भारत एक ऐसा देश है जहां भूकंप और सुनामी जैसे प्राकृतिक आपदाएं कभी-कभी कहर ढाती हैं. 2004 की सुनामी ने हमें सिखाया कि समय रहते चेतावनी मिल जाए तो जिंदगियां बचाई जा सकती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए भारत ने भूकंप और सुनामी के लिए एक खास चेतावनी प्रणाली बनाई है. इसे समझना बहुत जरूरी है ताकि हम सुरक्षित रहें.
भारत में चेतावनी सिस्टम क्यों जरूरी है?
भारत की 7500 KM लंबी तटरेखा है, जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से घिरी है. साथ ही, हिमालय जैसे भूकंप संवेदनशील इलाके भी हैं. 2004 में इंडोनेशिया के पास आए भूकंप से हुई सुनामी ने भारत के तटीय इलाकों में भारी नुकसान पहुंचाया था.
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उस वक्त हमारे पास कोई चेतावनी सिस्टम नहीं था, लेकिन इसके बाद सरकार ने ठान लिया कि हमें अपनी तैयारी मजबूत करनी होगी. यही वजह है कि भारतीय राष्ट्रीय समुद्री सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) ने एक मजबूत प्रणाली बनाई, जो आज देश को सुरक्षित रखने में मदद करती है.

यह सिस्टम कैसे काम करता है?
भारत का यह चेतावनी सिस्टम बहुत स्मार्ट तरीके से काम करता है. इसे बनाने में कई विभागों और तकनीकों का इस्तेमाल हुआ है. आइए, इसके मुख्य हिस्सों को समझें...
भूकंप का पता लगाना
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समुद्र की गहराई पर नजर

चेतावनी केंद्र
हैदराबाद में INCOIS का एक 24x7 काम करने वाला सुनामी चेतावनी केंद्र है. यह सेंटर सिस्मिक और समुद्री डेटा को रियल-टाइम में इकट्ठा करता है. एक खास सॉफ्टवेयर इस डेटा को चेक करता है. अगर खतरा दिखे, तो अलर्ट भेजता है.
संचार प्रणाली
चेतावनी को तुरंत लोगों तक पहुंचाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की INSAT सैटेलाइट का इस्तेमाल होता है. ये अलर्ट गृह मंत्रालय (MHA) और राज्य आपदा प्रबंधन केंद्रों तक पहुंचते हैं, जो फिर तटीय इलाकों के लोगों को सूचित करते हैं.
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चेतावनी कैसे और कब दी जाती है?
यह सिस्टम बहुत तेजी से काम करता है. मान लीजिए समुद्र के नीचे भूकंप आया...
उदाहरण के लिए, अगर उत्तरी इंडोनेशिया में भूकंप आता है, तो अंडमान-निकोबार को तुरंत चेतावनी मिलेगी, लेकिन बाकी जगहों पर तब तक इंतजार होगा जब तक पानी में बदलाव की पुष्टि न हो जाए.

यह सिस्टम कितना प्रभावी है?
इस सिस्टम की असली परीक्षा 2007 में हुई, जब हिंद महासागर में 8.4 तीव्रता का भूकंप आया था. उस वक्त यह सिस्टम सिर्फ दो साल पुराना था, लेकिन उसने सही समय पर अलर्ट जारी कर लोगों को सुरक्षित रखने में मदद की. 2012 में बांदा अचेह भूकंप के दौरान भी यह सिस्टम कामयाब रहा और गलत अलर्ट से बचाया. आज भारत को UNESCO ने 28 हिंद महासागर रिम देशों के लिए क्षेत्रीय सुनामी सेवा प्रदाता बनाया है, जो इसकी विश्वसनीयता दिखाता है.
भारत में भूकंप की चेतावनी
भूकंप के लिए भी भारत में कोशिशें हो रही हैं. उत्तराखंड में 2021 में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ, जिसमें 170 त्वरक (Accelerometers) लगाए गए हैं. ये सेंसर भूकंप की शुरुआत का पता लगाकर 70 सेकंड पहले अलर्ट दे सकते हैं. IIT रुड़की इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. एक मोबाइल ऐप "उत्तराखंड भूकंप अलर्ट" भी बनाया गया है, जो लोगों को चेतावनी भेजता है. हालांकि, यह अभी शुरुआती चरण में है. पूरे देश में लागू नहीं हुआ.

क्या हैं चुनौतियां?
सावधानी और तैयारी