AX-4 मिशन, जिसे Axiom Mission 4 के नाम से जाना जाता है, एक वाणिज्यिक (निजी) मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है, जिसे अमेरिकी कंपनी Axiom Space ने NASA और SpaceX के सहयोग से 8 जून को फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च करेगा. यह मिशन पहले 29 मई को लॉन्च होने वाला था, लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण टल गया.
यह मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर भेजा गया चौथा निजी मिशन है, जो अंतरिक्ष में वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और निजी यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की दिशा में एक और बड़ा कदम है.
चार क्रूमेट में भारतीय पायलट शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) भी शामिल हैं. शुभांशु शुक्ला को इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम (HSP) के तहत चुना गया था.
AX-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य निजी यात्रियों को ISS तक पहुंचाना और वहां वैज्ञानिक अनुसंधान, तकनीकी परीक्षण, और शैक्षिक गतिविधियों को अंजाम देना है. इसके अतिरिक्त, यह मिशन यह दिखाने के लिए भी महत्वपूर्ण है कि कैसे निजी कंपनियां भविष्य में लो-अर्थ ऑर्बिट (Low Earth Orbit - LEO) में अपने स्वयं के अंतरिक्ष स्टेशन चला सकती हैं.
AX-4 मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्रियों का दल अंतरराष्ट्रीय था, जिसमें वैज्ञानिक, पूर्व अंतरिक्ष यात्री, और निजी अंतरिक्ष यात्री शामिल थे. मिशन में पेशेवरों और निजी प्रतिभागियों का यह संयोजन अंतरिक्ष में बहुआयामी सहयोग की झलक देता है.
शुभांशु शुक्ला ने इस मिशन के तहत 20 दिन अंतरिक्ष में गुजारे. इनमें से 18 दिन उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर बिताए. वह 26 जून को आईएसएस पर पहुंचे थे और 15 जुलाई को पृथ्वी पर वापस लौटे.
पीएम मोदी संग मुलाकात में शुभांशु शुक्ला ने अपने मिशन की चुनौतियों और रोमांच को साझा किया, जिसमें उन्होंने इंटरनेशनल क्रू के साथ ISS पर लंबे समय तक अलग-अलग ऑपरेशन में हिस्सा लिया और कई एक्सपेरिमेंट्स किए.
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा और वापसी भारत के अंतरिक्ष इतिहास में गर्व का क्षण है. रविवार को भारत लौटने के बाद वे पीएम मोदी से मिलेंगे. फिर लखनऊ जाएंगे. उनकी कहानी न सिर्फ देशवासियों को प्रेरित करती है, बल्कि भारत को अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयों तक ले जाने का संदेश भी देती है.
शुभांशु शुक्ला का स्टेम सेल प्रयोग न केवल अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत के लिए, बल्कि कैंसर जैसे गंभीर रोगों के इलाज में भी उम्मीद जगाता है. अगर यह धरती पर लागू हो गया, तो लाखों मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती है. यह शोध भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान देगा. चिकित्सा विज्ञान में क्रांति ला सकता है.
शुभांशु शुक्ला 18 दिनों तक स्पेस स्टेशन पर रहे. इस दौरान वो 60 अलग-अलग एक्सपेरिमेंट का हिस्सा बने. ISRO के सात प्रयोग किए. पीएम नरेंद्र मोदी, इसरो चीफ और स्कूल के बच्चों से बात की. उनके मिशन वैज्ञानिक शोध, जनसंपर्क और भारत के गगनयान मिशन के लिए तैयारी शामिल थी.
14 दिन स्पेस में रहने के बाद भी शुभांशु शुक्ला की दाढ़ी क्यों नहीं बढ़ी? जानिए अंतरिक्ष में शेविंग और हेयरकट की खास तकनीक और NASA का तरीका.
शुभांशु शुक्ला ने 15 जुलाई दोपहर 3:00 बजे कैलिफोर्निया तट पर लैंड कर लिया है. 18 दिन की ISS यात्रा के बाद ड्रैगन कैप्सूल 27000 किमी/घंटा की रफ्तार से वायुमंडल में प्रवेश कर गया. इस दौरान तापमान 1600°C के आसपास रहा. ड्रैगन कैप्सूल पैराशूट से समुद्र में उतरा.
शुभांशु शुक्ला की समुद्र में लैंडिंग भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक सुनहरा अध्याय जोड़ती है. ग्रेस यान के साथ उनकी वापसी न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि देश के लिए प्रेरणा भी है. 10 दिन के आइसोलेशन के बाद वे नॉर्मल लाइफ में लौटेंगे, लेकिन उनकी यह यात्रा हमेशा याद रखी जाएगी.
ड्रैगन और Ax-4 क्रू 15 जुलाई 2025 को सैन डिएगो तट पर स्प्लैशडाउन के साथ पृथ्वी पर लौटेंगे. सोनिक बूम के साथ उनकी वापसी एक यादगार पल होगी. अंतरिक्ष में ग्रुप फोटो का अनोखा तरीका और वैज्ञानिक प्रयोगों का डेटा इस मिशन को खास बनाते हैं.
Ax-4 मिशन के अंतर्गत भारत के शुभांशु शुक्ला 15 जुलाई 2025 को पृथ्वी पर लौटे. स्पेसएक्स ड्रैगन यान ने सैन डिएगो तट पर सफल स्प्लैशडाउन किया. जानें वापसी की पूरी प्रक्रिया, मिशन का सफर और शुक्ला के लिए आगे की योजना.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से अपना मिशन पूरा कर धरती पर लौट रहे हैं एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला. चारों एस्ट्रोनॉट के साथ उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 15 जुलाई यानि आज दोपहर करीब 3 बजे कैलिफोर्निया में स्प्लैशडाउन करेगा.
एक्सिओम मिशन 4 का समापन ड्रैगन के ISS से अलग होने के साथ हुआ, जो एक नई शुरुआत का संकेत है. शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौटेगी, अपने साथ 60 से अधिक प्रयोगों का डेटा लेकर. यह मिशन न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया अध्याय भी है.
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला एक्सिओम मिशन 4 के तहत ISS से 14 जुलाई 2025 को लौटेंगे. स्पेसएक्स ड्रैगन यान 263 किग्रा कचरा लाएगा. दो अंतरिक्ष यात्री ISS पर रहेंगे. नासा शाम 4:15 बजे IST से अनडॉकिंग का सीधा प्रसारण करेगा. मिशन में भारत, पोलैंड, हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों ने 60+ प्रयोग किए.
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को ISS यानि international space station से धरती की तरफ रवाना होंगे. शुभांशु शुक्ला जिस यान से वापस पृथ्वी पर लौट रहे हैं उसमें 580 पाउंड यानि लगभग दो सौ तिरेसठ किलोग्राम स्पेस स्टेशन का कचरा भी होगा
शुरुआत में, कुछ लोगों ने इसरो की चिंताओं को जरूरत से ज्यादा सतर्कता बताकर खारिज कर दिया, लेकिन इसरो चीफ वी नारायणन ने जोर देकर कहा कि यह मिशन और अंतरिक्ष यात्रियों का जीवन बचाने वाला एक शानदार फैसला था.
15 जुलाई को शुभांशु शुक्ला की वापसी भारत के वैज्ञानिक समुदाय और देश के लिए गर्व का पल होगी. शुभांशु शुक्ला की वापसी भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को और मजबूती देगी. नासा का सीधा प्रसारण हमें इस रोमांचक सफर का हिस्सा बनने का मौका देगा.
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई 2025 को International space station यानी ISS से लौटने वाले हैं उनकी वापसी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के ज़रिए होग.. axiom four मिशन का क्रू 14 जुलाई को शाम करीब साढ़े चार बजे ISS से अलग होगा.
14 जुलाई 2025 की शाम 4:35 बजे के आसपास ड्रैगन कैप्सूल के ISS से अलग होने के साथ शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम पृथ्वी पर वापस आएगी. यह भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय होगा. उनकी वापसी न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा भी है कि मेहनत और शिक्षा से सपने पूरे किए जा सकते हैं.
शुभांशु शुक्ला और Axiom-4 क्रू की धरती पर वापसी 14 जुलाई से पहले संभव नहीं है. फ्लोरिडा तट पर खराब मौसम, ISS में प्रेशर लीक की जांच और तकनीकी तैयारियों से 3-4 दिन की देरी हो सकती है. वापसी में ड्रैगन कैप्सूल अनडॉकिंग, री-एंट्री और अटलांटिक महासागर में स्प्लैशडाउन होगा.
भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन के तहत international space station पर 12 दिन से हैं..अब शुभांशु और Axiom-four क्रू की धरती पर वापसी 14 जुलाई से पहले मुमकिन नहीं है.
शुभांशु शुक्ला और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री 10 जुलाई 2025 के बाद किसी भी दिन पृथ्वी पर लौट सकते हैं, बशर्ते फ्लोरिडा तट पर मौसम ठीक हो. नासा ने अभी इस मिशन के ISS से अलग होने की तारीख की घोषणा नहीं की है. यह मिशन 14 दिन तक ISS पर रह सकता है.