दूसरा फेज NDA और महागठबंधन दोनों के लिए आग का दरिया! 122 के आंकड़े में जो बीस पड़ेगा सत्ता उसकी

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 122 सीटों पर मंगलवार को होने वाली वोटिंग में 1302 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर लगी है. यह चरण बिहार की सत्ता की किस्मत का फैसला करने वाला है, जिसके चलते एनडीए और महागठबंधन के लिए आग का दरिया है, जिसे पार किए बिना सत्ता हासिल नहीं होने वाली?

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बिहार के चुनाव चरण में एनडीए बनाम महागठबंधन (Photo-ITG) बिहार के चुनाव चरण में एनडीए बनाम महागठबंधन (Photo-ITG)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:06 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव में अब बारी दूसरे चरण की वोटिंग की है, जो फाइनल और अंतिम चरण है. मंगलवार को 20 जिलों की 122 सीटों पर वोटिंग होनी है. इस फेज में 1302 उम्मीदवारों की किस्मत का फ़ैसला 3 करोड़ 70 लाख 13 हज़ार 556 मतदाता करेंगे. इस चरण के चुनाव से ही बिहार की अगले बनने वाली सरकार का फैसला हो जाएगा.

दूसरे चरण के चुनाव में मिथिलांचल से लेकर सीमांचल तो चंपारण बेल्ट से शाहाबाद-मगध क्षेत्र की सीटें शामिल हैं. इस फेज़ की 122 सीटों में 101 सीटें जनरल तो 19 अनुसूचित जाति और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 2020 के चुनावी नतीजों के लिहाज़ से दूसरे चरण में सबसे ज़्यादा चुनौती एनडीए की है.

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बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में एनडीए की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, तो महागठबंधन की वापसी का पूरा दारोमदार भी इस क्षेत्र की सीटों पर टिका है. असदुद्दीन ओवैसी से लेकर जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी की असल अग्निपरीक्षा इसी फाइनल चरण के चुनाव में होनी है वहीं कांग्रेस के लिए भी करो या मरो वाली स्थिति है.

बिहार के दूसरे चरण की 122 सीटें

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बिहार के दूसरे चरण में 20 ज़िलों की 122 सीटों पर चुनाव है, जिसमें गयाजी की 10, कैमूर की 4, रोहतास की 7, औरंगाबाद की 6, अरवल की 2, जहानाबाद की 3, नवादा की 5, भागलपुर की 7, बांका की 5, जमुई की 4, सीतामढ़ी की 8, शिवहर की 1, मधुबनी की 10, सुपौल की 5, पूर्णिया की 7, अररिया की 6, कटिहार की 7, किशनगंज की 4, पूर्वी चंपारण की 12 तो पश्चिमी चंपारण की 9 विधानसभा सीटों पर मंगलवार को मतदान है.

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दूसरे फेज़ में सीमांचल इलाक़े की 24 सीटें हैं तो शाहाबाद-मगध की 46 सीटें हैं. इसके अलावा चंपारण बेल्ट की 21 सीटें हैं तो मिथिलांचल और कोसी इलाके की 31 विधानसभा सीटों पर चुनाव है. सीमांचल से लेकर मिथिलांचल तक की लड़ाई एनडीए और महागठबंधन दोनों की मुश्किलें कम नहीं हैं.

कौन कितने सीट पर लड़ रहा चुनाव?

बिहार के दूसरे चरण में जिन 122 सीटों पर चुनाव है, उसमें एनडीए की तरफ से बीजेपी तो महागठबंधन की ओर से आरजेडी की साख दांव पर लगी हुई है. एनडीए में सबसे ज़्यादा बीजेपी 53 सीटों पर चुनाव लड़ रही है वहीं जेडीयू 44 सीटों पर किस्मत आज़मा रही है. हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी अपने कोटे की सभी 6 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम 4 सीट और एलजेपी (आर) के 15 सीटों पर उम्मीदवार मैदान में हैं.

वहीं, महागठबंधन की तरफ से आरजेडी के सबसे ज़्यादा 71 सीट पर उम्मीदार चुनावी मैदान में हैं.  कांग्रेस 37 सीट पर किस्मत आज़मा रही है. मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के 7, सीपीआई (माले) 7, सीपीआई के 4 और सीपीएम एक सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने दूसरे चरण की 21 सीटों पर उम्मीदवार उतार रखे हैं, तो प्रशांत किशोर की पार्टी 120 सीटो पर मैदान में है.

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किसका क्या दांव पर लगा हुआ है?

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में जिन 122 सीटों पर वोटिंग होनी है, उसमें एनडीए के सामने अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है, तो महागठबंधन को अपनी वापसी के लिए ताक़त लगानी है. 2020 में इन सीटों पर हुए चुनाव के नतीजों को देखें तो 66 सीटें महागठबंधन के पास थीं, वहीं एनडीए के खाते में 49 सीटें आई थीं. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को 5 सीटें मिली थीं और एक सीट पर बसपा ने कब्जा किया था.

2020 में इस चरण की सीटों में बीजेपी ने 42 सीटें और जेडीयू सिर्फ 20 सीटें ही जीत पाई थी. एनडीए के सहयोगी रहे जीतनराम मांझी की पार्टी ने चारों सीटें इसी इलाक़े में जीती थीं. वहीं, महागठबंधन में आरजेडी  33 सीटें जीतने में सफल रही थी, कांग्रेस को 11 सीटों पर ही जीत मिली थी, जबकि सीपीआई माले ने 5 सीटें को कब्जा किया था. 

बिहार में बसपा एक सीट जीती थी. इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पांच सीटें और एक निर्दलीय विधायक ने जीती थी. चुनाव के बाद बसपा और निर्दलीय विधायक ने जेडीयू का दामन थाम लिया था. इसके चलते एनडीए का आंकड़ा 68 पर पहुंच गया था. 

सीमांचल से मगध तक अग्निपरीक्षा

बिहार के दूसरे चरण में सीमांचल और शाहाबाद-मगध क्षेत्र की लड़ाई ने एनडीए और महागठबंधन दोनों की सियासी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. एक ओर एनडीए को सत्ता तक पहुंचने के लिए इन इलाक़ों में मज़बूती दिखानी होगी तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला महागठबंधन को सियासी पकड़ बनाए रखने की चुनौती है. ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी और प्रशांत किशोर का फ़ैक्टर भी अहम रहने वाला है.

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सीमांचल की 24 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया जैसे ज़िले शामिल हैं. मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के चलते महागठबंधन का दबदबा रहा है, 2020 के चुनाव में इन 24 सीटों में से महागठबंधन को 12, एनडीए को 6 और ओवैसी को पांच सीटें मिली थीं. अब ओवैसी की पार्टी इस बार और आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में है, जिसके चलते सीमांचल के इलाक़े में मुक़ाबला काफी रोचक हो गया है.

शाहाबाद-मगध क्षेत्र में 46 सीटें थीं, जिनमें से 23 सीटें एनडीए को मिली थीं और 23 सीटें महागठबंधन के पास थीं. औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, आरा, बक्सर, सासाराम और गया जैसे ज़िले आते हैं. आरा में पहले ही चरण में चुनाव हो चुका है जबकि बाकी ज़िले में दूसरे चरण में चुनाव हैय यहां यादव, कुर्मी, राजपूत, दलित और भूमिहार वोटरों का समीकरण बड़ा फैक्टर माना जा रहा है.

मिथिलांचल से चंपारण तक इम्तिहान

बिहार के दूसरे चरण में चंपारण बेल्ट की 21 विधानसभा सीटें हैं तो मिथिलांचल के दो ज़िले मधुबनी और सुपौल की 15 सीटें हैं. इस लिहाज़ से 36 विधानसभा सीटें हैं. एनडीए ने इस इलाक़े में ज़बरदस्त प्रदर्शन 2020 में किया था. इस लिहाज से सबसे बड़ी चुनौती भी एनडीए के घटक दल की है.

एनडीए की उम्मीद बीजेपी-जेडीयू के पारंपरिक वोटरों पर टिकी है, लेकिन यहां महागठबंधन रोजगार और स्थानीय विकास जैसे मुद्दों को हवा देकर मुक़ाबले को धार देने में जुटा है. इसके चलते काफ़ी चुनौती खड़ी हो गई है.

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प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी इन दोनों इलाक़ों में सियासी विकल्प के रूप में उतर रही है. हालांकि, जनसुराज का वोट शेयर तय नहीं है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह एनडीए और महागठबंधन दोनों के समीकरणों में सेंध लगा सकता है. एनडीए के दो सहयोगी दल का भी असल इम्तिहान होना है, जिसमें जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की साख दाँव पर लगी है. वहीं, महागठबंधन की तरफ़ से आरजेडी ही नहीं बल्कि कांग्रेस का भी अग्निपरीक्षा है.

इन दिग्गजों की भी होगी अग्निपरीक्षा

बिहार के इस चरण में सियासी दलों के साथ-साथ दिग्गज नेताओं की साख दांव पर लगी है, जिसमें कई मौजूदा मंत्रियों के साथ पूर्व मंत्री और दो पूर्व उपमुख्यमंत्री की भी अग्निपरीक्षा होनी है. दो पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी बेतिया से तो पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद कटिहार से बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं.

नीतीश सरकार के मंत्रियों में सुमित कुमार सिंह, जो पिछली बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीते थे. इसके अलावा मंत्री ज़मा खान, जो चैनपुर से बसपा के टिकट पर जीते थे. इसके बाद जेडीयू में शामिल हो गए थे. अमरपुर से जेडीयू के जयंत राज, झंझारपुर से बीजेपी के नीतीश मिश्रा, नौतन से बीजेपी के नारायण प्रसाद, फुलपरास से जेडीयू की शीला मंडल और धमदाहा से जेडीयू की लेशी सिंह मैदान में हैं.

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बाहुबली आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं तो मुरारी प्रसाद गौतम एलजेपी से चेनारी सीट से उतरे हैं. ऐसे ही बीमा भारती आरजेडी से चुनाव लड़ रही हैं तो उदय नारायण से लेकर उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता भी मैदान में हैं. एआईएमआईएम के टिकट पर प्रदेश अध्यक्ष अख़्तरुल ईमान हैं. संतोष कुशवाहा जेडीयू छोड़कर आरजेडी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर गए हैं. इस लिहाज़ से कई दिग्गजों की परीक्षा इसी चरण में होनी है.

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