ISRO
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में है. यह अंतरिक्ष विभाग (Department of Space) के तहत संचालित होता है. इसरो (ISRO) के अध्यक्ष DOS के कार्यकारी के रूप में भी कार्य करते हैं.
इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में की गई थी. इसे भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) से विकसित किया गया था. 1972 में, भारत सरकार ने अंतरिक्ष विभाग (Department of Space) और इसरो को स्थापित किया, जिससे यह सीधे प्रधानमंत्री के अधीन काम करने लगा.
इसरो ने 19 अप्रैल 1975 को अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च किया, जिससे भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक बड़ा कदम बढ़ाया. साल 1980 में भारत ने रोहिणी उपग्रह को स्वदेशी प्रक्षेपण यान SLV-3 से अंतरिक्ष में भेजा, जिससे भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया जो स्वयं उपग्रह प्रक्षेपित कर सकते हैं.
चंद्रयान-1 2008 में लॉन्च किया गया. यह भारत का पहला चंद्र मिशन, जिसने चंद्रमा पर जल अणुओं की खोज की.
मंगलयान 2013 में लॉन्च किया गया. भारत का पहला मंगल मिशन, जिसे बेहद कम लागत में सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित
किया गया. इससे भारत पहला ऐसा देश बन गया जिसने अपने पहले ही प्रयास में मंगल पर सफल मिशन भेजा.
चंद्रयान-2 2019 लॉन्च किया गया. यह मिशन आंशिक रूप से सफल रहा, लेकिन इस मिशन से इसरो को महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त हुआ.
चंद्रयान-3 2023 लॉन्च किया गया. इस मिशन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की, जिससे भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बना.
इसरो वर्तमान में गगनयान मिशन पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देना है.
इसरो न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसके नवाचारों और सफलता की कहानियों ने भारत को एक अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में स्थापित कर दिया है.
इसरो ने गगनयान मिशन के SMPS का विकास पूरा किया. 350 सेकंड का हॉट टेस्ट सफल रहा. SMPS ऑर्बिट सर्कुलराइजेशन और मिशन रद्द करने में मदद करेगा. LAM इंजन और RCS थ्रस्टर्स मुख्य हैं. 25 टेस्ट 14331 सेकंड के लिए किए गए. LPSC ने डिज़ाइन किया, IPRC में टेस्ट हुए.
शुरुआत में, कुछ लोगों ने इसरो की चिंताओं को जरूरत से ज्यादा सतर्कता बताकर खारिज कर दिया, लेकिन इसरो चीफ वी नारायणन ने जोर देकर कहा कि यह मिशन और अंतरिक्ष यात्रियों का जीवन बचाने वाला एक शानदार फैसला था.
15 जुलाई को शुभांशु शुक्ला की वापसी भारत के वैज्ञानिक समुदाय और देश के लिए गर्व का पल होगी. शुभांशु शुक्ला की वापसी भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को और मजबूती देगी. नासा का सीधा प्रसारण हमें इस रोमांचक सफर का हिस्सा बनने का मौका देगा.
14 जुलाई 2025 की शाम 4:35 बजे के आसपास ड्रैगन कैप्सूल के ISS से अलग होने के साथ शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम पृथ्वी पर वापस आएगी. यह भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय होगा. उनकी वापसी न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा भी है कि मेहनत और शिक्षा से सपने पूरे किए जा सकते हैं.
अंतरिक्ष की दुनिया में ISRO नई छलांग लगाने जा रहा है. ISRO, गुजरात में नया स्पेस सेंटर बनाने की तैयारी में है. इसमें PSLV और SALV रॉकेट लॉन्च करने की क्षमता होगी. इसे बनाने में करीब 10 हजार करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं. इसके 70 प्रतिशत स्पेस प्रोग्राम में नई तकनीक पर फोकस होगा. देखें गुजरात आजतक.
शुभांशु शुक्ला और Axiom-4 क्रू की धरती पर वापसी 14 जुलाई से पहले संभव नहीं है. फ्लोरिडा तट पर खराब मौसम, ISS में प्रेशर लीक की जांच और तकनीकी तैयारियों से 3-4 दिन की देरी हो सकती है. वापसी में ड्रैगन कैप्सूल अनडॉकिंग, री-एंट्री और अटलांटिक महासागर में स्प्लैशडाउन होगा.
शुभांशु शुक्ला और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री 10 जुलाई 2025 के बाद किसी भी दिन पृथ्वी पर लौट सकते हैं, बशर्ते फ्लोरिडा तट पर मौसम ठीक हो. नासा ने अभी इस मिशन के ISS से अलग होने की तारीख की घोषणा नहीं की है. यह मिशन 14 दिन तक ISS पर रह सकता है.
शुंभाशु शुक्ला का ISS से ISRO अध्यक्ष को किया गया फोन कॉल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. उनकी मेहनत और ISRO की तकनीकी विशेषज्ञता ने भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मंच पर मजबूत स्थिति दी है. शुक्ला के प्रयोग और अनुभव गगनयान मिशन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
नासा के साथ मिल कर इसरो एक संयुक्त पृथ्वी अवलोकन मिशन के तहत निसार सैटेलाइट जुलाई के आखिर तक लॉन्च करने जा रहा है. ये सैटेलाइट प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, भूस्खलन, ग्लेशियर गतिविधियों की निगरानी और पूर्वानुमान करेगा
निसार सैटेलाइट, नासा और इसरो का एक संयुक्त प्रोजेक्ट है, जो जुलाई महीने के अंत तक श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने के लिए तैयार है. यह उपग्रह पृथ्वी की सतह का अवलोकन करेगा और इससे प्राप्त डेटा का उपयोग भूस्खलन और टेक्टोनिक गतिविधियों के अध्ययन के लिए किया जाएगा.
हैम रेडियो, जिसे आधिकारिक तौर पर एमेच्योर रेडियो के रूप में जाना जाता है, आम लोगों द्वारा संचालित एक नॉन-कमर्शियल रेडियो कम्युनिकेशन सर्विस है. इस रेडियो सर्विस को सरकार से लाइसेंस प्राप्त होता है. एक निश्चित रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग करके हैम ऑपरेटर दूर-दराज के शहरों, दूसरे देशों और यहां तक कि स्पेस में एस्ट्रोनॉट्स के साथ भी कम्युनिकेशन स्थापित कर सकते हैं.
जानिए क्यों हर अंतरिक्ष यात्री को एक खास यूनिक नंबर और गोल्डन पिन दिया जाता है, और इसका क्या मतलब है.
भारत सरकार ने 2029 तक अंतरिक्ष में 52 विशेष रक्षा सैटेलाइट भेजने का निर्णय लिया है. ये सभी सैटेलाइट अंतरिक्ष में भारत की आँख कान बनने वाले हैं. ये सैटेलाइट चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर लगातार नज़र रखेंगे और पृथ्वी तक सिग्नल, मैसेज और तस्वीरें भेजने में मदद करेंगे. इनमें से 21 सैटेलाइट इसरो बनाएगा और 31 सैटेलाइट निजी कंपनियाँ बनाएंगी.
जानिए अंतरिक्ष में जाने से पहले कैसी होती है Astronauts की ट्रेनिंग और क्या होता है स्पेस डाइट में.
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Ax-4 मिशन के तहत स्पेस स्टेशन पर पहुंचे. उनके साथ पैगी व्हिटसन, स्लावोश उज़नान्स्की और टिबोर कपु हैं. स्थायी टीम (एक्सपेडिशन 73) में सात अंतरिक्ष यात्री भी वहां मौजूद है. जानते हैं वहां 11 एस्ट्रोनॉट्स कौन-कौन हैं? क्या काम करते हैं?
शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम-4 टीम का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर गर्मजोशी से स्वागत हुआ. गले मिलकर और वेलकम ड्रिंक के साथ उनका स्वागत किया गया. वे 14 दिन माइक्रोग्रैविटी में रहेंगे, वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. भारतीय स्वाद का आनंद लेंगे. यह भारत के लिए गर्व का पल है.
शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन पहुंच गए हैं. चारों एस्ट्रोनॉट का स्टेशन पर मौजूद अंतरिक्षयात्रियों ने स्वागत किया. इसके बाद चारों मेहमानों को वेलकम ड्रिंक दी गई. इसी के साथ भारत का स्पेस स्टेशन पहुंचने का सपना पूरा हो गया. पहला भारतीय स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है.
भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 41 साल बाद इतिहास रचते हुए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में सफलतापूर्वक डॉक किया. 25 जून को नासा कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेस एक्स फाल्कन 9 रॉकेट पर ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए लॉन्च हुए शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट हैं. ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से कहा, 'नमस्कार फ्रॉम स्पेस'. यह डॉकिंग पृथ्वी से 418 किलोमीटर ऊपर हुई. अगले 14 दिनों तक वे ISS में रहेंगे और लगभग 60 रिसर्च की जाएंगी. देखें...
भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन की ओर बढ़ रहे ड्रैगन कैप्सूल से अपना एक्सपीरियंस शेयर किया. साथ ही यान से धरती का नजारा भी लिया. वो अपने साथियों के साथ हंसते-खेलते जा रहे स्पेस स्टेशन जा रहे हैं. थोड़ी देर बाद यान से डॉकिंग होगी.
शुभांशु शुक्ला का एक्सिओम-4 मिशन ISS के लिए अंतरिक्ष में है. यह भारत का दूसरा राकेश शर्मा पल है. शुभांशु 14 दिन तक वैज्ञानिक प्रयोग, योग और भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे. यह मिशन गगनयान की तैयारी और वैश्विक सहयोग का प्रतीक है. भारत का अंतरिक्ष सपना अब नई ऊंचाइयों को छू रहा है.
Shubhanshu Shukla के Space Mission से India को क्या फायदा? Former ISRO Chief Somanath ने समझाया