सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा जारी उस सर्कुलर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें उपायुक्तों को 31 जनवरी, 2023 तक रोशनी एक्ट के तहत राज्य में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था. हालांकि जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कोई लिखित आदेश पारित नहीं किया है.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र शासित प्रदेश से यह जरूर कहा कि फिलहाल किसी भी घर को ना गिराया जाए. पीठ ने जम्मू-कश्मीर सरकार के वकील से कहा कि हम आज कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं. आप अथॉरिटी को मौखिक रूप से किसी भी घर को नहीं गिराने का निर्देश दें. हम सामान्य तरीके से रोक नहीं लगाएंगे. हमारे आदेश से दूसरों को बेजा फायदा उठाने का अवसर नहीं मिलना चाहिए.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि कई आदिवासी ऐसी भूमि पर निवास कर रहे हैं. उन्होंने राहत के लिए अदालत का सहारा लिया है. जस्टिस शाह ने पूछा कि अगर स्टे दिया जाता है तो इससे जमीन हड़पने वालों को भी फायदा होगा?
केंद्र शासित प्रदेश की ओर से पेश वकील ने स्पष्ट किया कि सर्कुलर मुख्य रूप से रोशनी एक्ट के तहत चिह्नित भूमि पर केंद्रित है. उन्होंने आवेदकों के रहने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वो कैसे इससे सीधे प्रभावित हैं? कोर्ट ने कहा कि हमारे पास आवेदन दिया गया था, लेकिन इसमें यह भी उल्लेख नहीं है कि आवेदक वहां रहते हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि उक्त भूमि में केवल दुकानें और प्रतिष्ठान हैं. इस टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई टाल दी.
31 जनवरी तक अतिक्रमण हटाने का आदेश
इस याचिका में जम्मू एवं कश्मीर सरकार से जारी उस सर्कुलर पर रोक लगाने की मांग की गई है, जिसमें रोशनी भूमि और कचहरी भूमि सहित केंद्र शासित प्रदेश के स्वामित्व वाली भूमि पर सभी अतिक्रमण को 31 जनवरी तक हटाने का निर्देश दिया गया है.