चुनाव आयोग
भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India) एक संवैधानिक निकाय है, जो भारत के संविधान द्वारा देश में चुनाव कराने और विनियमित करने के लिए स्थापित किया गया था. चुनाव आयोग एक ऐसा अखिल भारतीय निकाय है जो केंद्र सरकार और राज्य सरकारों दोनों के लिए समान है.
लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधान सभाओं, राज्य विधान परिषदों और देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों का प्रशासन चुनाव आयोग करता है. चुनाव आयोग अनुच्छेद 324 के अनुसार संविधान के अधिकार के तहत काम करता है. एक संवैधानिक प्राधिकरण होने के नाते, चुनाव आयोग उन कुछ संस्थानों में से है जो देश की उच्च न्यायपालिका, संघ लोक सेवा आयोग और भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के साथ स्वायत्तता और स्वतंत्रता दोनों के साथ काम करते हैं. यह एक स्थायी संवैधानिक निकाय है (Election Commission, Permanent Constitutiona Body ).
चुनाव आयोग की स्थापना 1950 में हुई थी (Foundation of Election Commission).16 अक्टूबर 1989 को पहली बार आयोग में दो अतिरिक्त आयुक्त नियुक्त किए गए थे, लेकिन उनका कार्यकाल बहुत कम था. "चुनाव आयुक्त संशोधन अधिनियम, 1989" 1 जनवरी 1990 को अपनाया गया था जिसने आयोग को एक बहु-सदस्यीय निकाय में बदल दिया. तब से यह 3 सदस्यीय आयोग के तौर पर कार्य कर रहा है. आयोग द्वारा निर्णय बहुमत से किए जाते हैं (Election Commission Officers).
चुनाव आयोग सचिवालय नई दिल्ली (New Delhi) में स्थित है (Election Commission Secretariat). चुनाव आयुक्त और उप चुनाव आयुक्त (Deputy Election Commissioners, IAS Officer), आम तौर पर आईएएस अधिकारी होते हैं. उनके साथ महानिदेशक, प्रमुख सचिवों और सचिवों और अवर सचिव कार्य करते हैं.
राज्य स्तर पर, चुनाव आयोग को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सहायता करते हैं, जो प्रमुख सचिव रैंक का एक आईएएस अधिकारी होता है. जिला और निर्वाचन क्षेत्र के स्तर पर, जिला मजिस्ट्रेट, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी और रिटर्निंग अधिकारी चुनाव कार्य करते हैं (Election Commissioners perform Election work).
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा है कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मतदाता सूची का पारदर्शी होना जरूरी है और इसमें केवल भारतीय नागरिकों के नाम होने चाहिए. उन्होंने बताया कि देश के 12 राज्यों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का काम चल रहा है और अब तेलंगाना में भी यह प्रक्रिया शुरू होगी.
पुदुचेरी में नई ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की गई है, जिसमें एसआईआर के तहत 1.03 लाख से ज्यादा नाम हटाए गए हैं. मृत, माइग्रेट और डुप्लीकेट वोटरों की पहचान के बाद कुल मतदाता संख्या 10.21 लाख से घटकर 9.18 लाख रह गई.
केरल में एसआईआर प्रक्रिया के तहत वोटर लिस्ट के डिजिटलीकरण का 99.99 प्रतिशत काम पूरा हो गया है. करीब 25 लाख मृत और अनुपस्थित मतदाताओं के नाम हटाए जाएंगे. 11 जिलों में काम पूरा हो गया है.
चुनाव आयोग ने तमिलनाडु के 39 राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द किया. इन 39 दलों ने अपने खर्च की रिपोर्ट नहीं दी थी. वहीं, दिशा पाटनी के घर फायरिंग की सूचना के बाद मुंबई में सुरक्षा बढ़ाई गई. देखें बड़ी खबरें.
वोटर लिस्ट SIR को लेकर लगाए गए आरोप और किए गए दावों से जमीनी हकीकत एकदम उलट है. SIR को लेकर वोट चोरी और NRC कराने जैसे कई आरोप लगे, जो अब बेबुनियाद दिख रहे हैं. बीजेपी ने SIR के जरिए घुसपैठियों को खदेड़ने का जो दावा किया था, वह भी खोखला दिखाई देता है.
पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत अब तक 58 लाख से ज्यादा नामों को काट दिया आया है, जिनमें डुप्लिकेट, मृतक और स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाता शामिल हैं. वहीं करीब 1.36 करोड़ वोटरों की तकनीकी और मैनुअल जांच जारी है. अब अगले चरण में थ लेवल ऑफिसर्स (BLO) घर-घर जाकर नोटिस देंगे.
चुनाव आयोग आज असम, बंगाल, केरल और तमिलनाडु समेत कई राज्यों के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान का ऐलान कर सकता है. इस अभियान का उद्देश्य मतदाता सूचियों को अपडेट करना और कथित फर्जी वोटरों को हटाना है, जिसको लेकर देशभर में सियासी हलचल तेज हो गई है.
Election Commission Action: तमिलनाडु की 42 पार्टियों सहित देशभर की 474 राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल, 359 और पर लटक रही तलवार.
चुनाव आयोग ने तीन राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की. SIR के तहत 12.32 करोड़ मतदाता शामिल हुए. ASD श्रेणी में नामों की जांच जारी है, फाइनल लिस्ट अगले साल आएगी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर में मतदाता सूची से लगभग 45,000 नाम हटाए जाने के बाद सियासत गरमा गई है. तृणमूल कांग्रेस ने अब अपने बूथ लेवल एजेंटों को घर-घर जाकर सत्यापन करने का निर्देश दिया है ताकि किसी वैध वोटर का नाम न छूटे.
निर्वाचन आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत तीन राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी कर दी है, जिसमें 12.32 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल हैं. चुनाव आयोग के अनुसार यह संख्या 27 अक्टूबर की मतदाता सूची से 1 करोड़ कम है.
बंगाल में टीएमसी के एक पार्षद ने दावा किया है कि SIR ड्राफ्ट से उनका नाम हटा दिया गया है. पार्षद ने श्मशान घाट पहुंचकर कहा कि जब कागज पर मृत घोषित कर दिया ही गया है तो अंतिम संस्कार भी कर दिया जाए.
चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल, राजस्थान, गोवा, पुडुचेरी और लक्ष्यद्वीप की ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी कर दी है, जिसमें स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के तहत हटाए जाने वाले नामों की जानकारी भी शामिल है. जिन मतदाताओं का नाम सूची में नहीं है, वे 16 दिसंबर से 15 जनवरी 2026 तक दावा या आपत्ति दर्ज करा सकते हैं और अंतिम वोटर लिस्ट 14 फरवरी 2026 को जारी होगी.
राजस्थान में SIR के तहत मतदाता सूची का पहला ड्राफ्ट आज जारी होगा, जिसमें करीब 5.46 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 42.29 लाख नाम हटाए जाने की स्थिति सामने आएगी. ये नाम डुप्लीकेट एंट्री, स्थायी पलायन, पता बदलने या मृत्यु जैसे कारणों से चिन्हित किए गए हैं, हालांकि अंतिम फैसला सुनवाई के बाद ही होगा.
छत्तीसगढ़ के माओवादी प्रभावित इलाकों से 10–15 साल पहले विस्थापित हुए हजारों आदिवासी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के दौरान अपने वोटिंग अधिकार खोने के खतरे में हैं. शिकायत के मुताबिक बूथ लेवल अधिकारी उन्हें 'नॉन-रेजिडेंस' बताकर बिना नोटिस मतदाता सूची से हटा रहे हैं, जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 का उल्लंघन है.
चुनाव आयोग ने राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गोवा, पुडुचेरी और लक्ष्यद्वीप में मतदाता सूची की मसौदा सूची जारी कर दी है. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले 58 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट सूची से हटाने का प्रस्ताव है. प्रभावित मतदाता 16 दिसंबर 2025 से 15 जनवरी 2026 के बीच दावा या आपत्ति दर्ज करा सकते हैं.
Uttar Pradesh समेत 6 राज्यों में बढ़ी SIR की समयसीमा, चुनाव आयोग का बड़ा फैसला
चुनाव आयोग ने छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR फॉर्म जमा कराने की समय सीमा को एक बार फिर बढ़ा दिया है. इस फैसले से तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, अंडमान और निकोबार और उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को राहत मिलेगी.
चुनाव आयोग ऑफ इंडिया ने विशेष मतदाता सूची संशोधन अभियान 2026 के लिए डॉक्यूमेंट जमा करने की अंतिम तारीख को एक हफ्ते के लिए बढ़ा दिया है. इस विस्तार से उन छह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को राहत मिली है जहाँ यह लागू होगा. यह कदम लोगों को सही और आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने का अधिक समय देने के लिए उठाया गया है ताकि मतदाता सूची को पूर्ण और अपडेट रखा जा सके.
यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब सुप्रीम कोर्ट CIC और राज्य सूचना आयोगों में खाली पदों को भरने में हो रही देरी को लेकर लगातार सख्ती दिखा रहा है.
चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान लोकसभा में बोलते हुए कांग्रेस को आईना दिखाया. उन्होंने कहा कि आपने एयर स्ट्राइक, आर्टिकल 370 हटाने, राम मंदिर बनाने का विरोध किया. इस लिए आप चुनाव हारे. उन्होंने कहा कि हम तो आपसे लड़ते हुए आए हैं, हम डरने वाले नहीं हैं.