गुरु कुंदनलाल गंगानी फाउंडेशन की ओर से त्रिवेणी कला संगम में कथक की शाश्वत नृत्य परंपरा के तहत विशेष प्रस्तुति दी गई. संतति नाम से आयोजित इस सांस्कृति संध्या ने उत्तर प्रदेश की विशेष पारंपरिक नृत्य शैली को मंच पर जीवंत किया और इसके सम्मानीय कलाकारों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की.
कलाप्रेमियों से भरे सभागार में अंधकार के बीच प्रकाशित मंच पर नर्तक की हाथों की उंगलियां ताल चक्र की जिस लयकारी पर नर्तन कर रही थीं, उसी गति और उसी दिशा में उंगलियों का अनुसरण करती आंखें और पांवों की थिरकन से पैदा हो रहा नाद ऐसे अध्यात्मिक अहसास को जगा रहा था कि दर्शक जड़वत से हुए टकटकी लगाए मंच की ओर ही देखते रह गए.
इस सोलो प्रदर्शन में जयपुर घराने की विशेष शैली ने अपना आकर्षण बिखेरा और कथक के नए सृजनात्मक पहलुओं को सामने रखा. कार्यक्रम की शुरुआत संजीत गंगानी के सोलो प्रदर्शन से हुई, जिसमें पंडित फतेह सिंह गंगानी, किशोर गंगानी, आशीष गंगानी, आज़ीम अली और विनोद गंगानी ने उनका साथ दिया.
यह प्रदर्शन कला के संरक्षण को समर्पित था. जहां अनुशासित रियाज़ ने संतुलित चक्कर, सटीक तत्कार और एक विचारपूर्ण अभिनय को आकार दिया. संजीत का अभिनय घराने की वंशावली और इसकी कलात्मक गंभीरता को व्यक्त करता हुआ दर्शकों को कथक की जड़ों से जोड़ता हुआ अपने उरोज पर पहुंचा.
इसके बाद 'निर्यति धारा' नाम से हुई सामूहिक प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. भवानी देवड़ा, प्रीति शेवाड़े और कल्याणी चौरसिया ने इसमें भाग लिया, जहां बोलों के साथ एक समान सामंजस्य के सौंदर्य बोध ने समां बांध दिया. कार्यक्रम में अर्चिसा विश्वकर्मा का कथक सोलो भी विशेष रूप से सराहनीय रहा, जिसमें हरिश गंगानी, किशोर गंगानी, आशीष गंगानी और आज़ीम अली ने संगत दी. अर्चिसा के प्रदर्शन पर दर्शकों ने जमकर करतल ध्वनि से उसकी सराहना की.
इस खूबसूरत नाचती हुई सी शाम का समापन दीपक अरोरा के शानदार सोलो प्रदर्शन से हुआ, जिसमें योगेश गंगानी, किशोर गंगानी, आज़ीम अली और विनोद गंगानी ने साथ दिया. इस प्रदर्शन में ताल की वास्तुकला और अभिव्यक्तिपूर्ण विस्तार के बीच एक आकर्षक संवाद स्थापित हुआ, जो कथक की ऊर्जा और गहराई को उजागर करता था. इस मौके पर संजीत गंगानी ने कहा, “संतति एक शाश्वत विरासत को समर्पित भेंट है. हम प्रदर्शन करते हैं ताकि परंपरा जीवित रहे. इसके साथ ही अनुशासित रियाज़, मिला-जुला अभ्यास और प्रत्येक पीढ़ी में इसके प्रति गंभीरता का संचार हो सके.
'संतति' न केवल जयपुर घराने की समृद्धि को प्रदर्शित करने का माध्यम बना, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बना. यह कार्यक्रम कथक प्रेमियों के बीच एक नई ऊर्जा का संचार कर गया, जहां परंपरा और नवीनता का संगम देखने योग्य था. गुरु कुंदनलाल गंगानी फाउंडेशन द्वारा ऐसे प्रयासों से भारतीय शास्त्रीय नृत्य की जड़ें लगातार मजबूत हो रही हैं.