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फ्लैश फ्लड की वजह से पहले भी आ चुकी उत्तराखंड में तबाही, कैसे इसके आगे सारी तैयारियां धरी रह जाती हैं?

उत्तराखंड के धराली में फ्लैश फ्लड के कारण भारी तबाही मची हुई है. दर्जनों लोग लापता हो चुके, जिसमें सेना के जवान भी शामिल हैं. फिलहाल राहत कार्य जारी है. फ्लैश फ्लड्स बाढ़ का सबसे खतरनाक रूप है, जो कुछ घंटों के भीतर ऐसा विकराल हो जाता है कि संभलने का मौका तक न मिले. पहले भी आफत का ये रूप दिखता रहा है.

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उत्तराखंड का धराली गांव कुदरती आपदा का शिकार हो गया. (Photo- Reuters)
उत्तराखंड का धराली गांव कुदरती आपदा का शिकार हो गया. (Photo- Reuters)

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मंगलवार दोपहर बड़ा हादसा हुआ. गंगोत्री के पास हर्षिल में बादल फटने से खीर गंगा नदी में फ्लैश फ्लड आ गया. पानी के रेले ने धराली गांव को लगभग पूरी तरह खत्म कर दिया. इस बीच फ्लैश फ्लड पर बात हो रही है. उत्तराखंड में कई बार इसकी वजह से तबाही मच चुकी. फ्लड्स की बाकी किस्मों से ये ज्यादा खतरनाक और अनप्रेडिक्टेबल है, जो देखते ही देखते सामने आया सब कुछ लील लेता है. इसके आने का अक्सर एक्सपर्ट भी अंदाजा नहीं लगा पाते हैं.

सबसे पहले तो जानते हैं उत्तराखंड में आए पिछले कुछ फ्लैश फ्लड्स के बारे में. 

- इसी साल जून के आखिर में यमुनोत्री नेशनल हाइवे पर बादल फटने से ये फ्लड आ गया, जिसमें कई लोग लापता हो गए. भयावह को टालने के लिए चारधाम यात्रा एक दिन के लिए रोकनी पड़ गई. 

- पिछले साल अगस्त में केदारनाथ घाटी में क्लाउडबर्स्ट की वजह से बाढ़ आ गई. स्थिति इतनी भयावह थी कि मूवमेंट अस्थाई तौर पर रोकनी पड़ गई. 

- पिथौरागढ़ के धारचूला में सितंबर 2022 में फ्लैश फ्लड्स आए. इससे काली नदी में बाढ़ आ गई और कई मकान-दुकानें बह गईं. 

- अगस्त 2022 में देहरादून, तेहरी और पौड़ी में बादल फटने के बाद फ्लैश फ्लड ने तबाही मचा दी. पुल ढह गए और पानी तपकेश्वर मंदिर की गुफाओं तक पहुंच गया था. हालांकि सैन्य सुरक्षा की वजह से जान-माल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ. 

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फिलहाल उत्तराखंड के हाल खराब हैं. उफनती नदियों की वजह से कई मौतें हो गईं, जबकि बहुत से लोग लापता हैं. सबसे ज्यादा डर फ्लैश फ्लड की वजह से है. हर साल बारिश में कमोबेश यही हालात बनते हैं. तैयारियां धरी रह जाती हैं और बाढ़ से जान-माल का नुकसान होता रहता है. 

uttarakhand dharali cloudburst and flash floods (Photo- PTI)
धराली गांव में फ्लैश फ्लड के बाद राहत अभियान चल रहा है. (Photo- PTI)

आखिर क्या है फ्लैश फ्लड और क्यों खतरनाक

ये बाढ़ की वो किस्म है, जो एकदम से, बिना चेतावनी, लगभग बिना अनुमान के आती है. इसे प्लविएल फ्लड भी कहते हैं. मौसम विभाग या एक्सपर्ट ज्यादातर वक्त इसका पूर्वानुमान नहीं लगा पाते हैं कि ये कब और कहां आएगा और कितनी बर्बादी ला सकता है. 

सूखे इलाकों को भी घेर सकता है

फ्लैश फ्लड के साथ अलग बात ये है कि यह सिर्फ पहाड़ी जगहों तक सीमित नहीं, बल्कि बंजर जगहों पर भी इसका खतरा है. 
अगर किसी जगह लगातार या सामान्य से ज्यादा वक्त तक तेज बारिश हो, तब जमीन अतिरिक्त पानी को एब्जॉर्ब नहीं कर पाती. यही पानी बाढ़ में बदल जाता है. फ्लैश फ्लड उन इलाकों में भी दिखता है, जो दशकों तक सूखाग्रस्त रहे हों. ऐसी जगहों की जमीन पानी की कमी से बहुत सख्त हो चुकी होती है. बारिश में पानी सूख नहीं पाता, ऐसे में वॉटर लेवल बढ़ जाता है. यही फ्लैश फ्लड है. 

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घनी आबादी वाले इलाके या टूरिस्ट प्लेस, जहां नदियां, सड़कों से सटी होती हैं, वहां भी ये खतरा बना रहता है कि तेज बारिश या क्लाउडबर्स्ट में सैलाब आ जाए क्योंकि सड़कों की वजह से पानी जमीन में सूख नहीं पाता. 

uttarakhand cloudburst and flash floods (Photo- Pixabay)
जलस्तर बढ़ने के कई लेवल होते हैं, जिनकी मदद से वक्त रहते बचाव हो पाता है. (Photo- Pixabay)

हमारे यहां ये फ्लड कितना आम

केदारनाथ आपदा इसका बड़ा उदाहरण है. जून में उत्तराखंड में लगातार बारिश हो रही थी, इस दौरान ग्‍लेशियर पिघल गया और मंदाकिनी नदी का स्तर इतना बढ़ा कि केदारनाथ वैली को चपेट में ले लिया. इससे मची तबाही ने हजारों जानें ले लीं और हजारों लोग लापता हो गए. केरल में भी साल 2018 में फ्लैश फ्लड की वजह से भारी नुकसान हुआ था. 

और कितनी तरह की होती है बाढ़ 

बर्फ पिघलने या नदियों का स्तर बढ़ने पर जो बाढ़ आती है, उसे फ्लविअल या रिवर फ्लड कहा जाता है. इससे अक्सर बांध टूट जाते हैं और जान-माल का भारी नुकसान होता है. हालांकि राहत की बात ये है कि अक्सर इसका अनुमान वक्त रहते लगाया जा सकता है. असल में पानी का स्तर बढ़ने के कई संकेत होते हैं. जैसे ही पानी खतरे के निशान के आसपास पहुंचे, तुरंत अलर्ट आ जाता है. इसके साथ ही आसपास की आबादी हटा दी जाती है. या तेज बारिश का अनुमान होने पर भी पहले ही सावधानी रखी जाती है. 

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समुद्री किनारों पर भी खतरा

समुद्री इलाकों में भी बाढ़ आती है और भारी बर्बादी ला सकती है. इसे कोस्टल फ्लड कहते हैं. बारिश से इसका संबंध कम और हवा से थोड़ा ज्यादा है. तेज हवाएं चलने पर पानी की लहरें काफी ऊंची हो जाती हैं और तभी कोस्टल फ्लड्स दिखते हैं. लेकिन इस बाढ़ का भी अनुमान लगाना और बचाव कुछ आसान है. मौसम एक्सपर्ट हवा के बहाव को देखते हुए बता पाते हैं कि इससे कितना नुकसान हो सकता है. 

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