न्यायमूर्ति बीआर गवई (Justice BR Gavai) भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश रहें हैं. वे 23 नवंबर 2025 को रिटायर हुए. 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत भारत के नए CJI के रूप में शपथ लेंगे.
यह प्रस्ताव वर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा किया गया है, जो 13 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. परंपरा के अनुसार, पदस्थ मुख्य न्यायाधीश अपने उत्तराधिकारी के रूप में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के नाम की सिफारिश करते हैं.
भूषण रामकृष्ण गवई बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं और वर्तमान में महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर के कुलपति के रूप में कार्यरत हैं. इसके अलावा, वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के पदेन कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं.
गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को अमरावती में हुआ था. उनके पिता आरएस गवई रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई गुट) के नेता, पूर्व सांसद और राज्यपाल रह चुके हैं. उनके भाई राजेन्द्र गवई भी एक राजनेता हैं. उनका परिवार डॉ. भीमराव अंबेडकर से प्रेरित है और बौद्ध धर्म का पालन करता है.
गवई ने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की. उन्होंने बार राजा एस भोंसले (पूर्व महाधिवक्ता और हाईकोर्ट के न्यायाधीश) के साथ कार्य किया. 1987 से 1990 तक वे बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र वकालत करते रहे. 1990 के बाद वे मुख्य रूप से बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में वकालत करने लगे. उन्होंने संवैधानिक कानून और प्रशासनिक कानून के क्षेत्र में भी काम किया.
वे नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी अधिवक्ता रहे. उन्होंने SICOM, DCVL जैसे विभिन्न स्वायत्त निकायों और निगमों तथा विदर्भ क्षेत्र की कई नगरपालिका परिषदों की ओर से नियमित रूप से पैरवी की.
पूर्व सीजेआई जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंके जाने की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने याचिका दाखिल की है. इस तरह की घटना फिर से न हो, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट अब गाइडलाइंस जारी करेगा.
जतक 2025 में पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने न्यायपालिका से जुड़े विभिन्न सवालों पर अपनी राय साझा की. उन्होंने संविधानवाद, सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय, न्यायिक सक्रियता और फ्रीबीज जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से बात की. खासतौर पर मद्रास हाईकोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग की तैयारी को लेकर पूछे गए सवाल पर पूर्व सीजेआई ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की.
'एजेंडा आजतक 2025' में पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी.आर गवई ने भारत के संविधानवाद, सामाजिक-आर्थिक न्याय और न्यायिक सक्रियता पर विस्तार से चर्चा की है. उन्होंने सामाजिक मुद्दों जैसे फ्रीबीज के प्रभावों को भी समझाया. विशेष रूप से न्यायपालिका में पारदर्शिता लाने के सवाल पर उनका क्या कहना है? सुनिए.
पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी आर गवई ने एजेंडा आजतक 2025 में भारत के संविधान, सामाजिक और आर्थिक न्याय और न्यायिक सक्रियता पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए. उन्होंने फ्रीबीज पॉलिटिक्स और बुलडोजर एक्शन जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट किया. गवई ने न्यायपालिका की भूमिका को विस्तार से बताते हुए कहा कि कानून बनाना संसद का कार्य है, और न्यायालयों का मुख्य काम कानून की रक्षा करना है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व CJI बीआर ने अजेंडा आजतक के मंच से महत्वपूर्व बातें कही. उन्होनें जनता के विश्वास पर बात की और इस बात का जवाब भी दिया कि जनता को न्याय सिर्फ पैसे देकर मिलता है. उन्होनें कहा कि 'यह कहना गलत होगा, हम सबकी बात सुनते है. हम छोटे-छोटे केस भी लेते है.
चुनाव सुधारों (electoral reforms) पर संसद, न्यायपालिका, मीडिया और सड़क पर गहरा विमर्श हो रहा है. खासतौर पर चुनाव आयोग (Election Commission) की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठ रहे हैं कि इसके लिए चीफ जस्टिस या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की क्या भूमिका होनी चाहिए. पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया था, उसके बाद संविधान में संशोधन किया गया और नियुक्ति प्रक्रिया को निर्दिष्ट किया गया.
पूर्व CJI गवई ने बुलडोजर जस्टिस पर बयान दिया. एक अहम मामला है जिसपर कई राज्यों में कार्रवाई हो रही है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी के घर को नहीं तोड़ा जाना चाहिए. यदि ऐसा होता है तो यह न्यायालय के प्रति अवमानना माना जाएगा और अधिकारियों पर केस चलाया जाएगा. दोषी मिलने पर उनसे नुकसान की भरपाई की जाएगी.
एक बार फिर सज चुका है एजेंडा आजतक का महामंच. देश के सबसे विश्वनीय न्यूज चैनल आजतक के इस दो दिवसीय कार्यक्रम का ये 14वां संस्करण है. जिसके पहले दिन मंच पर विशेष तौर पर आमंत्रित थे- पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी.आर गवई . सेशन 'सामाजिक और आर्थिक न्याय –कानून और न्यायालयों की भूमिका' में उनसे हुई क्या खास बातचीत, जानने के लिए देखें ये पूरा सेशन.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने इंडिया टुडे/आजतक को दिए इंटरव्यू में जूता फेंकने जाने वाली घटना पर कहा कि मुझे हिंदू विरोध कहना पूरी तरह से गलत था और मुझे नहीं पता उस घटना के पीछे क्या मकसद था. उन्होंने ये भी कहा कि वह रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी पद स्वीकार नहीं करेंगे.
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने अपने आखिरी दिन कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम फैसले दिए लेकिन असली चुनौती उन्हें जमीन पर लागू कराने की है. दिल्ली प्रदूषण से लेकर आरक्षण और गवर्नर की भूमिका तक, गवई ने माना कि कोशिश तो की है… पर अमल कमजोर रहा. महिलाओं की नियुक्ति, कॉलिजियम और सोशल मीडिया पर भी उन्होंने खुलकर कहा.
चीफ जस्टिस बीआर गवई के कार्यकाल में कॉलेजियम ने हाई कोर्ट नियुक्तियों के लिए 129 नाम भेजे गए, जिनमें से 93 मंजूर हुए. इनमें SC, OBC, माइनॉरिटी और महिलाओं का प्रतिनिधित्व शामिल रहा. गवई ने अपने छोटे से कार्यकाल में कई अहम फैसले दिए.
जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को देश के 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में शपथ लेने वाले हैं. इस आयोजन में 6 देशों के जज शामिल होंगे. भारत में किसी CJI का ऐसा शपथ ग्रहण पहली बार होने जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक आधिकारिक दस्तावेज जारी कर बताया है कि CJI बी.आर. गवई के करीब छह महीने के कार्यकाल में कॉलेजियम ने हाई कोर्ट में नियुक्ति के लिए कुल 129 नाम केंद्र को भेजे, जिनमें से 93 को मंजूरी मिल चुकी है. इन सिफारिशों में 11 उम्मीदवार ओबीसी/पिछड़ा वर्ग समुदाय से, 10 अनुसूचित जाति से और 13 अल्पसंख्यक समुदायों से हैं, जबकि सूची में 15 महिला उम्मीदवारों को भी शामिल किया गया है.
CJI बीआर गवई ने अपने फेयरवेल कार्यक्रम में कहा कि नेमैं हमेशा मानता हूं कि सुप्रीम कोर्ट एक बहुत ही महान संस्था है और यह तभी सफल हो सकती है जब इसके सभी हिस्सेदार जैसे कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, बार, रजिस्ट्री और स्टाफ मिलकर काम करें. जैसा मैंने कल स्टाफ के सम्मान समारोह में कहा, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का चेहरा आम लोग केवल तभी देखते हैं जब कोई फैसला आता है.
सीजेआई बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. जस्टिस गवई ने एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित विदाई समारोह में अपने बचपन के दिनों को याद किया और खुद को सभी धर्मों में आस्था रखने वाला सच्चा सेक्युलर व्यक्ति बतया.
कई राज्यों ने समयसीमा के पक्ष में दलील दी, जबकि केंद्र ने कहा कि कोर्ट समयसीमा तय नहीं कर सकता, हालांकि गवर्नर बिलों को अनिश्चितकाल नहीं रोक सकते. दस दिनों की सुनवाई के बाद अब शीर्ष अदालत यह तय करेगी कि गवर्नर और राष्ट्रपति की बिल-संबंधी शक्तियों पर अदालत समयसीमा लागू कर सकती है या नहीं.
चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की घटना पर हाईकोर्ट ने कहा है कि कुछ घटनाएं सिर्फ निंदा तक सीमित नहीं होतीं. ये घटना वकील या जज समुदाय को ही आहत नहीं करती, बल्कि पूरे समाज को आहत करती है. हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की. जानिए- अदालत ने इस पर क्या कहा.
नई इमारत की लागत पहले लगभग ₹3,750 करोड़ आंकी गई थी, जो अब बढ़कर ₹4,217 करोड़ हो गई है. इस परिसर में 50 लाख वर्गफुट निर्माण क्षेत्र होगा और 3,750 कारों व 1,000 दोपहिया वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था होगी.
हिसार की गलियों से लेकर देश की सर्वोच्च अदालत तक का सफर तय करने वाले जस्टिस सूर्य कांत अब भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं. 24 नवंबर को वे शपथ लेंगे. शांत स्वभाव, बेबाक फैसलों और सामाजिक न्याय पर गहरी पकड़ के लिए मशहूर जस्टिस कांत का सफर इस बात की मिसाल है कि ईमानदारी और मेहनत से कोई भी अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अगले मुख्य न्यायाधीश के लिए जस्टिस सूर्यकांत के नाम का प्रस्ताव भेजा है. 53वें सीजेआई बनने जा रहे जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल 14 महीने का होगा
जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को CJI के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे. मौजूदा CJI के रिटायर होने की तारीख से एक महीने पहले उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश भेजने के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए यह सिफारिश भेजी गई है.