पूर्णिया जिले के पश्चिमी हिस्से में बसा धमदाहा विधानसभा क्षेत्र एक प्रमुखत: ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जो लंबे समय से जनता दल (यूनाइटेड) का गढ़ रहा है. खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेशी सिंह इस सीट का कई बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. जिला मुख्यालय पूर्णिया से लगभग 32 किमी पश्चिम स्थित धमदाहा एक प्रखंड स्तरीय कस्बा है और पूर्णिया लोकसभा
क्षेत्र का हिस्सा है.
मिथिला क्षेत्र में स्थित इस इलाके की भौगोलिक बनावट समतल और उपजाऊ है, जिसे कोसी और फुलहार नदियों ने आकार दिया है. हालांकि ये नदियां क्षेत्र की मिट्टी को उपजाऊ बनाती हैं, लेकिन साथ ही यह इलाका अक्सर मौसमी बाढ़ की चपेट में भी आ जाता है, जिससे कृषि और बुनियादी ढांचे पर असर पड़ता है.
धमदाहा की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. यहां धान, मक्का, गेहूं और जूट की खेती बड़े पैमाने पर होती है. लेकिन बार-बार आने वाली बाढ़ और बड़े सिंचाई ढांचे की कमी कृषि के लिए चुनौती बनी हुई है. छोटे स्तर का व्यापार, डेयरी फार्मिंग और प्रवासी मजदूरों की कमाई यहां के आम लोगों की आय के प्रमुख स्रोत हैं.
धमदाहा का ऐतिहासिक महत्व भी है. यह कभी ब्रिटिश शासन के दौरान पूर्णिया एस्टेट का हिस्सा था और आज यह एक प्रमुख प्रशासनिक प्रखंड के रूप में विकसित हो चुका है. यहां का प्रसिद्ध हनुमान मंदिर धार्मिक केंद्र है, जबकि धमदाहा हाई स्कूल से कई प्रशासनिक अधिकारी निकले हैं.
हालांकि क्षेत्र में बड़े उद्योग नहीं हैं, लेकिन 18 किमी दूर स्थित बनमनखी एक व्यावसायिक केंद्र के रूप में कार्य करता है. धमदाहा और आस-पास के गांवों में साप्ताहिक हाट आज भी कृषि उत्पादों और पशुओं के व्यापार का मुख्य जरिया हैं. धमदाहा राज्य राजमार्ग से जुड़ा हुआ है और सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन बनमनखी में है. सार्वजनिक और निजी बस सेवाएं नियमित रूप से चलती हैं.
यहां से बनमनखी 18 किमी, पूर्णिया 32 किमी, मुरलीगंज 40 किमी, नवगछिया 55 किमी, कटिहार 70 किमी, दरभंगा 166 किमी और राजधानी पटना 293 किमी दूर है.
धमदाहा विधानसभा सीट की स्थापना 1957 में हुई थी. यह धमदाहा सामुदायिक विकास प्रखंड और कृत्यानंद नगर ब्लॉक के 15 ग्राम पंचायतों को शामिल करती है. यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है और यहां शहरी मतदाता नहीं हैं.
अब तक यहां 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस ने इस सीट पर छह बार जीत दर्ज की, लेकिन यह क्षेत्र मुख्य रूप से समाजवादी विचारधारा से प्रभावित रहा है. जनता दल (यूनाइटेड) ने इसे अब तक पांच बार जीता है, जिसमें 2000 की वह जीत भी शामिल है जब पार्टी समता पार्टी के रूप में जानी जाती थी. जनता पार्टी को दो बार, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल और राष्ट्रीय जनता दल को एक-एक बार जीत मिली है.
लेशी सिंह ने इस सीट से जदयू के लिए पांच बार जीत हासिल की है. केवल अक्टूबर 2005 में वे RJD के दिलीप कुमार यादव से 3,597 वोटों से हारी थीं. अन्य सभी चुनावों में उन्होंने भारी अंतर से जीत दर्ज की, साल 2000 में 14,021 वोट, फरवरी 2005 में 9,303 वोट, 2010 में 44,697 वोट, 2015 में 30,291 वोट और 2020 में 33,594 वोटों से जीते.
उनकी राजनीतिक पकड़ का एक कारण उनके पति बुटन सिंह का प्रभाव भी माना जाता है, जो 1990 के दशक में पूर्णिया के कुख्यात अपराधी माने जाते थे. 2000 में पूर्णिया कोर्ट परिसर में उनकी हत्या हो गई, जिसके बाद लेशी सिंह ने पहला चुनाव लड़ा और लगातार जीतती रहीं.
2020 में धमदाहा में 3,15,754 पंजीकृत मतदाता थे, इनमें अनुसूचित जाति 52,668 (16.68%), अनुसूचित जनजाति 22,797 (7.22%) और मुस्लिम मतदाता 62,519 (19.80%) थे. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 3,26,417 हो गई.
2020 में मतदान प्रतिशत 63.39% था, जो हाल के वर्षों में सबसे कम रहा. फिर भी लेशी सिंह की लोकप्रियता बनी रही. 2024 लोकसभा चुनावों में भले ही 'बाहुबली' पप्पू यादव निर्दलीय रूप से सीट जीत गए हों, लेकिन धमदाहा विधानसभा क्षेत्र में जदयू को 15,455 वोटों की बढ़त मिली.
बाढ़ नियंत्रण, सड़क निर्माण और शिक्षा जैसे मुद्दे अब भी प्रमुख विकास संबंधी चुनौतियां बनी हुई हैं. इसके बावजूद, धमदाहा अब भी जदयू के लिए एक सुरक्षित सीट मानी जाती है. जब तक कोई बड़ा राजनीतिक परिवर्तन न हो, 2025 के विधानसभा चुनाव में जदयू की स्थिति यहां मजबूत बनी रहने की संभावना है.
(अजय झा)