ढाकेश्वरी मंदिर बांग्लादेश की राजधानी ढाका का एक प्राचीन धार्मिक स्थल है, जो देवी दुर्गा के एक स्वरूप पर आधारित है और शहर का नाम इसी मंदिर से जुड़ा है. यह मंदिर शाक्त पीठ माना जाता है और इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में सेन वंश के राजा बल्लाल सेन ने कराया था.
जनवरी महीने की उत्पत्ति प्राचीन रोमन मिथकों से जुड़ी है, जिसमें देवता जानूस को नए साल की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. रोमन राजा नूमा पोंपिलियस ने 713 ईसा पूर्व में जनवरी को वर्ष का पहला महीना घोषित किया था.
रोमन काल गणना में महीने का पहला दिन 'कैलेंडे' कहलाता था और यहीं से निकला है कैलेंडर शब्द. हालांकि कैंलेंड से कैलेंडर की शब्द यात्रा काफी लंबी रही है. इस बीच काल गणना और वर्ष के दिनों की गिनती कई सुधारों से होकर गुजरी है.
क्रिसमस का त्योहार आज पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन 17वीं सदी में ब्रिटेन और अमेरिका में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था. उस समय के प्रोटेस्टेंट शासकों ने इसे गैर-धार्मिक और अनैतिक माना था.
Christmas Tree की परंपरा बाइबिल से नहीं बल्कि यूरोपीय लोककथाओं और संस्कृति से जुड़ी है. जानिए 25 December को Christmas Tree सजाने का इतिहास और मतलब.
क्रिसमस ट्री की परंपरा यूरोप से शुरू होकर भारतीय गली-मोहल्लों तक पहुंची है. यह पेड़ न केवल धार्मिक प्रतीक है बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक महत्व भी रखता है. इसकी सजावट में विभिन्न प्रतीक शामिल हैं जो खुशी, समृद्धि और सकारात्मकता दर्शाते हैं.
क्रिसमस स्टार, जिसे स्टार ऑफ बेथलहम भी कहा जाता है, ईसा मसीह के जन्म की बाइबिल कथा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण प्रतीक है. यह सितारा ज्योतिषियों को नवजात यीशु तक पहुंचाने का मार्गदर्शन करता है. इतिहास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसके कई संभावित कारण बताए गए हैं, लेकिन यह धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से आशा, मार्गदर्शन और नई शुरुआत का प्रतीक बना हुआ है.
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और सांस्कृतिक ह्रास के बीच प्राचीन हिंदू शक्तिपीठों को गंभीर खतरा है. जेसोरेश्वरी, सुगंधा, भवानी, जयंती, महालक्ष्मी, अपर्णा और स्रवानी शक्तिपीठ जैसे पवित्र स्थल यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के महत्वपूर्ण अंग हैं.
बांग्लादेश की प्रमुख सांस्कृतिक संस्था छायानट पर 18 दिसंबर 2025 को धानमंडी में हमला हुआ, जिसमें इसका भवन आग के हवाले कर दिया गया. यह संस्था 1961 से बंगाली संस्कृति, संगीत और कला के संरक्षण का प्रतीक रही है.
बांके बिहारी मंदिर की स्थापना स्वामी हरिदास ने की थी, जिन्होंने राधा-कृष्ण की युगल छवि को भक्ति और संगीत के माध्यम से प्रकट किया. इस मंदिर की विशेषता है कि भगवान कृष्ण और राधा की छवि एक ही विग्रह में समाहित है, जो अद्वैत और शैव परंपरा के सिद्धांतों का उदाहरण है.
चंबल को माता का रूप देने वाले, महात्मा गांधी की स्मृति को प्रतिमा में ढालने वाले और ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ से भारत की पहचान ऊंची करने वाले शतायु शिल्पकार राम वी सुतार, जिन्होंने 100 वर्ष की उम्र तक पत्थर, मिट्टी और धातु से संवाद नहीं छोड़ा. अब उनकी यादें स्मारकों में जीवंत रहेंगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने मस्कट में भारत और ओमान के बीच सदियों पुराने व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को याद करते हुए कहा कि ये संबंध केवल भौगोलिक नहीं बल्कि पीढ़ियों से जुड़े हैं. उन्होंने अरब सागर को एक मजबूत पुल बताया जो दोनों देशों की दोस्ती और साझेदारी को सशक्त बनाता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इथियोपिया की संसद को संबोधित करते हुए दोनों देशों के प्राचीन सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और व्यापारिक संबंधों पर प्रकाश डाला. उन्होंने इथियोपिया को 'शेरों की धरती' कहा और गुजरात से अपने व्यक्तिगत संबंधों का उल्लेख किया.
मथुरा स्थित बांके बिहारी मंदिर में दर्शन समय बढ़ाने और देहरी पूजन की परंपरा को लेकर विवाद जारी है. मंदिर में बढ़ती भीड़ और कुप्रबंधन के कारण 600 साल पुरानी भक्ति परंपरा प्रभावित हो रही है.
हेरिटेज ट्रांसपोर्ट म्यूज़ियम ने अपनी 12वीं वर्षगांठ पर 'पोस्टर्स दैट मूव्ड इंडिया' नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया है, जिसमें 1930 से 1970 के बीच के दुर्लभ यात्रा और परिवहन पोस्टर्स प्रदर्शित किए गए हैं. यह प्रदर्शनी रेलवे, विमानन, समुद्री और पर्यटन से जुड़े ऐतिहासिक पोस्टर्स का संग्रह प्रस्तुत करती है, जो उस दौर की यात्रा संस्कृति और दृश्य कला को दर्शाती है.
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र की याद में नई दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम में 'पल-पल दिल के पास तुम रहते हो' नामक संगीतमय श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में उनके लोकप्रिय गीतों की प्रस्तुति हुई, जिसमें दर्शक भावुक हो उठे.
भारत की प्राचीन वैदिक परंपरा में मातृभूमि की महत्ता को उजागर किया गया है. इसमें पृथ्वी को माता के रूप में देखा गया है. वेदों, रामायण, महाभारत और पुराणों में धरती को जीवनदायिनी, पालनहार और सहनशील शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है.
संसद के शीतकालीन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे मातरम् गीत के महत्व पर विशेष चर्चा की. उन्होंने कहा कि यह गीत भारत की राष्ट्रीय भावना को जाग्रत करता है और तुष्टिकरण की नीति के तहत इसके साथ अन्याय हुआ है. जानिए इस पूरे गीत का असल भाव क्या है.
वंदे मातरम् गीत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अंग्रेजों ने इसे सार्वजनिक रूप से गाने पर प्रतिबंध लगाया था, खासकर 1906 के बंगाल प्रांतीय सम्मेलन में. कांग्रेस में पहली बार यह गीत 1896 में गाया गया था, लेकिन राष्ट्रगान के रूप में जन गण मन को प्राथमिकता दी गई.
संसद के शीतकालीन सत्र में प्रधानमंत्री मोदी वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर लोकसभा में विशेष चर्चा करेंगे. यह चर्चा 10 घंटे तक चलेगी, जिसमें गीत के इतिहास, ब्रिटिश शासन के दौरान इसके महत्व और राष्ट्रगीत बनने की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला जाएगा.
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने सोशल मीडिया पर WIFE शब्द का एक नया अर्थ समझाया, जिसमें उन्होंने इसे आनंद का साधन बताया. उनका यह बयान वायरल होने के बाद चर्चा में बना हुआ है.