यात्रा' को 'बिहार में लोकतंत्र और लोगों के मताधिकार को बचाने' की लड़ाई के रूप में पेश किया गया है. पहले सिर्फ पटना के गांधी मैदान में वोटर अधिकार रैली की योजना थी, लेकिन अब रैली के साथ-साथ गांधी मैदान में स्थित गांधी प्रतिमा से हाई कोर्ट के पास अंबेडकर प्रतिमा तक इंडिया ब्लॉक के नेता और कार्यकर्ता पदयात्रा कर चुनावी जंग जीतने की इबारत लिखेंगे.
वोटर अधिकार यात्रा का समापन कार्यक्रम गांधी मैदान से शुरू होगा, जहां पहले विपक्ष के सभी नेता एकजुट होंगे. इसके बाद महात्मा गांधी की प्रतिमा से पदयात्रा शुरू होकर एसपी वर्मा रोड, डाक बंगला चौक, कोतवाली थाना, नेहरू पथ से होते हुए डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा तक जाएगी और दोपहर साढ़े बारह बजे आंबेडकर पार्क, नेहरू पथ पर समाप्त होगी. इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने इस यात्रा को 'गांधी से अंबेडकर मार्च' नाम दिया है, जिसके सियासी मायने को समझा जा सकता है.
राहुल-तेजस्वी की यात्रा का समापन
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राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, मुकेश सहनी और दीपांकर भट्टाचार्य ने 17 अगस्त को बिहार के सासाराम से अपनी 16-दिवसीय 'वोटर अधिकार यात्रा' की शुरुआत की थी. सासाराम से शुरू होकर औरंगाबाद, गया, नालंदा-नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, बेतिया, गोपालगंज, सीवान, छपरा और आरा होते हुए यह यात्रा पटना में समाप्त होने जा रही है.
वोटर अधिकार यात्रा बिहार के 23 जिलों और 1300 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद सोमवार को पटना में समाप्त होगी. कार्यक्रम को राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, भाकपा-माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी संबोधित करेंगे. एनसीपी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार भी समापन कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. इंडिया ब्लॉक के सभी दलों के नेता पटना पहुंच रहे हैं और वे सभी वोटर अधिकार यात्रा के समापन कार्यक्रम में शामिल होंगे. इस तरह राहुल-तेजस्वी पटना में हजारों लोगों के साथ पदयात्रा निकालकर इंडिया गठबंधन का अलग तरीके से शक्ति प्रदर्शन करेंगे.
अंबेडकर और गांधी के जरिए संदेश
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग द्वारा करवाई जा रही एसआईआर प्रक्रिया यानी वोटर लिस्ट सघन पुनरीक्षण अभियान के खिलाफ राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने वोटर अधिकार यात्रा निकालकर बीजेपी के खिलाफ सियासी एजेंडा सेट करने का दांव चला है. यात्रा के समापन की योजना महात्मा गांधी की प्रतिमा से शुरू होकर अंबेडकर प्रतिमा तक पदयात्रा निकालने की रणनीति बनाई गई है, जिसे इंडिया ब्लॉक ने 'गांधी से अंबेडकर मार्च' नाम दिया है. इससे इंडिया ब्लॉक की सियासत को समझा जा सकता है.
कांग्रेस खुद को अंबेडकर का सच्चा अनुयायी बताने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है और आरजेडी भी बाबा साहेब के नक्शेकदम पर चलने का दावा करती है. कांग्रेस की रणनीति डॉ. अंबेडकर की सियासत के साथ महात्मा गांधी की राजनीतिक विरासत को अपने नाम रखने की है. इस तरह, कांग्रेस और आरजेडी दोनों ही बाबा साहेब और बापू दोनों को साथ लेकर चलने और उनके जरिए बिहार की सियासी जंग जीतने की योजना बना रही हैं.
इंडिया ब्लॉक की सियासत को समझें
इंडिया ब्लॉक ने वोटर अधिकार यात्रा के समापन में अंबेडकर के साथ महात्मा गांधी की विरासत और सियासत दोनों पर अपने दावे को बनाए रखने की ताना-बाना बुना है. कांग्रेस मौजूदा राजनीति में डॉ. अंबेडकर और महात्मा गांधी दोनों के साथ सियासी तालमेल बनाकर चलने की रणनीति अपना रही है. इस तरह, कांग्रेस बापू के साथ बाबा साहेब के सियासी एजेंडे के साथ आगे बढ़ेगी. कांग्रेस अंबेडकर के सहारे दलितों के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश में है. यह माना जा रहा है कि कांग्रेस लगातार दलितों के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है.
डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान ही नहीं, बल्कि राजनीति के भी केंद्र बन चुके हैं. दलित और शोषित-पीड़ित समाज डॉ. अंबेडकर को अपना मसीहा मानता है. यही वजह है कि अंबेडकर अपने जीवन में जिस सियासी दल और विचारधारा के खिलाफ खड़े थे, वे भी आज उन्हें अपनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. डॉ. अंबेडकर ने देश के दलित समुदाय को ही नहीं, बल्कि शोषित और पीड़ितों को भी नई दिशा दिखाई और संविधान के जरिए सम्मान दिया. यही वजह है कि कांग्रेस अंबेडकर के बहाने देश के दलित और अतिपिछड़ों के वोट बैंक को साधने की रणनीति बना रही है.
कांग्रेस इस बहाने बिहार के दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश में है, जो एक समय उसका मजबूत वोट बैंक हुआ करता था. बिहार में दलित आबादी लगभग 18 प्रतिशत है, जो अलग-अलग जातियों में बंटी हुई है. 2024 में संविधान और आरक्षण का नैरेटिव सेट करने में इंडिया ब्लॉक सफल रहा था, जिसके चलते दलित समाज का कुछ वोट बीजेपी से छिटक गया था. अब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव वोटर अधिकार यात्रा का समापन अंबेडकर प्रतिमा पर कर दलित वोट के बीच अपनी पैठ जमाने की कोशिश में हैं.
शक्ति प्रदर्शन से संदेश देने का प्लान
वोटर अधिकार यात्रा का काफिला जैसे-जैसे आगे बढ़ा, वैसे-वैसे राहुल गांधी और तेजस्वी यादव भी आक्रामक होते गए. यात्रा का रोडमैप बहुत ही रणनीतिक ढंग से बनाया गया था, जिसमें यह यात्रा बीजेपी, जेडीयू, चिराग पासवान और जीतनराम मांझी के मजबूत क्षेत्रों से होकर गुजरी. इसके अलावा, मुस्लिम-बहुल क्षेत्र सीमांचल के इलाके से होते हुए यात्रा आगे बढ़ी और मिथिलांचल होते हुए भोजपुर के रास्ते पटना पहुँची है.
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच बेहतर सियासी तालमेल देखने को मिला. अब समापन में इंडिया ब्लॉक के सभी घटक दलों के नेता पटना पहुँच रहे हैं. समापन मार्च में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत, पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान और एनसीपी की सुप्रिया सुले सहित इंडिया गठबंधन के सभी प्रमुख दलों के नेता शामिल होंगे. कांग्रेस के तमाम नेता पहले से ही पटना में डेरा डाले हुए हैं. इंडिया ब्लॉक के नेता और कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करेंगे.