क्रिसमस का सेलिब्रेशन दुनियाभर में मनाया गया और इसी के साथ अब साल 2025 में सिर्फ गिनती के दिन रह गए हैं. हफ्ते भर बाद साल 2026 का आगाज हो जाएगा और इसी के साथ कैलेंडर बदल जाएगा. तारीख होगी 1 जनवरी 2026 और 12 महीनों का एक सफर नए साल के साथ फिर से शुरू हो जाएगा. अभी पिछली कहानी में आपको बताया कि कैलेंडर शब्द कहां से आया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 'जनवरी' की शुरुआत कैसे हुई और यह शब्द कहां से मिला?
रोमन मिथकों में भूत और भविष्य का देवता
जिस तरह कैलेंडर शब्द की उत्पत्ति प्राचीन रोमन मिथकों से हुई है, ठीक वैसे ही जनवरी शब्द भी रोम माइथॉलजी की ही देन है. प्राचीन रोमन धर्म और माइथॉलजी में एक प्रसिद्ध देवता हैं जानूस. वैसे इनका असली नाम इयानस है, क्योंकि प्राचीन रोमन में J कैरेक्टर कभी था ही नहीं, जब लिपियां बदलीं और लैटिन से निकलकर अंग्रेजी के 26 कैरेक्टर अपनाए गए, तब यही 'इयानस बदलकर जानूस या जैनूस या जैनस' बन गया. रोमन मिथकों में इस देवता को 'अंत और प्रारंभ' का देवता भी कहा जाता है.
कौन हैं देवता जानूस
यह देवता खुद में तो वर्तमान है, लेकिन इसके दो चेहरे हैं जो एक-दूसरे से विपरीत दिशाओं में हैं. प्राचीन रोमन मिथकों में इसके एक तरफ के चेहरे को डार्क दिखाया जाता है, और दूसरी ओर का चेहरा उजला है. कई तस्वीरों में तो एक तरफ के चेहरे पर घनी दाढ़ी उगी मिलेगी तो दूसरा चेहरा युवा दिखाई देगा. ये दोनों ही बिंब भूतकाल और भविष्य काल के प्रतीक हैं. भूतकाल को डार्क और घनी दाढ़ी के जरिए दिखाया जाता है तो वहीं भविष्य को युवा और उजले रूप में दिखाया जाता है.
रोमन मिथकों का यही देवता कैलेंडर का शुरुआती महीना है. इसके नाम पर ही ग्रेगेरियन कैलेंडर के पहले महीने का नाम जनवरी रखा गया है. रोमन राजा नूमा पोंपिलियस (Numa Pompilius) ने 713 ईसा पूर्व में कैलेंडर में सुधार किया और जनवरी को वर्ष का पहला महीना घोषित किया. उन्होंने ही इसे जेनस को समर्पित किया क्योंकि जेनस बदलाव और समय के देवता थे.
कैसे साल का शुरुआती महीना बना जनवरी?
जनवरी को शुरुआत का महीना मानते हुए इसे जेनस (जानूस) का महीना कहा गया है. इस महीने को नई योजनाओं, संकल्पों और परिवर्तन का महीना माना जाता है, जो जेनस की विशेषताओं को भी सामने रखता है. जेनस (जानूस) के दो चेहरों की तरह, जनवरी पुराने साल के अंत और नए साल की शुरुआत को जोड़ने वाला महीना है. यह दोनों ओर देखता है. प्राचीन रोम में जनवरी के पहले दिन जेनस (जानूस) की पूजा की जाती थी. इस पूजा के जरिए नए साल की शुभ शुरुआत की प्रार्थना की जाती थी. जेनस के मंदिर में 12 वेदियां बनी थीं. रोमन राजा ने इन्हीं 12 वेदियों के आधार पर साल को 12 महीनों में बांटा था.
नूमा पोंपिलियस (Numa Pompilius) प्राचीन रोम के दूसरे राजा थे और उन्हें रोमन साम्राज्य के प्रारंभिक इतिहास में एक शांतिप्रिय और धार्मिक सुधारक के तौर पर देखा जाता है. नूमा को रोम के संस्थापक राजा रोमुलस के उत्तराधिकारी के तौर पर भी जानते हैं और उनका शासनकाल लगभग 715 ईसा पूर्व से 673 ईसा पूर्व तक माना जाता है.
पहले कैलेंडर में थे 10 दिन!
हालांकि पहला कैलेंडर राजा रोमुलस ने ही बनवाया था, लेकिन इसमें कुछ खामियां थीं. शुरुआती कैलेंडर में केवल 10 महीने होते थे. साल की शुरुआत मार्च से होती थी और सर्दियों के दिनों को किसी महीने में नहीं गिना जाता था. यानी सर्दी का समय ऐसे ही बिना नाम के निकल जाता था और फिर नया साल शुरू होता था. इन दस महीनों में हर महीने में 30 या 31 दिन होते थे. पूरा साल कुल 38 नुंडिनल चक्रों में बंटा होता था. नुंडिनल चक्र एक तरह का आठ दिन का सप्ताह होता था, जिसमें नौ दिन गिने जाते थे. इन चक्रों के अंत में धार्मिक अनुष्ठान होते थे और सार्वजनिक बाजार लगते थे.
राजा रोमुलस के कैलेंडर में 304 दिनों का साल था, और शेष 61 दिनों को कैलेंडर में गिना ही नहीं जाता था. ये 61 दिन सर्दियों के दौरान आते थे. तो रोमन मिथकों में शामिल देवता जानूस के नाम पर ही कैलेंडर का नया महीना बनाया गया, जिसे उनके ही नाम जानुअरी कहा गया और अब यह जनवरी नाम से प्रचलित है.