राग आधारित फिल्मी गीत जो बन गया स्कूल प्रेयर... केदारनाथ धाम से क्या है इसका कनेक्शन?
एसडी. बर्मन ने "मुनीमजी" (1955) में लता मंगेशकर की कोमल आवाज में "सजन बिना नींद न आए" रचा, जो एक पुरानी बंदिश का फिल्मी रूपांतरण था. चित्रगुप्त की "तेल मालिश बूट पॉलिश" (1961) में लता और मन्ना डे की जुगलबंदी ने राग की सुंदरता को उभारा. मदन मोहन की "जहांआरा" (1964) में रफी की गायिकी में भी केदार की झलक दिखाती है.