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बारिश की गलती या शहर की... हर बार क्यों 'स्वीमिंग पूल' बन जाता है गुरुग्राम?

गुरुग्राम हर बारिश में डूब जाता है क्योंकि ड्रेनेज सिस्टम फेल है. सड़कें पानी में, गाड़ियां रेंगती हैं, ट्रैफिक जाम घंटों रहता है. प्राकृतिक नाले नष्ट हो गए, कचरा जमा है और प्लानिंग खराब है. सरकार पंप लगाती है, लेकिन मजबूत ड्रेनेज और जलाशयों की जरूरत है.

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गुरुग्राम हर मॉनसून में ऐसा ही नजारा दिखाता है. ट्रैफिक जाम लगता है. जलभराव होता है. (Photo: PTI)
गुरुग्राम हर मॉनसून में ऐसा ही नजारा दिखाता है. ट्रैफिक जाम लगता है. जलभराव होता है. (Photo: PTI)

गुरुग्राम, जिसे मिलेनियम सिटी भी कहते हैं, हर मॉनसून में बाढ़ की चपेट में आ जाता है. सड़कें डूब जाती हैं. कारें रेंगने लगती हैं. घंटों ट्रैफिक जाम लग जाता है. लोग परेशान हो जाते हैं. 2025 के मॉनसून में भी, जुलाई-अगस्त-सितंबर में हुई भारी बारिश ने शहर को ठप कर दिया. 

गोल्फ कोर्स रोड, सोहना रोड, एनएच-8 जैसे इलाकों में पानी भर गया, घरों में घुस गया और कई जगहों पर बिजली कट गई.  यह समस्या बारिश की है या शहर की प्लानिंग की है या ड्रेनेज सिस्टम क्यों फेल होता है?

बारिश की गलती या शहर की... असली वजह क्या?

गुरुग्राम में औसतन सिर्फ 600 मिमी बारिश होती है, जो कोच्चि जैसे शहरों (3,000 मिमी) से बहुत कम है. फिर भी, यहां हर मध्यम बारिश में बाढ़ आ जाती है. यह शहर की खराब प्लानिंग की वजह से है. 1970-80 के दशक में, कई प्राइवेट कंपनियों ने तेजी से विकास किया, लेकिन बिना किसी बड़े प्लान के.

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gurugram swimming pool flood

सरसों के खेतों पर हाईराइज और हाईवे बन गए, लेकिन रोड्स में सही ढलान (ग्रेडिएंट) नहीं रखा गया. अरावली पहाड़ियों से पानी उत्तर की ओर बहता है, लेकिन प्राकृतिक नालों को नष्ट कर दिया गया. पहले 60 नेचुरल कैनाल थे, अब सिर्फ 4 बचे हैं.  

कंक्रीट की वजह से जमीन पानी सोख नहीं पाती. कंक्रीट में पानी सिर्फ 2 फीसदी ही जमीन अंदर जाता है. कंक्रीट ड्रेन पानी को सोखने नहीं देते, बल्कि बाढ़ बढ़ाते हैं. रैपिड अर्बनाइजेशन से ड्रेनेज सिस्टम पुराना पड़ गया, जो आज की पॉपुलेशन के लिए काफी नहीं. तो बारिश कम है, लेकिन शहर की गलत प्लानिंग जिम्मेदार है.

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ड्रेनेज सिस्टम क्यों फेल होता है? मुख्य कारण

गुरुग्राम का ड्रेनेज सिस्टम मॉनसून के पहले ही हार मान लेता है. 2020 से ही पांच मुख्य वजहें हैं: सीमित ड्रेनेज कैपेसिटी, प्राकृतिक ड्रेन में बाधा, देरी से मॉनसून तैयारी, कचरा जमा होना और मेंटेनेंस की कमी.

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  • कमजोर ड्रेनेज नेटवर्क: शहर के तीन मुख्य स्टॉर्मवॉटर ड्रेन (जैसे बादशाहपुर ड्रेन) पुराने हैं और पॉपुलेशन के साथ बढ़े नहीं. वे ओवरफ्लो हो जाते हैं. GMDA ने 2031 प्लान के लिए कंसल्टेंट हायर किया है, लेकिन अभी तक स्टडी पूरी नहीं हुई. 
  • प्राकृतिक जल निकायों का नुकसान: 1956 में 640 जलाशय थे, अब 251 बचे. घाटा झील (370 एकड़) अब डंपिंग ग्राउंड बन गई. खाला (84 एकड़) और जोहर जैसे जलाशय कंस्ट्रक्शन वेस्ट से दब गए, जिससे पानी सोखने की क्षमता खत्म हो गई. 
  • अतिक्रमण और कचरा: एनक्रोचमेंट से नेचुरल ड्रेन ब्लॉक हो जाते हैं. 2016 से MCG ने 500 करोड़ खर्च किए, लेकिन 100 वाटरलॉगिंग स्पॉट्स वही हैं – NH-8, नरसिंहपुर, हीरो होंडा चौक. कचरा ड्रेन चोक कर देता है, खासकर मॉनसून में.
  • अनप्लांड कंस्ट्रक्शन: प्राइवेट रीयल इस्टेट कंपनियों ने 52 गांव खरीदे, लेकिन ओवरसाइट की कमी से ड्रेनेज इग्नोर हो गया  टोपोग्राफी को इग्नोर किया गया, रोड्स में ढलान नहीं.
  • मेंटेनेंस और कोऑर्डिनेशन की कमी: कई एजेंसियां (MCG, GMDA, NHAI) हैं, लेकिन कोऑर्डिनेशन नहीं. अनफिनिश्ड प्रोजेक्ट्स जैसे हीरो होंडा चौक और SPR पर 2024 में भी काम रुका.

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हर बार तबाही का मंजर: सड़कें डूबीं, ट्रैफिक जाम, घर प्रभावित

हर मॉनसून में यही होता है. 2025 जुलाई में 133 मिमी बारिश से शहर ठप हो गया. गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड, सोहना रोड पर 3-4 फीट पानी भर गया, कारें फंस गईं, लोग घंटों जाम में अटके.एक महिला ने वीडियो शेयर किया, जहां 100 करोड़ के फ्लैट में पानी घुस गया. 

एक निजी कंपनी के CEO ने कहा कि 10 करोड़ का फ्लैट खरीदो, लेकिन 1 घंटे की बारिश में वेनिस जैसा हो जाता है. अंडरपास जैसे IFFCO चौक डूब जाते हैं, बेसमेंट भर जाते हैं.2023 में 105 मिमी बारिश से कई सोसाइटियों में 10 फीट पानी भर गया. ट्रैफिक जाम 4 घंटे तक, लोग घर नहीं पहुंच पाते. स्वास्थ्य जोखिम बढ़ता है – डेंगू, मलेरिया का खतरा.

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लोगों की जिंदगी पर क्या असर?

गुरुग्राम की पॉपुलेशन 20 लाख से ज्यादा है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर पुराना. अनप्लांड अर्बनाइजेशन से फ्लडप्लेन्स पर बिल्डिंग्स बन गईं. रोड्स पर जाम, ऑफिस लेट, बिजनेस लॉस होता है. कचरा न उठने से ड्रेन ब्लॉक, स्वास्थ्य हेजर्ड बढ़ा. 2025 में 5 मौतें हुईं – इलेक्ट्रोक्यूशन से. गरीब इलाकों में ज्यादा नुकसान, लेकिन लग्जरी सोसाइटियां भी नहीं बचीं.

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सरकार और अथॉरिटी क्या कर रही? 

MCG और GMDA ने 500 करोड़ खर्च किए, लेकिन रिजल्ट जीरो. 2025-26 में 15.7 करोड़ ड्रेन क्लीनिंग पर गए. 141 पंप और 77 टैंकर लगाए गए. लेकिन RWAs कहते हैं, क्लीनिंग 2023 से नहीं हुई. 

समाधान: स्पॉन्ज सिटी कॉन्सेप्ट – ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर, वाटर बॉडीज रिस्टोर, रेनवाटर हार्वेस्टिंग लागू करना होगा. अनप्लांड कंस्ट्रक्शन रोकें, ड्रेन मॉडर्नाइज करें. NDMA गाइडलाइंस फॉलो करें.

गुरुग्राम की बाढ़ बारिश की नहीं, बल्कि खराब प्लानिंग, ड्रेनेज फेलियर और अतिक्रमण की गलती है. हर बार सरेंडर मोड में आना बंद होना चाहिए. सरकार को जल्द मजबूत ड्रेनेज, नेचुरल वाटर बॉडीज रिस्टोर और कोऑर्डिनेशन बढ़ाना होगा. वरना, यह मिलेनियम सिटी हमेशा 'स्विमिंग पूल' बने रहेगा.

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