scorecardresearch
 

इस बार बारिश ज्यादा हो रही या मौसम के 'सरप्राइज' से मच रही इतनी तबाही? कश्मीर से पंजाब-दिल्ली तक बाढ़ का कहर

हिमालयी राज्य उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर भारी बारिश, भूस्खलन, बादल फटने और फ्लैश फ्लड से जूझ रहे हैं. अगस्त 2025 में उत्तर-पश्चिम भारत में 265 मिमी बारिश हुई, जो 2001 के बाद सबसे ज्यादा है. IMD ने सितंबर में 109% ज्यादा बारिश की चेतावनी दी है. विकास मॉडल गलत है, मौसम पूर्वानुमान बेहतर है लेकिन चेतावनी पर अमल न होने से नुकसान बढ़ता है.

Advertisement
X
असम के होजाई जिले की जरानी गांव में बाढ़ग्रस्त इलाके को पार करती हुई एक महिला, जिसके घर का ज्यादातर सामान बह गया. (File Photo: PTI)
असम के होजाई जिले की जरानी गांव में बाढ़ग्रस्त इलाके को पार करती हुई एक महिला, जिसके घर का ज्यादातर सामान बह गया. (File Photo: PTI)

पिछले कुछ दिनों से हिमालयी राज्य उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर लगातार प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हो रहे हैं. भारी बारिश, भूस्खलन, बादल फटना और अचानक बाढ़ ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली है. सड़कें-ब्रिज ध्वस्त हो गए हैं. हजारों लोग बेघर हो चुके हैं.

अगस्त 2025 में उत्तर-पश्चिम भारत में 2001 के बाद सबसे ज्यादा 265 मिमी बारिश हुई, जो रिकॉर्ड तोड़ने वाली है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने सितंबर 2025 के लिए सामान्य से 109% ज्यादा बारिश की चेतावनी दी है, जिससे और तबाही का खतरा बढ़ गया है.

यह भी पढ़ें: सूडान में भूस्खलन का कहर... पूरा गांव मलबे में दबा, 1000 से ज्यादा मौतें, सिर्फ एक इंसान बचा

 Extreme Weather Surprises
हिमाचल प्रदेश के मंडी की हालत. (File Photo: PTI)

अगस्त 2025 की तबाही: हिमालयी राज्यों में क्या हुआ?

अगस्त 2025 मॉनसून का सबसे विनाशकारी महीना साबित हुआ. IMD की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर-पश्चिम भारत में 265 मिमी बारिश हुई, जो 1901 के बाद 13वीं सबसे ज्यादा है. जम्मू-उधमपुर में 24 घंटे में 380-630 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई, जो 99 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया. 

यह भी पढ़ें: बारिश की गलती या शहर की... हर बार क्यों 'स्वीमिंग पूल' बन जाता है गुरुग्राम?

Advertisement
  • हिमाचल प्रदेश: 320 मौतें, 788 सड़कें बंद, 2174 ट्रांसफॉर्मर डैमेज. मंडी, कुल्लू, शिमला में भूस्खलन से NH-3, NH-5 बंद. ब्यास नदी उफान पर, मनाली-लेह हाईवे ध्वस्त. कुल 23 फ्लैश फ्लड, 19 क्लाउडबर्स्ट, 16 भूस्खलन. 
  • उत्तराखंड: धराली, उत्तरकाशी में फ्लैश फ्लड, पिथौरागढ़ में 19 NHPC वर्कर फंसे।. देहरादून, टिहरी, नैनीताल में रेड अलर्ट. 10 मौतें, 75 सड़कें बंद. 
  • जम्मू-कश्मीर: वैष्णो देवी रूट पर भूस्खलन से 30+ मौतें, 20 घायल. जम्मू में तवी नदी का ब्रिज गिरा, 368 मिमी बारिश. डोडा, रीशी में बाढ़. स्कूल 3 सितंबर तक बंद. 
  • पंजाब में ब्यास, सतलुज, रावी उफान पर, 3 लाख एकड़ फसल बर्बाद, 7 जिले डूबे. केंद्र सरकार ने IMCT टीमें भेजीं – हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब, जेकेआर के लिए 
 Extreme Weather Surprises
दिल्ली में डूबा हुआ अंडरपास. (File Photo: PTI)

मौसम की मार नहीं, विकास की गलतियां जिम्मेदार

भारतीय मौसम विज्ञान सोसायटी के अध्यक्ष और पूर्व IMD अधिकारी आनंद शर्मा ने राजेश डोबरियाल से बातचीत में कहा कि मौसम पूर्वानुमान बेहतर हो रहा है, लेकिन चेतावनियों पर प्रतिक्रिया न देना बड़ी समस्या है. 

चेतावनी सिस्टम की चुनौतियां: वेल डिफाइंड सिस्टम (जैसे चक्रवात) पर 2-4 दिन पहले अलर्ट संभव, लेकिन मेजोस्केल सिस्टम (10-100 किमी) में बादल 15 किमी ऊपर बनकर 1 घंटे में भारी बारिश कर देता है. रडार-सैटेलाइट से पता चलने पर सिर्फ 10-15 मिनट मिलते हैं. रात में गतिविधि हो तो बताना मुश्किल – मोबाइल बंद, नेटवर्क फेल, रेडियो-टीवी बंद. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: बाढ़, "बाढ़, बारिश और नदियों में उफान, शहर से गांव तक जलमग्न... पंजाब में इस बार इतनी क्यों मच रही है तबाही?

समाधान: ऑल वेदर कम्युनिकेशन सिस्टम, हैम रेडियो से कम्युनिटी रेडियो, स्थानीय ट्रेनिंग. धराली-चिशोती फ्लैश फ्लड कैचमेंट एरिया (20-50 किमी ऊपर) की बारिश से आए – रडार/AWS की कमी. हिमालय का जटिल भूगोल हर घाटी का अलग मौसम, ज्यादा रडार-AWS लगाने पड़ेंगे. 100 साल डाटा से पैटर्न देखें, कैचमेंट पर फोकस. 

 Extreme Weather Surprises
ऊधमपुर में टूटी सड़क. (File Photo: PTI)

विकास मॉडल गलत: नदियों-गदेरों का अतिक्रमण, पेड़-पौधे न लगाना. जापान जैसे वन बेल्ट बनाएं. प्लानिंग प्रकृति अनुरूप हो – नदी से दूर घर. अंग्रेजों ने सॉलिड पहाड़ चेक कर बायलॉ बनाए, उनकी रेल-सड़कें सुरक्षित. अब देहरादून-मालदेवता सड़क नदी में घुसकर बनी, वो भी टूटेगी. कुल्लू में ब्यास के साथ सड़क, रिस्पना नदी बदली. विधानसभा-यूनिवर्सिटी नदी किनारे. 

जलवायु परिवर्तन: ग्लेशियर पिघल, बाढ़ आ रही, लेकिन असली वजह लैंड यूज चेंज. फ्लैश फ्लड पहाड़ों का फीचर, बाढ़ सफाई के लिए जरूरी. सस्टेनेबल डेवलपमेंट 2030 लक्ष्य के लिए प्लानिंग सही हो. मौसम कोसें नहीं, जागरूक हों – चेतावनी से प्लान बनाएं, नदी से दूर रहें. गुड गवर्नेंस न हो तो पर्यावरण न बचेगा. 

 Extreme Weather Surprises
गया में फलगू नदी. (File Photo: PTI)

IMD का सितंबर 2025 पूर्वानुमान: और भारी बारिश, खतरे बढ़े

Advertisement

IMD डायरेक्टर जनरल डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने 31 अगस्त 2025 को कहा कि सितंबर में 109% से ज्यादा बारिश (LPA 167.9 मिमी) होगी.  जून से अब तक 743.1 मिमी (6.1% ज्यादा) हुई. 

  • क्षेत्रवार: उत्तर-पश्चिम 26.7% ज्यादा, मध्य 8.6%, दक्षिण 9.3%. पूर्वी-उत्तर-पूर्वी 17.8% कम. 
  • खतरे: उत्तराखंड में भूस्खलन-फ्लैश फ्लड, दिल्ली-दक्षिण हरियाणा-उत्तर राजस्थान में बाढ़. छत्तीसगढ़ में महानदी कैचमेंट प्रभावित. 
  • मिनी क्लाउडबर्स्ट (50 मिमी/घंटा) बढ़े, पूर्वानुमान असंभव. 
  • तापमान: दिन का सामान्य/कम (उत्तर-पश्चिम, पश्चिम-मध्य, दक्षिण), ज्यादा (पूर्वी, उत्तर-पूर्वी, पश्चिमी तट). रात का ज्यादातर ज्यादा. 
  • कारण: 1980 से सितंबर बारिश बढ़ी, वापसी 1 से 17 सितंबर हो गई. पश्चिमी विक्षोभ-मॉनसून टकराव. ENSO तटस्थ, ला-नीना संभव. 
  • फायदे-नुकसान: खेती-जलाशयों को फायदा, लेकिन बाढ़, भूस्खलन, स्वास्थ्य संकट. इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत, अर्ली वार्निंग, पारिस्थितिकी संरक्षण जरूरी. 

अगस्त की तबाही (320+ मौतें हिमाचल में) और सितंबर की चेतावनी बताती है कि जलवायु परिवर्तन के साथ विकास की गलतियां आपदाओं को बढ़ा रही हैं. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement