सुनामी (Tsunami) एक विशाल समुद्री लहर होती है, जो आमतौर पर समुद्र के भीतर भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन या समुद्र में उल्कापिंड के गिरने जैसी घटनाओं के कारण उत्पन्न होती है. यह लहर समुद्र की गहराई में तो धीमी और कम ऊंचाई की होती है, लेकिन जैसे ही यह तटीय क्षेत्रों की ओर बढ़ती है, इसकी गति धीमी होती जाती है और ऊंचाई कई मीटर तक बढ़ जाती है, जिससे तटीय इलाकों में भारी तबाही मच सकती है.
26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में आए सुनामी ने भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया और अन्य देशों में लगभग 2 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली थी. यह अब तक की सबसे विनाशकारी सुनामी में से एक थी.
सुनामी के मुख्य कारणों में समुद्र के नीचे भूकंप आना, समुद्री ज्वालामुखी विस्फोट होना, जल के भीतर भूस्खलन और बड़ा उल्कापिंड समुद्र में गिरना हो सकता है.
रूस ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की निगरानी में परमाणु शक्ति से चलने वाले अंडरवाटर ड्रोन 'पोसाइडन' का सफल परीक्षण कर दुनिया में हलचल मचा दी है. पुतिन ने दावा किया है कि यह हथियार असीमित दूरी तय कर 'रेडियोएक्टिव सुनामी' पैदा करने में सक्षम है, जिससे तटीय शहरों को नष्ट किया जा सकता है.
मिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के अनुसार, गंभीर क्षति पहुंचाने में सक्षम एक बड़े भूकंप को 7.0-7.9 की तीव्रता वाला माना जाता है. हर साल इस तीव्रता के लगभग 10-15 भूकंप ही दर्ज किए जाते हैं.
साइबेरिया से अलास्का तक का इलाका भूकंप और सुनामी जोन इसलिए है क्योंकि ये रिंग ऑफ फायर का हिस्सा है, जहां पैसिफिक और नॉर्थ अमेरिकन प्लेट्स आपस में टकराती हैं. सबडक्शन और फॉल्ट लाइन्स की वजह से यहां भूकंप आम हैं. समुद्र तल की हलचल सुनामी लाती है. ये प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इंसानों की तैयारी से इसके नुकसान को कम किया जा सकता है.
भारत में एक सिस्टम है जो भूकंप और सुनामी की पहले से चेतावनी देता है. इसमें सेंसर, रडार और सैटेलाइट लगे हैं जो 10-30 मिनट में अलर्ट भेजते हैं. यह सिस्टम 2007 से काम कर रहा है और लोगों को सुरक्षित रखता है. INCOIS और IMD मिलकर इसे और बेहतर कर रहे हैं. 2004 की त्रासदी के बाद शुरू हुआ यह सिस्टम आज लाखों लोगों की जिंदगी बचा रहा है.
भारत में भूकंप और सुनामी की चेतावनी के लिए हाईटेक सिस्टम काम कर रहा है. जानें INCOIS, IMD और ISRO मिलकर कैसे 10–30 मिनट में अलर्ट भेजते हैं और लोगों की जान बचाते हैं.
कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भूकंप और उसके बाद का ज्वालामुखी विस्फोट इस क्षेत्र की नाजुक स्थिति को दिखाता है. अवाचा बेस पर परमाणु पनडुब्बियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई पक्का नुकसान साबित नहीं हुआ. रूस का दावा है कि सब ठीक है, लेकिन विशेषज्ञ सतर्क हैं. आफ्टरशॉक्स का खतरा बना हुआ है, इसलिए दुनिया की नजर इस इलाके पर टिकी है.
महाभूकंप के झटकों से रूस की धरती हिली लेकिन पाताल से उठी तबाही की तरंगों से जापान से लेकर अमेरिका तक हाहाकार मच गया. भूकंप इतना विनाशकारी था कि कई घंटों तक दुनिया के 12 मुल्कों की सांसे अटकी रहीं. रूस में 73 साल बाद ऐसा विनाशकारी भूकंप आया, जो दुनिया का छठा सबसे बड़ा भूंकप है.
सुनामी गहरे समुद्र में जेट विमान की तरह तेज (800 किमी/घंटा) चलती है, लेकिन तट पर आते-आते धीमी (20-30 किमी/घंटा) हो जाती है. इस दौरान उसकी ऊंचाई बढ़कर 10-30 मीटर हो सकती है, जो शहरों को तबाह कर देती है. सही जानकारी और तैयारी से इसकी मार से बचा जा सकता है.
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NASA ISRO Nisar Satellite Launch: निसार मिशन पृथ्वी का "एमआरआई स्कैनर" है, जो भूकंप, सुनामी, भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पहले से चेतावनी देगा. यह सैटेलाइट दोहरे रडार सिस्टम, हर मौसम में काम करने की क्षमता, और सेंटीमीटर स्तर की सटीकता के साथ पृथ्वी की सतह को स्कैन करेगा.
NISAR Satellite हुआ Launch… ये सैटेलाइट भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पहले से चेतावनी देगा.
भूकंप और सुनामी का एक खतरनाक घेरा है Pacific Ring of Fire
कैलिफोर्निया के तट पर पहुंच गई हैं सुनामी. अमेरिका के हवाई में वहां आने और वहां से जाने वाली सभी उड़ानों को कैंसिल कर दिया गया है. इंडोनेशिया ने अभी अपने 10 तटीय इलाकों में सुनामी का अलर्ट जारी कर दिया है. रूस के पूर्वी प्रायद्वीप कामचटका में भारतीय समय के मुताबिक सुबह 4 बजकर 54 मिनट पर 8.8 तीव्रता का भूकंप आया था.
जापान में आई सुनामी की पहले ही भविष्यवाणी हो चुकी थी. जापान की चर्चित भविष्यवक्ता रियो तात्सुकी ने इस साल जुलाई में जापान में सुनामी आने की चेतावनी दी थी. इसके बाद से वहां घूमने जाने वाले लोग अपनी छुट्टियां रद्द करने लगे थे.
जापान में 30 जुलाई को 16 तटीय इलाकों में सुनामी की ऊंची लहरों ने तबाही मचा दी हैं, वहां हर तरफ इमरजेंसी सायरन बज रहे हैं लेकिन चौंकाने वाली बात ये हैं कि इस प्राकृतिक आपदा के बारे में जापान की बाबा वंगा कही जाने वाली मंगा आर्टिस्ट रियो तात्सुकी ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी
प्रशांत महासागर और उसका हिस्सा ओखोत्सक सागर एक ऐसा क्षेत्र है, जो अपनी जैविक समृद्धि के साथ-साथ भूकंप और सुनामी से बार-बार तबाही मचाता है. 30 जुलाई 2025 का कामचटका भूकंप इसकी ताकत का ताजा उदाहरण है, जिसने 12 देशों—रूस, जापान, हवाई, कैलिफोर्निया, अलास्का, सोलोमन द्वीप, चिली, इक्वाडोर, पेरू, फिलीपींस, गुआम और न्यूजीलैंड में सुनामी का खतरा पैदा किया.
Tsunami Alert in Japan: रूस के कैमटचका में आए भूकंप के बाद कई देशों में सुनामी का अलर्ट जारी किया गया है. सुनामी के अलर्ट के बीच जानते हैं कि जब सुनामी आती है तो कैसा मंजर होता है?
रूस में तेज भूकंप का झटका महसूस किया गया है और इसने दुनिया के बड़े हिस्से को दहला दिया है. इंडोनेशिया के 10 तटीय इलाकों में भी सुनामी का अलर्ट जारी कर दिया गया है. रूस में 8.8 की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. देखें ब्रेकिंग न्यूज.
रूस में बेहद खतरनाक भूकंप आया है जिसके बाद सुनामी की लहरें उठी हैं. जापान और अमेरिका के तटीय इलाकों में भी सुनामी का अलर्ट जारी किया गया है. इस बीच रूस से एक वीडियो सामने आया है जो प्राकृतिक आपदा के बीच इंसानी जज्बे का बेहतरीन उदाहरण साबित हो रहा है.
रूस के कामचटका में भीषण भूकंप के बाद सुनामी का अलर्ट जारी किया गया है.ये पहली बार नहीं है जब साइबेरिया के इस इलाके में भूकंप आया है..ऐसे में सवाल उठता है कि साइबेरिया से लेकर अलास्का तक के इस विशाल इलाके में क्यों आते हैं इतने भूकंप?
8.8 तीव्रता का भूकंप, जो रूस के कामचटका में आया, ने प्रशांत महासागर में सुनामी की लहरें पैदा कीं, जो जापान, हवाई, अलास्का, कैलिफोर्निया, सोलोमन द्वीप, चिली और इक्वाडोर जैसे देशों तक पहुंचीं. ये लहरें भूकंप के 35 मिनट से लेकर 15 घंटे बाद तक विभिन्न तटीय इलाकों में पहुंचीं. हवाई, जापान और सोलोमन द्वीप में 1-3 मीटर की लहरें देखी गईं. यह खतरा 31 जुलाई 2025 की दोपहर तक बना रह सकता है.