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Ram Mandir प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने पर Imam Umer Ahmed के खिलाफ फतवा, बोले- मुझसे नफरत करने वाले पाकिस्तान जाएं

22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने की वजह से ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी के खिलाफ फतवा जारी किया गया है. इसको लेकर उन्होंने कहा है कि जो लोग समारोह में शामिल होने की वजह से मुझसे नफरत करते हैं, वो पाकिस्तान चले जाएं. मैंने कोई गुनाह नहीं किया.

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प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए इमाम उमेर अहमद इलियासी के खिलाफ फतवा. (फाइल फोटो)
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए इमाम उमेर अहमद इलियासी के खिलाफ फतवा. (फाइल फोटो)

22 जनवरी को अयोध्या में नव निर्मित राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. इस समारोह में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी भी पहुंचे थे. वो वीवीआईपी मेहमानों में शामिल थे. अब उनके खिलाफ फतवा जारी किया गया है. इसको लेकर उन्होंने दो टूक जवाब भी दिया है. 

अपने खिलाफ जारी फतवा को लेकर उमेर अहमद ने कहा, 'मुख्य इमाम के रूप में मुझे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट से निमंत्रण मिला था. दो दिन तक विचार करने के बाद अयोध्या जाने का फैसला किया था. फतवा कल जारी किया गया था लेकिन मुझे 22 जनवरी की शाम से धमकी भरे कॉल आ रहे हैं'.

ये भी पढ़ें- कौन हैं रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में पहुंचे ये मुस्लिम धर्मगुरु? जो साधु-संतों के बीच आए नजर और PM मोदी ने किया अभिवादन
 

'जो लोग मुझसे नफरत करते हैं, पाकिस्तान चले जाएं'

उन्होंने आगे कहा, 'मैंने कुछ कॉल रिकॉर्ड किए हैं, जिनमें कॉल करने वालों ने मुझे जान से मारने की धमकियां दी हैं. जो लोग मुझे और देश से प्यार करते हैं, वो मेरा समर्थन करेंगे. जो लोग समारोह में शामिल होने की वजह से मुझसे नफरत करते हैं, वो पाकिस्तान चले जाएं. मैंने प्यार का पैगाम दिया है. कोई गुनाह नहीं किया. मैं माफी नहीं मांगूंगा और न ही इस्तीफा दूंगा. धमकी देने वाले जो चाहें कर सकते हैं'.

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फतवे में उमेर अहमद को लेकर कही गई ये बातें

फतवे में कहा गया है, 'राम मंदिर जाने से पहले और अपना बयान देने से पहले क्या यह ख्याल नहीं आया कि तुम मौलाना जमील इलियासी के बेटे और मेवात के जाने-माने उपदेशक परिवार से हो? अरे नादान, तुम कब से इमामों के सरदार बन गए? हिंदुओं की नजर में अच्छा बनना था. हिंदुओं को खुश करने के लिए गए थे'. 
 
'कोई भी इंसान तब तक सच्चा मुसलमान नहीं बन सकता जब तक उसके अंदर पूरी इंसानियत न हो. फिर यह कहना कि सबसे बड़ा धर्म मानवता है, इसकी इजाजत कहां तक दी जा सकती है? सम्मान पाने के लिए मंदिर के उद्घाटन में क्यों शामिल हुए?. इतना ही नहीं इस फतवे में इमाम के खिलाफ कई और व्यक्तिगत टिप्पणियां भी की गई हैं. साथ ही उनके इमाम होने पर सवालिया निशान भी उठाया गया है'.

इससे पहले 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में पहुंचे डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी ने कहा था, 'यह बदलते भारत की तस्वीर है. आज का भारत नवीन और उत्तम है. मैं यहां पैगाम ए मोहब्तत लेकर आया हूं. इबादत के तरीके और पूजा पद्धति अलग हो सकती है. हमारी आस्थाएं जरूर अलग हो सकती हैं, लेकिन हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसान और इंसानियत का है. आइए, हम सब मिलकर इंसानियत को बरकरार रखें'. 

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बताते चलें कि मुस्लिम धर्मगुरु डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी अखिल भारतीय इमाम संगठन ( AIIO) के मुख्य इमाम हैं. इलियासी को अखिल भारतीय इमाम संगठन भारत के 5 लाख इमामों और करीब 21 करोड़ भारतीय मुसलमानों के धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक माना जाता है.

उमर अहमद इलियासी इमाम संगठन का वैश्विक चेहरा हैं. धर्म, आध्यात्मिकता और अंतरधार्मिक संवाद के सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर संगठन का प्रतिनिधित्व करते हैं. हाल ही में डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी को पंजाब की देश भगत यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी की उपाधि से सम्मानित किया था. यह पहली बार है कि किसी मस्जिद के इमाम को शिक्षा के सर्वोच्च पद से सम्मानित किया गया.

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