कबीर और तुकाराम के भजनों से हुआ साकार-निराकार का संगम
दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में आयोजित 'तुका म्हणे काये कबिरा' सांस्कृतिक संध्या में प्रसिद्ध कर्नाटक वोकलिस्ट रंजनी-गायत्री और गायक भुवनेश कोमकली ने संत तुकाराम और कबीर की भक्ति परंपराओं को संगीत के माध्यम से जीवंत किया.