2025 भी हर साल की तरह राजनीतिक घटनाओं से भरा रहा, और देश भर में विवाद और बहस हुई. सबसे बड़ा वाकया तो इस लिहाज से ऑपरेशन सिंदूर रहा, जब पूरा देश एकजुट नजर आया. क्या सत्ता पक्ष और क्या विपक्ष, अगर सीजफायर पर आरोप-प्रत्यारोप को दरकिनार कर दें तो जिस तरह सभी दलों के सांसदों की अलग-अलग टीम बनाकर दुनिया में भारत का पक्ष समझाने के लिए भेजी गई, उसने अनूठी मिसाल पेश की.
जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा और वोट चोरी के आरोपों के बीच चुनाव आयोग की तरफ से SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण कराए जाने को लेकर भी खासा विवाद हुआ. कांग्रेस नेता राहुल गांधी तो SIR के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ, 'वोट चोर, गद्दी छोड़' मुहिम ही चलाने लगे हैं. 2025 में देश की न्यायपालिका भी कुछ घटनाओं और विवादों की वजह से सुर्खियों का हिस्सा बनी.
1. ऑपरेशन सिंदूर, और फिर डिप्लोमैटिक स्ट्राइक
ऑपरेशन सिंदूर 2025 की ऐसी घटना है, जिसने देश के साथ साथ दुनिया भर में अपना असर दिखाया है. केंद्र में बीजेपी के शासनकाल की ये तीसरी सर्जिकल स्ट्राइक है. और, पाकिस्तान के खिलाफ उरी और बालाकोट के बाद ये सबसे बड़ा एक्शन रहा.
जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया. ऑपरेशन सिंदूर में सरहद पार पाकिस्तान में बने कई आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया गया - और 125 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए. पहलगाम हमले में लश्कर से जुड़े आतंकी ग्रुप TRF के दहशदगर्दों ने 26 सैलानियों से उनका धर्म पूछकर गोली मार दी थी.
6 और 7 फरवरी की रात ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया, और बाद में पाकिस्तान के साथ बातचीत के बाद सीजफायर लागू कर दिया गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सीजफायर के लिए बीच बचाव का दावा रहा है, जिसे भारत सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है.
ट्रंप के दावे पर भारत में भी खूब राजनीति हुई. विपक्षी गठबंधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से सीजफायर के मामले में जवाब मांगता रहा, और चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग भी होती रही. विशेष सत्र तो नहीं बुलाया गया, लेकिन सत्र शुरू हुआ तो उसमें चर्चा जरूर हुई.
ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष रखने के लिए विदेश भेजे गए प्रतिनिधिमंडल को लेकर भी सत्ता पक्ष और विपक्ष में जोरदार टकराव हुआ. पहलगाम हमले से लेकर ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद तक कांग्रेस नेता शशि थरूर सरकार के पक्ष में खड़े देखे गए, जो उनकी पार्टी को बेहद नागवार गुजरा. ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस भी शुरू में सरकार पर हमलावर थी, लेकिन बाद में सरकार के साथ हो गई.
भारत सरकार का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ होल्ड किया गया है, और अभी खत्म नहीं हुआ है.
2. दो बड़े विधानसभा चुनाव परिणाम
2025 में देश की दो विधानसभाओं के चुनाव हुए, और दोनों ही नतीजे अप्रत्याशित रहे. दिल्ली का भी, और बिहार के भी.
बिहार चुनाव में नीतीश कुमार की सत्ता में वापसी से भी महत्वपूर्ण रहा विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल का महज 25 सीटों पर सिमट जाना. बिहार चुनाव के नतीजों ने 2014 के लोकसभा चुनाव की याद दिला दी. हालांकि, तेजस्वी यादव की आरजेडी को इतनी सीटें जरूर मिल गईं, जिससे नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सके.
2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन हो गया. आम आदमी पार्टी को शिकस्त देकर भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में भी सत्ता पर काबिज हो गई, और रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री बन गईं.
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की वैसे ही विदाई हो गई, जैसे 2013 के चुनावों में उनकी जोरदार एंट्री हुई थी. तब अरविंद केजरीवाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को शिकस्त दी थी, और इस बार वो खुद ही अपनी सीट से हार गए. हारने वालों में आम आदमी पार्टी का बड़ा चेहरा मनीष सिसोदिया भी शामिल रहे.
3. ट्रंप टैरिफ बनाम रूसी तेल आयात, दबाव में विदेश नीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाया. लेकिन, भारत का मामला थोड़ा अलग रहा. ऑपरेशन सिंदूर में सीजफायर कराने के उनके दावे को खारिज किए जाने के बाद 27 अगस्त से भारत पर ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया. यह कहकर कि सजा है रूसी तेल आयात करने की, जिससे पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए पैसा मिल रहा है. ट्रंप टैरिफ के बाद विपक्ष ने मोदी-ट्रंप दोस्ती को मुद्दा बनाकर बीजेपी सरकार की विदेश नीति पर हमला किया.
हालांकि, ट्रंप टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर नहीं दिखा. और अब तो निर्यात भी दम दिखाने लगा है. नवंबर महीने में भारतीय निर्यात के आंकड़े में बड़ा उछाल दर्ज किया गया है, जबकि आयात में गिरावट दर्ज की गई है. हुआ ये है कि अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की मांग लगातार जारी है, टैरिफ की वजह से भारतीय सामान की कीमतें बढ़ने के बावजूद मांग में कमी नहीं आई है. जहां तक रूसी तेल आयात की बात है, साल का अंत आते आते भारत के रूस से तेल आयात पर काफी कमी है.
4 वक्फ (संशोधन) अधिनियम
8 अप्रैल से देशभर में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 लागू कर दिया गया है. वक्फ संशोधन बिल 2 अप्रैल को लोकसभा से और 3 अप्रैल को राज्यसभा से पास हुआ था. 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बना था.
रिपोर्ट के मुताबिक, वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का मकसद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना, विभिन्न मुस्लिम समुदायों की भागीदारी बढ़ाना और सामाजिक कल्याण को मजबूत करना है. कुछ मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने इस कानून का विरोध भी किया था.
नए वक्फ कानून की संवैधानिकता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दर्जन भर याचिकाएं दाखिल भी की गईं थीं. 15 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
नए कानून में जो प्रमुख बदलाव किए हैं, वे हैं - वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले उसका सत्यापन करना होगा, जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण और स्वामित्व निर्धारण का अधिकार मिल गआ है, वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य कर दिया गया है, बोर्ड और परिषद में कम से कम दो महिलाओं को शामिल करना जरूरी होगा, और विवाद की स्थिति में अब ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जा सकेगी, जो पहले संभव नहीं था.
5. जगदीप धनखड़ का इस्तीफा
जगदीप धनखड़ का देश के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा भी 2025 की अभूतपूर्व घटना है. 21 जुलाई को अचानक जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. अपने इस्तीफे की वजह जगदीप धनखड़ ने सेहत दुरुस्त न होना बताया, और फिर सीन से ही गायब हो गए.
उपराष्ट्रपति चुनाव की घोषणा होने तक विपक्ष लगातार सरकार को घेरता रहा, और सार्वजनिक रूप से जगदीप धनखड़ की गैर मौजूदगी पर सवाल खड़ा करता रहा. 12 सितंबर को नए उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कार्यभार संभाल लिया, और जगदीप धनखड़ से जुड़ा विवाद भी शांत हो गया.
6. वोट चोरी, SIR विवाद और चुनाव आयोग
विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में चुनाव आयोग के SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर खासा विवाद हुआ. बिहार के बाद पश्चिम बंगाल सहित देश के 12 राज्यों में SIR की प्रक्रिया चल रही है. और, धीरे धीरे ये प्रक्रिया पूरे देश में चलती रहेगी, जब तक पूरे देश की वोटर लिस्ट सही नहीं हो जाती.
चुनाव होने के चलते SIR का सबसे ज्यादा विरोध बिहार में देखा गया. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने बिहार में लंबी वोटर अधिकार यात्रा भी, ये बात अलग है कि कोई फायदा नहीं मिला. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने उसके बाद भी अपनी वोट-चोरी मुहिम जारी रखी है.
7. विवादों में ज्यूडिशियरी
2025 में देश की न्यायपालिका से जुड़ी कई घटनाओं ने सुर्खियां बटोरी. कुछ विवाद भी हुए और हाई कोर्ट के एक जज के खिलाफ विपक्षी नेताओं ने महाभियोग चलाने की मांग भी की गई है.
- 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तत्कालीन सीजेआई बीआर गवई पर एक वकील ने जूता फेंका था. वकील राकेश किशोर पर अवमानना का मुकदमा चलाए जाने की मांग हुई थी, लेकिन जस्टिस गवई एक्शन के पक्ष में नहीं थे. बार काउंसिल ने उनका लाइसेंस सस्पेंड जरूर कर दिया था, और बाद में सदस्यता खत्म कर दी.
- 14 मार्च को होली के दिन दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लग गई थी. फायर सर्विस की टीम जब आग बुझाने पहुंची तो जस्टिस वर्मा के बंगले के स्टोर रूम में बोरियों में भरे 500-500 रुपये के अधजले नोट मिले थे. 21 मार्च को जस्टिस वर्मा के बंगले से 15 करोड़ रुपये कैश मिलने की खबर आई थी.
- इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव अपने एक बयान के कारण काफी दिनों तक विवादों में बने रहे. विश्व हिन्दू परिषद के एक कार्यक्रम में यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर जस्टिस यादव का कहना था, 'हिन्दुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक के अनुसार ही देश चलेगा.'
- मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु के एक मंदिर में विशेष मौके पर हिंदू परंपरा के नाम पर दीपक जलाने का पक्ष लेते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया था. आदेश के तामील न होने पर अदालत ने अवमानना का आदेश भी जारी कर दिया था. ये सब इसलिए हुआ क्योंकि मंदिर से कुछ ही दूरी पर बने एक दरगाह के लोगों को मंदिर में दीया जलाना पसंद नहीं था.
हाई कोर्ट में आदेश जारी करने वाले जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ विपक्ष ने महाभियोग की मांग की, और करीब 100 सांसदों के हस्ताक्षर वाला एक ज्ञापन लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंपा है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन चाहते हैं कि जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग चलाया जाए.