मराठी भाषियों के हक की बात पर बनी शिवसेना के लिए भी 'मुंबई' मुद्दा कई बार काम आया. 1978 से 1985 तक जब शिवसेना लगातार चुनाव हार रही थी, तब 1985 के बीएमसी चुनाव के पहले तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री वसंत दादा पाटिल ने किसी भाषण में कहा कि मुंबई को महाराष्ट्र से तोड़ने की कोशिश हो रही है. शिवसेना ने इसी मुद्दे पर बीएमसी का चुनाव लड़ा. इस चुनाव ने शिवसेना को मुंबई की सत्ता तो दिलवा ही दी, साथ ही राजनीतिक पुर्नजन्म भी दे दिया.
हर देश 3% जैविक तत्व को एक न्यूनतम औसत निर्धारित कर सकता है और किसानों को वहां पहुंचने की आकांक्षा करने के लिए आकर्षक प्रोत्साहन दे सकता है. उद्योग और बिजनेस, किसानों के लिए द्वितीय स्तर के प्रोत्साहन के रूप में कार्बन क्रेडिट प्रणाली लागू कर सकते हैं.
भारत की महान शास्त्रीय संगीत परंपरा में संतूर एक अभिन्न अंग है लेकिन इस लोक वाद्ययंत्र को शास्त्रीय परंपरा के एक अहम वाद्य के रूप में स्थापित करने का श्रेय पंडित शिवकुमार शर्मा (Pandit Shivkumar Sharma) को जाता है.
प्रशांत किशोर अभी तक राजनीति के अखाड़े से बाहर खड़े होकर दांव लगाते थे. लेकिन अब उन्होंने अखाड़े की चौहद्दी पर नारियल फोड़ दिया है और मिट्टी उठा ली है.
सीएम योगी का दूसरा कार्यकाल शुरू हो चुका है. लेकिन अपने पहले कार्यकाल और उससे भी पहले की छवि से निकलकर योगी अब एक ज़्यादा वृहद् दायरे की राजनीति को साधते और बढ़ते प्रशासक के तौर पर नज़र आ रहे हैं.
महाराष्ट्र में शिवसेना के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं. पहले तो सिर्फ बीजेपी से चुनौती मिल रही थी, लेकिन अब सियासी पिच पर कई नए किरदार खड़े हो गए हैं. ये नए किरदार ही पार्टी के लिए सिरदर्दी बन रहे हैं.
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में शामिल होने से इनकार कर दिया है. उन्होंने खुद इसकी जानकारी एक ट्वीट के जरिए दी. वहीं, कांग्रेस ने भी बताया कि प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के ऑफर को ठुकरा दिया है और वो पार्टी में नहीं शामिल हो रहे हैं.
रामनवमी पूजा के बाद जेएनयू में वामपंथी संगठनों ने उन छात्रों को निशाना बनाना शुरू कर दिया जो एबीवीपी के कार्यकर्ता या हमदर्द हैं. उन्होंने छात्राओं या दिव्यांग छात्रों को भी जाने नहीं दिया.
एबीवीपी एक कहानी गढ़ रही है कि लेफ्ट से जुड़े छात्रों ने पूजा में बाधा डाली. यह सच्चाई से कोसों दूर है. एबीवीपी अभी तक इस दावे के समर्थन में एक भी सबूत पेश नहीं कर पाई है.
लोगों की एक पीढ़ी के रूप में हमने इस धरती से सबसे बड़ा निवाला खा लिया है. अभी, हम उस बच्चे की मिट्टी को खत्म कर दे रहे हैं, जिसे जन्म लेना बाकी है. मेरे लिए, एक अजन्मे बच्चे के भोजन को खाना, मानवता के प्रति अपराध जैसा महसूस होता है. हमें इसे पलटना होगा.
महाराष्ट्र की राजनीति में 'लाउडस्पीकर' सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. इस मुद्दे के केंद्र में खड़े हैं नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे. अब इस मुद्दे को उठाना उनकी राजनीतिक मजबूरी है या फिर वे किसी दूसरी रणनीति पर काम कर रहे हैं, आइए जानते हैं-
साल 2019 के नवंबर में 20 तारीख को शरद पवार संसद में प्रधानमंत्री मोदी अचानक मिले थे. तब भी अटकलों का बाजार काफी गर्म था. लेकिन उसके बाद जो महाराष्ट्र में हुआ, उसने राजनीतिक जगत में सबको हैरान कर दिया.
1990 तक महाराष्ट्र की तरह गुजरात में भी बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी थी. गुजरात में कांग्रेस और गैर-कांग्रेसी दबदबे के बीच बीजेपी नई और उभरती पार्टी रही. बीजेपी या जनसंघ का गुजरात में अभी अस्तित्व खत्म हो गया था लेकिन ऐसा भी नहीं था कि पार्टी अपने दम पर सरकार बना पाए.
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में बीजेपी के खिलाफ बाकी पार्टियों से एकसाथ आने की अपील की गई थी. सवाल उठता है कि अगर ऐसा गठजोड़ बनाना है तो क्या शिवसेना AIMIM के इस प्रस्ताव को स्वीकारेगी? जब सिर्फ BJP को सत्ता से दूर रखने के लिए शिवसेना ने महाराष्ट्र में कांग्रेस से हाथ मिला लिया तो AIMIM से परहेज क्यों?
महाशिवरात्रि पर, धरती के उत्तरी गोलार्ध की स्थिति ऐसी होती है कि वहां पर किसी इंसान में ऊर्जा का एक स्वाभाविक उफान आता है. इस दिन प्रकृति इंसान को उसके आध्यात्मिक शिखर की ओर धकेलती है. इस परंपरा में, इस रात का लाभ उठाने के लिए हमने एक उत्सव स्थापित किया जो रात भर चलता है.
Sadhguru article: अगर आप जागरूक और सचेतन हैं कि आपसे कहीं अधिक विशाल कोई चीज अभी कार्य कर रही है तो आप स्वाभाविक रूप से भक्त हैं. जब आप जागरूक हैं कि आपसे कहीं अधिक विशाल कोई चीज अभी आपके चारों ओर कार्य कर रही है तो कोई दूसरा तरीका नहीं है, आप भक्त होंगे.
25 साल राजनीति में बहुत बड़ा वक्त होता है. देश में शायद ही ऐसा कोई उदाहरण होगा जहां दो पार्टियां 25 साल तक चुनाव साथ में लड़ें. इसमें दो राय नहीं कि महाराष्ट्र में कांग्रेस का दबदबा शिवसेना-बीजेपी के साथ आने की वजह से ही घटा.
हिंदुस्तान के साथ ही दुनियाभर में मूंछों को आन बान शान से जोड़ा जाता रहा है. मूंछें हमेशा मर्दों की पहचान रही हैं. बीते दिनों मध्य प्रदेश में मूंछों की वजह से एक पुलिस कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया तो खबर सुर्खियों में आ गई. मामला मूंछों का था तो हवा और तेज हो गई. अंतत: कांस्टेबल को बहाल कर दिया गया.
बॉलीवुड अगर तीसरे नंबर पर आ गया है तो इसके पीछे की वजह समझना बहुत जरूरी है, चलिए दिमाग के सारे घोड़े दौड़ा लीजिए और याद करके बताइए कि आखिरी बार बॉलीवुड की बायोपिक या रीमेक को छोड़कर आपने कौन सी अच्छी हिंदी फिल्म देखी है? तो बॉलीवुड की मीनारों और मेहराबों को एक दफे नाप लीजिए.
मुझे नहीं पता “sulli” का क्या मतलब है. मुझे इतना पता था कि यह कुछ गंदा है. मैंने अपने एक दोस्त से पूछा. उसने बताया कि यह मुस्लिम महिलाओं को दी जाने वाली गाली है. मैंने यह सिर्फ जानकारी के लिए पूछा था, लेकिन अब डर के साये में जी रही थी.
आदित्य ठाकरे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उद्धव मुख्यमंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री का डेढ़ महीने से किसी खुले कार्यक्रम में ना दिखना अटकलों का बाजार गर्म कर रहा है. अगर समय पर हुए तो फरवरी 2022 में महाराष्ट्र में मुंबई समेत 12 महानगर पालिकाओं के चुनाव होने हैं.