भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष स्टेशन यात्रा एक बार फिर टल गई है. नासा ने एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) के लॉन्च को, जो 22 जून 2025 को होने वाला था, स्थगित कर दिया है. यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि यह इन देशों की 40 साल बाद पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान होगी. लेकिन बार-बार देरी ने सवाल खड़े किए हैं.
एक्सिओम मिशन 4 क्या है?
एक्सिओम मिशन 4 एक निजी अंतरिक्ष उड़ान है, जिसे एक्सिओम स्पेस, नासा और स्पेसएक्स मिलकर संचालित कर रहे हैं. इस मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 14 दिन बिताएंगे. जहां वे माइक्रोग्रैविटी और जीव विज्ञान से जुड़े प्रयोग करेंगे. इस मिशन में भारत के शुभांशु शुक्ला पायलट की भूमिका निभाएंगे.
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कमांडर पैगी व्हिट्सन होंगी. अन्य दो यात्री पोलैंड के स्लावोस उज़नान्स्की-विस्निएव्स्की और हंगरी के टिबोर कपु हैं. शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे, जो 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाएंगे. भारत ने इस मिशन के लिए 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. यह भारत के गगनयान मिशन की तैयारियों का भी हिस्सा है.
लॉन्च में देरी का पूरा टाइमलाइन
एक्सियॉम मिशन 4 का लॉन्च कई बार टाला जा चुका है. यहां इसका पूरा टाइमलाइन है...
लॉन्च में देरी के कारण
एक्सिओम मिशन 4 के लॉन्च में बार-बार देरी के कई कारण हैं...
फाल्कन 9 रॉकेट में तकनीकी खराबी: मई और जून में लॉन्च को कई बार टाला गया क्योंकि स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन लीक की समस्या थी. इसरो ने सुझाव दिया कि रॉकेट की मरम्मत और कम तापमान पर लीक टेस्ट किया जाए. 14 जून तक इसरो ने पुष्टि की कि यह समस्या हल हो गई थी.
खराब मौसम: 9 और 10 जून को खराब मौसम के कारण लॉन्च को स्थगित करना पड़ा. फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च के लिए मौसम का अनुकूल होना जरूरी है.
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ज़्वेज़्दा सर्विस मॉड्यूलः ISS के रूसी हिस्से, ज़्वेज़्दा सर्विस मॉड्यूल में हाल की मरम्मत के बाद दबाव की समस्या (प्रेशर सिग्नेचर) देखी गई. नासा और रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस इसकी जांच कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो कि ISS नए चालक दल को समायोजित करने के लिए तैयार है. इस मरम्मत के बाद डेटा की समीक्षा के लिए अतिरिक्त समय चाहिए, जिसके कारण लॉन्च टाला गया.
ISS की जटिल प्रणालियां
ISS के सिस्टम एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. ज़्वेज़्दा मॉड्यूल की मरम्मत के बाद नासा यह सुनिश्चित करना चाहता है कि स्टेशन पूरी तरह सुरक्षित हो. हाल के दबाव असामान्यता ने इस जांच को और महत्वपूर्ण बना दिया.
इस देरी से जुड़ा डर
एक्सिओम मिशन 4 की बार-बार देरी ने कई तरह की चिंताओं को जन्म दिया है...
अंतरिक्ष स्टेशन की सुरक्षा: ज़्वेज़्दा मॉड्यूल में दबाव की समस्या एक गंभीर मुद्दा है. अगर इसे पूरी तरह ठीक नहीं किया गया, तो यह ISS पर मौजूद और आने वाले चालक दल के लिए खतरा हो सकता है. नासा का कहना है कि यह लीक छोटा है. असामान्य नहीं है, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है.
मिशन की समय-सीमा: मिशन में भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए ऐतिहासिक महत्व है. देरी से इन देशों की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं पर असर पड़ सकता है. इसरो के सात प्रयोगों के लिए समय-संवेदनशील नमूने तैयार किए गए हैं, जिन्हें देरी के कारण ताज़ा करना पड़ सकता है.
आर्थिक और तकनीकी दबाव: भारत ने इस मिशन के लिए 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. बार-बार देरी से लागत बढ़ सकती है. तकनीकी समस्याओं का समाधान करने में और समय लग सकता है.
स्पेसएक्स की विश्वसनीयता: हाल ही में टेक्सास में स्पेसएक्स स्टारशिप रॉकेट के एक नियमित ग्राउंड टेस्ट के दौरान विस्फोट हो गया. हालांकि यह एक्सिओम मिशन 4 के फाल्कन 9 रॉकेट से अलग है, लेकिन इस घटना ने स्पेसएक्स की तकनीकी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए हैं.
वर्तमान स्थिति
नासा, एक्सिओम स्पेस और स्पेसएक्स जल्द ही नई लॉन्च तारीख की घोषणा करेंगे. चालक दल फ्लोरिडा में क्वारंटाइन में है. लॉन्च के लिए तैयार है. फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट केनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A पर स्वस्थ स्थिति में हैं.
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा भारत के लिए एक गर्व का क्षण है, लेकिन बार-बार देरी ने इस मिशन को चुनौतीपूर्ण बना दिया है. नासा और उसके सहयोगी ISS की सुरक्षा और तकनीकी विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरत रहे हैं. ज़्वेज़्दा मॉड्यूल की मरम्मत और फाल्कन 9 की तकनीकी समस्याओं का समाधान होने के बाद ही लॉन्च होगा. यह देरी भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए निराशाजनक हो सकती है, लेकिन सुरक्षा पहली प्राथमिकता है.