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लॉन्च पैड 39: जहां से नील आर्मस्ट्रांग की यात्रा शुरू हुई थी, वहीं से शुभांशु ने रचा इतिहास

कैनेडी स्पेस सेंटर का लॉन्च पैड 39A अंतरिक्ष अन्वेषण का एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है, जिसने नील आर्मस्ट्रांग को चंद्रमा तक पहुंचाया. अब शुभांशु शुक्ला को ISS तक ले जाएगा. 25 जून 2025 को होने वाला Ax-4 मिशन भारत के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण होगा.

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केनेडी स्पेस सेंटर का लॉन्च पैड 39. (फाइल फोटोः गेटी)
केनेडी स्पेस सेंटर का लॉन्च पैड 39. (फाइल फोटोः गेटी)

कैनेडी स्पेस सेंटर का लॉन्च पैड 39 नासा के सबसे प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक लॉन्च स्थलों में से एक है. यह वही जगह है, जहां से 1969 में नील आर्मस्ट्रांग और उनके साथी चंद्रमा के लिए रवाना हुए थे. अब, 25 जून 2025 को, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इसी लॉन्च पैड 39A से ऐक्सिओम मिशन-4 (Ax-4) के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरेंगे. यह भारत के लिए गर्व का क्षण है. आइए, इस ऐतिहासिक लॉन्च पैड में जानते हैं. 

कैनेडी स्पेस सेंटर और लॉन्च पैड 39 

कैनेडी स्पेस सेंटर (KSC) अमेरिका के फ्लोरिडा में मेरिट द्वीप पर स्थित है. इसे 1962 में नासा के अंतरिक्ष मिशनों के लिए बनाया गया था. लॉन्च पैड 39, जिसमें दो हिस्से हैं—39A और 39B—विश्व के सबसे महत्वपूर्ण अंतरिक्ष लॉन्च स्थलों में से एक है. इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं और ऐतिहासिक उपलब्धियां हैं... 

मिशन की स्पेशल कवरेज यहां देखें

नील आर्मस्ट्रांग की चंद्रमा यात्रा

Kennedy Space Centers Launch Pad 39

16 जुलाई 1969 को, लॉन्च पैड 39A से अपोलो 11 मिशन लॉन्च हुआ, जिसमें नील आर्मस्ट्रांग, बज़ एल्ड्रिन, और माइकल कॉलिन्स चंद्रमा के लिए रवाना हुए. आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा पर पहला कदम रखकर इतिहास रचा और कहा कि यह मेरे लिए एक छोटा कदम है, लेकिन मानवता के लिए एक बड़ी छलांग.

अपोलो मिशन

लॉन्च पैड 39A और 39B ने 1967 से 1973 तक सभी अपोलो मिशनों को लॉन्च किया, जो चंद्रमा की यात्रा के लिए बनाए गए थे. इसके बाद, इसने स्कायलैब और अपोलो-सोयूज़ मिशनों को भी समर्थन दिया.

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यह भी पढ़ें: Shubhanshu Shukla's Space Mission: अंतरिक्ष मिशन पर भारत के लाल शुभांशु शुक्ला... 10 प्वाइंट्स में उनका पूरा स्पेस मिशन

स्पेस शटल प्रोग्राम

1981 से 2011 तक, लॉन्च पैड 39 ने नासा के स्पेस शटल मिशनों के लिए काम किया. कुल 135 स्पेस शटल मिशन, जैसे डिस्कवरी, अटलांटिस और चैलेंजर यहीं से लॉन्च हुए.

स्पेसएक्स का योगदान

2008 से, लॉन्च पैड 39A को स्पेसएक्स ने लीज पर लिया है. स्पेसएक्स ने इसे फाल्कन 9 और फाल्कन हैवी रॉकेट्स के लिए बनाया किया है. आज, यह निजी अंतरिक्ष मिशनों का केंद्र बन गया है.

शुभांशु शुक्ला का मिशन और लॉन्च पैड 39A

Kennedy Space Centers Launch Pad 39

शुभांशु शुक्ला का मिशन, ऐक्सिओम मिशन-4 (Ax-4), लॉन्च पैड 39A से 25 जून 2025 को भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे पर लॉन्च होगा. यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि शुभांशु पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे जो ISS पर जाएंगे. आइए, इस मिशन के महत्वपूर्ण पहलुओं को देखें...

मिशन का विवरण: Ax-4 एक निजी अंतरिक्ष मिशन है, जिसे ऐक्सिओम स्पेस, नासा और स्पेसएक्स मिलकर संचालित कर रहे हैं. शुभांशु मिशन के पायलट होंगे और उनके साथ कमांडर पेगी व्हिटसन (पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री), पोलैंड की स्लावोश उज्नी और हंगरी की तिबोर कपु होंगे. यह मिशन स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए लॉन्च होगा.

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28 घंटे की यात्रा: ड्रैगन अंतरिक्ष यान को ISS तक पहुंचने में लगभग 28 घंटे लगेंगे. यह समय कक्षा समायोजन, सुरक्षा जांच और सटीक डॉकिंग प्रक्रिया के कारण लगता है. ड्रैगन को ISS की कक्षा के साथ तालमेल बिठाने के लिए कई फेजिंग मैन्यूवर्स करने पड़ते हैं, जो समय लेते हैं.

यह भी पढ़ें: Shubhanshu Shukla Axiom-4 Mission LIVE Updates: भारत के लिए ऐतिहासिक दिन! शुभांशु शुक्ला आज रवाना होंगे अंतरिक्ष स्टेशन, लॉन्चिंग के लिए मौसम भी 90% सुहाना

ISS पर शुभांशु का कार्य: शुभांशु ISS पर 14 दिन तक रहेंगे, जहां वह 7 भारतीय और 5 नासा वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. इनमें मूंग और मेथी उगाने, मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभाव का अध्ययन और योग जैसे प्रयोग शामिल हैं. वह भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे, जैसे मिठाइयां और एक खिलौना हंस ("जॉय") ले जाएंगे.

लॉन्च पैड 39A का महत्व: लॉन्च पैड 39A का उपयोग नील आर्मस्ट्रांग जैसे ऐतिहासिक मिशनों के लिए हुआ है. अब यह शुभांशु के मिशन का प्रारंभ बिंदु है, जो भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगा. यह पैड आधुनिक तकनीक और ऐतिहासिकता का अनूठा संगम है.

Kennedy Space Centers Launch Pad 39

लॉन्च पैड 39A की तकनीकी विशेषताएं

लॉन्च पैड 39A को बड़े और जटिल अंतरिक्ष मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसकी कुछ खास विशेषताएं हैं...

  • क्रॉलर-ट्रांसपोर्टर: यह एक विशाल मशीन है, जो रॉकेट्स को असेंबली बिल्डिंग से लॉन्च पैड तक ले जाती है. यह 3,000 टन तक वजन उठा सकती है.
  • लॉन्च टावर: पैड 39A का लॉन्च टावर फाल्कन 9 जैसे रॉकेट्स को ईंधन भरने, पेलोड जोड़ने और लॉन्च करने में मदद करता है.
  • सुरक्षा सुविधाएं: पैड में आपातकालीन निकास प्रणाली और अग्निशमन उपकरण हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं.
  • स्पेसएक्स का अनुकूलन: स्पेसएक्स ने पैड को फाल्कन 9 और ड्रैगन के लिए बदला है, जिसमें स्वचालित डॉकिंग और लैंडिंग सिस्टम शामिल हैं.
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