सीमांचल (Seemanchal) बिहार राज्य का एक भूभाग है, जो राज्य के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है. इस क्षेत्र में मुख्य रूप से चार ज़िले आते हैं- किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया. ऐतिहासिक, भौगोलिक और सामाजिक दृष्टिकोण से सीमांचल बिहार का एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसे अक्सर उसकी उपेक्षित स्थिति और पिछड़ेपन के लिए चर्चा में लाया जाता है. लेकिन सीमांचल सिर्फ पिछड़ापन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विविधता, राजनीतिक सक्रियता और संभावनाओं की भूमि भी है.
सीमांचल की सीमा पश्चिम बंगाल और नेपाल से सटी हुई है, जिसकी वजह से यह क्षेत्र एक सांस्कृतिक संगम के रूप में उभरता है. यहां हिंदी, उर्दू, बंगाली, मैथिली और भोजपुरी जैसी भाषाएं बोली जाती हैं. सीमांचल की जनसंख्या में मुस्लिम समुदाय की बड़ी भागीदारी है, विशेषकर किशनगंज जिले में, जहां यह संख्या 65% से अधिक है.
सीमांचल लंबे समय से बाढ़, बेरोजगारी और आधारभूत संरचना की कमी जैसी समस्याओं से जूझता आ रहा है. कोसी और महानंदा नदियों की बारहमासी बाढ़ इस क्षेत्र के किसानों के लिए बड़ी चुनौती बनती है. यहां कृषि मुख्य पेशा है, लेकिन सिंचाई और तकनीकी संसाधनों की कमी के कारण उत्पादकता कम रहती है.
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सीमांचल को विशेष ध्यान की जरूरत है. किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) का एक केंद्र खुला है, जो शिक्षा की स्थिति को सुधारने की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जाती है.
सीमांचल बिहार की राजनीति में एक निर्णायक भूमिका निभाता है. मुस्लिम बहुलता वाले इस क्षेत्र में धर्म के आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण आम बात है. पिछले कुछ वर्षों में AIMIM जैसी पार्टियों ने यहाँ मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश की है, जबकि RJD, JDU, BJP और कांग्रेस जैसी मुख्यधारा की पार्टियाँ भी इस क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहती हैं.
2020 के विधानसभा चुनावों में, AIMIM को किशनगंज, कोचाधामन, अमौर और जोकीहाट जैसी सीटों पर सफलता मिली थी, जो राजनीतिक विश्लेषकों के लिए एक बड़ा संकेत था कि सीमांचल में परंपरागत वोटिंग पैटर्न बदल रहा है.
लोकसभा चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी को मिली शिकस्त से ऐसा लग रहा था कि मुसलमानों के वोट एकतरफा महागठबंधन को जाएंगे. पर ऐसा क्यों नहीं हुआ, यह इंडिया गठबंधन के दलों को सोचने और समझने की जरूरत है ?
बिहार चुनाव में एआईएमआईएम को पांच सीटों पर जीत मिली है. जोकीहाट, बहादुरगंज, कोचाधामन, अमौर, बायसी में ओवैसी की पार्टी को जीत मिली. गौरतलब है कि यह पार्टी सीमांचल क्षेत्र में खास प्रभाव रखती है जहां मुस्लिम आबादी अधिक है. AIMIM ने इस चुनाव में 243 में से 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. उसे कुल 5 सीटों पर जीत मिली.
बिहार चुनाव के सीमांचल क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत काफी अधिक रहता है, खासकर किशनगंज जिले में जहां पचहत्तर प्रतिशत से भी ज्यादा वोटिंग हुई है. ये दरअसल एक नेचुरल ट्रेंड है, जहां मुसलमान समुदाय की संख्या करीब तीस प्रतिशत है और वहां भी वोटिंग प्रतिशत पचहत्तर प्रतिशत के आसपास रहता है.
बिहार चुनाव में एक्सिस माई इंडिया के सर्वे के अनुसार सीमांचल क्षेत्र, जो मुस्लिम बहुल इलाकों में आता है, इस बार महागठबंधन को काफी मजबूत समर्थन मिला है. इस क्षेत्र में ओवैसी के प्रभाव को समाप्त मानते हुए, महागठबंधन के वोट प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान जारी है. इस फेज में बिहार का मुस्लिम बहुल सीमांचल के इलाके की सीटों पर भी चुनाव हो रहे हैं, जिसे असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी राजनीति की प्रयोगशाला के तौर पर स्थापित करने का दांव चला था. इस बार ओवैसी की राजनीति को काउंटर करने के लिए विपक्ष ने जबरदस्त तरीके से चक्रव्यूह रचा है.
बिहार चुनाव के अंतिम चरण में सीमांचल की सियासत गरमा गई है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा घुसपैठ का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जा रहा है, जिसे वोटों के ध्रुवीकरण की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. इसके जवाब में, महागठबंधन इसे ध्रुवीकरण की राजनीति बता रहा है.
बिहार की सियासत में सीमांचल का चुनावी रण बेहद दिलचस्प हो गया है, जहां भाजपा घुसपैठ को बड़ा मुद्दा बना रही है, तो वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM, आरजेडी-कांग्रेस के पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी करती दिख रही है. 2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने इस क्षेत्र में पांच सीटें जीतकर महागठबंधन का समीकरण बिगाड़ दिया था.
बिहार के सीमांचल में घुसपैठ के मुद्दे पर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है, जहां बीजेपी नेता गुरु प्रकाश पासवान और कांग्रेस नेता रतन लाल के बीच तीखी बहस हुई. रतन लाल ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा, 'जो मुसलमानों का हत्यारा हो, उसको बोलने का कोई हक नहीं है'. वहीं पासवान ने इन आरोपों को खारिज कर महागठबंधन पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया.
बिहार में कल सुबह मंगलवार को अंतिम चरण की वोटिंग है. एनडीए और महागठबंधन दोनों ही ने सीमांचल में जोर लगा रखा है. एनडीए ने यहां पर अवैध घुसपैठियो का मुद्दा बहुत जोरों से उठा रखा है.
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 122 सीटों पर मंगलवार को होने वाली वोटिंग में 1302 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर लगी है. यह चरण बिहार की सत्ता की किस्मत का फैसला करने वाला है, जिसके चलते एनडीए और महागठबंधन के लिए आग का दरिया है, जिसे पार किए बिना सत्ता हासिल नहीं होने वाली?
बिहार की सियासत में सीमांचल की लड़ाई बेहद अहम हो गई है, जहां असदुद्दीन ओवैसी, तेजस्वी यादव और एनडीए के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. ओवैसी ने तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा, 'एजेंसी कपड़े देख कर, चेहरे पर दाढ़ी, सर पर टोपी देखकर कह रहे हैं ये चरमपंथी है.' 2020 में पांच सीटें जीतकर चौंकाने वाले ओवैसी के लिए यह चुनाव अग्निपरीक्षा है, क्योंकि उनके चार विधायक आरजेडी में शामिल हो चुके हैं.
कांग्रेस के लगातार बढ़ते मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते ही बीजेपी मजबूत हुई. अब भी कांग्रेस नेता लगातार ऐसी बातें कर रहे हैं जिससे बीजेपी को और मजबूती ही मिलने वाली है. रेवंत रेड्डी ने जो बयान दिया है वह तो बिल्कुल ऐसा है जैसे उन्होंने पार्टी को खत्म करने की सुपारी ले ली हो.
बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर ने मुस्लिम समुदाय को अपने पाले में मिलाने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं. बिहार बदलाव इजलास के आयोजन का मकसद भी यही है. लेकिन, सवाल है कि क्या मुस्लिम वोटर अल्लाह के नाम पर वोट देने के उनके अंदाज को सपोर्ट भी करेंगे?
असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में लालू यादव की पार्टी से गठबंधन की कोशिशों पर कहा है कि यह मेरी कमजोरी नहीं थी. उन्होंने दावा किया है कि आरजेडी को इसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ेगा और एआईएमआईएम सीमांचल में आरजेडी को फिर हराएगी.
अपनी 'सीमांचल न्याय यात्रा' से पहले ओवैसी ने अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन करने के संकेत दिए हैं. उन्होंने बिहार की पिछली सरकारों पर सीमांचल की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हम कुलियों की तरह इस बोझ को ज्यादा वक्त तक अपने कंधों पर नहीं ढो सकते और अब हमें युवाओं की निराशा की ओर ध्यान देना ही होगा.
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी सीमांचल न्याय यात्रा से पहले धर्म और संविधान पर बात की. उन्होंने कहा कि हर मुसलमान पैगंबर मोहम्मद से मोहब्बत करता है क्योंकि यह उसके ईमान का हिस्सा है. नेता ने बताया कि अल्लाह को जानने के लिए पैगंबर मोहम्मद ने ही रास्ता दिखाया है. उन्होंने कहा कि ईमान तब तक मुकम्मल नहीं हो सकता जब तक पैगंबर मोहम्मद को दुनिया की सच्ची इज्जत न चाहा जाए.
असदुद्दीन ओवैसी बिहार के सीमांचल क्षेत्र में न्याय यात्रा पर हैं. यह यात्रा चार दिनों तक चलेगी. इस दौरान ओवैसी महागठबंधन और बीजेपी पर लगातार हमला बोल रहे हैं. सीमांचल में घुसपैठ को एक बड़ा मुद्दा बनाया गया है, जिस पर ओवैसी ने अपनी यात्रा शुरू की है. इस दौरान उन्होंने क्या कहा. देखिए.
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी आज से चार दिनों की सीमांचल न्याय यात्रा पर हैं. यह यात्रा बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर शुरू हो रही है. ओवैसी ने तेजस्वी के साथ गठबंधन की काफी पहल की थी, लेकिन आरजेडी से उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. इस यात्रा के दौरान ओवैसी किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार का दौरा करेंगे.
असदुद्दीन ओवैसी कल से बिहार के सीमांचल में अपनी चार दिवसीय सीमांचल न्याय यात्रा की शुरुआत करेंगे. अपनी इस यात्रा के दौरान वह कई इलाकों का दौरा करेंगे और लोगों से बातचीत करेंगे. साथ ही वह अपनी यात्रा में इस इलाके के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को भी उजागर करेंगे.
बिहार का सीमांचल चुनावी चर्चा का सेंटर पॉइंट बन गया है. पीएम मोदी के कार्यक्रम से एनडीए ने शक्ति प्रदर्शन किया, तो चर्चा इस इलाके के अन्य नेताओं की भी होने लगी. सीमांचल की सियासत के कौन सूरमा बिहार चुनाव में एक्स फैक्टर साबित हो सकते हैं?
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM महागठबंधन में शामिल होने के लिए बेकरार है, लेकिन आरजेडी और कांग्रेस उसे अपने साथ लेने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ओवैसी से गठबंधन क्यों नहीं करना चाहते हैं? समझें बिहार के बदले सियासी हालत की....