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शिव-शक्ति और सीता... विनोद केविन बचन के ओडिसी नृत्य से मंच पर झलकी ‘अनंत कथा’

नई दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में आयोजित ओडिसी नृत्य प्रस्तुति 'अनंत कथा – सम टेल्स नेवर एंड' में गुरु रंजना गौहर के प्रमुख शिष्य विनोद केविन बचन ने अपनी उत्कृष्ट नृत्य कला से दर्शकों का मन मोह लिया.

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विनोद केविन बचन ने ओडिसी नृत्य के जरिए कही पुराण कथा, इससे पहले दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ करते अतिथि
विनोद केविन बचन ने ओडिसी नृत्य के जरिए कही पुराण कथा, इससे पहले दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ करते अतिथि

नई दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर का स्टेन ऑडिटोरियम सुप्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना गुरु रंजना गौहर के प्रतिभाशाली शिष्य विनोद केविन बचन की प्रस्तुति से गुलजार हो गया. नृत्य प्रस्तुति ‘अनंत कथा – सम टेल्स नेवर एंड’ के शीर्षक की छांव में यह एकल प्रस्तुति दी गई.

कहानियां... जो कभी खत्म नहीं होतीं

कार्यक्रम में पद्मश्री और कथक विशेषज्ञ नलिनी और कमलिनी अस्थाना, आईसीसीआर के पूर्व डीजी अमरेंद्र खटुआ, जानी-मानी वकील, अभिनेत्री और कुचिपुड़ी विशेषज्ञ श्रीमती रश्मि वैद्यलिंगम, ओडिसी नृत्यांगना ज्योति श्रीवास्तव, वायएसएनए अवॉर्डी और कथक विशेषज्ञ विद्या लाल, कथक गुरु कविता ठाकुर और प्रसिद्ध प्रोड्यूसर-डायरेक्टर तथा मंच-संचालिका साधना श्रीवास्तव की मौजूदगी रही. इस मौके पर पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी अवॉर्डी गुरु रंजना गौहर भी मंच पर मौजूद रहीं.

शिव के तांडव से शक्ति के प्रादुर्भाव तक

‘अनंत कथा’ शीर्षक अपने आप में बहुत कुछ कहता है. ‘अनंत’ कथा यानी ऐसी कहानी जिसका कोई अंत नहीं. यह नाम उन सनातन कथाओं से लिया गया है जो युगों से कही और दुहराई जाती रही हैं. भगवान शिव के तांडव, शक्ति की देवी दुर्गा और माता सीता की निष्ठा जैसे विषय आज भी लोगों को उतना ही प्रेरित करते हैं जितना वह अपनी पौराणिक किताबों में महत्व रखते हैं.

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Anant Katha  Odissi by Vinod Kevin Bachan

प्रतिभाशाली कलाकार हैं विनोद केविन बचन

इसी तरह ओडिसी नृत्य की परंपरा भी गुरु-शिष्य की अनंत यात्रा है. गुरु मायाधर राउत से लेकर गुरु रंजना गौहर और अब उनके शिष्य विनोद, यह परंपरा पीढ़ियों से बहती आ रही एक जीवंत कथा है जो नृत्य, भाव और आत्मीयता के माध्यम से आगे बढ़ती रहती है. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित विनोद केविन बचन, गुरु रंजना गौहर के प्रमुख शिष्य, वरिष्ठ शिक्षक और उत्सव ओडिसी संस्थान के मुख्य कलाकार हैं. वे ‘मत्स्य अवतार’, ‘चित्रांगदा’, ‘खुद में कबीर’, ‘झांसी की रानी’ और ‘ओम् नमः शिवाय’ जैसी बड़ी प्रस्तुतियों के प्रमुख कलाकार रहे हैं.

वे भारत और विदेशों, ग्रेनेडा, बारबाडोस, यूके, मलेशिया, ब्राज़ील आदि में प्रदर्शन कर चुके हैं और ‘नृत्य शिरोमणि’, ‘कला शिरोमणि’, ‘नाट्य मयूरम’, ‘तराना युवा पुरस्कार’ जैसे कई सम्मान प्राप्त कर चुके हैं. वे आईसीसीआर, दूरदर्शन और ऑल इंडिया डांसर्स एसोसिएशन के सूचीबद्ध कलाकार भी हैं.

ब्रह्मांड से धरती तक की यात्रा

1. अंगिकम् भुवनम् ः विनोद ने कार्यक्रम की शुरुआत ‘अंगिकम् भुवनम्’ से की. राग दरबारी और ताल एकताल पर आधारित यह प्रस्तुति गुरु रंजना गौहर द्वारा संकल्पित और अचार्य बमकिंन सेठी द्वारा संगीतबद्ध थी. इसमें उन्होंने पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ के पांच अक्षरों से जुड़े पांच तत्व—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—को बेहद खूबसूरती से अभिव्यक्त किया. उनकी मु्द्रा, भाव, लय और ताल के साथ सामंजस्य ऐसा सुंदर था कि उनकी यह प्रस्तुति सिर्फ नृत्य नहीं छंद बद्ध एक कविता जैसी लग रही थी.

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2. देवी महामाया : अगली प्रस्तुति ‘देवी महामाया’ देवी दुर्गा के प्रादुर्भाव और महिषासुर वध की कथा पर आधारित थी. देवी के अंगों और शस्त्रों को देवताओं द्वारा प्रदान किए जाने की कथा को विनोद ने बहुत ही सरल प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया. वे क्षण-भर में देवी, देवताओं और असुर हर पात्र में ढलते चले गए. यह प्रस्तुति प्रशिक्षित और सामान्य दर्शकों—दोनों के लिए दृष्टि-सुखद रही.

3. पल्लवी : तीसरी प्रस्तुति थी ‘पल्लवी’, ओडिसी की शुद्ध नृत्य शैली का उत्कृष्ट उदाहरण. राग बज्रकांति पर आधारित इस प्रस्तुति में लय, ताल, दृष्टि और पैरों की जटिल गतियों का अद्भुत संगम था. विनोद की प्रस्तुति सहज, सधी हुई और अत्यंत मन मोहने वाली थी.

Anant Katha  Odissi by Vinod Kevin Bachan

4. भूमिसुता : अंतिम प्रस्तुति ‘भूमिसुता’ थी—माता सीता की धरती में पुनः प्रवेश की कथा पर आधारित. इस नृत्य-नाटिका में विनोद ने सीता के धैर्य, पीड़ा, शक्ति और आत्मसम्मान को जीते हुए दिखाया. यह कथा सिर्फ पुराणों की कहानी नहीं, बल्कि आज भी प्रासंगिक एक मानवीय संदेश बनकर उभरी. बिना अतिरंजना के, केवल भावाभिव्यक्ति से चरित्र को साकार करने की उनकी क्षमता अद्भुत थी.

हर प्रस्तुति के बाद गूंजने वाली लंबी तालियों ने स्पष्ट कर दिया कि यह शाम दर्शकों के दिलों में बस गई थी. ‘अनंत कथा’ सचमुच वही बनी एक ऐसी कथा जो खत्म नहीं होती, बल्कि कला के माध्यम से निरंतर आगे बढ़ती रहती है.

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