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Exit Poll and Opinion Poll: वोटिंग के बाद ही क्यों जारी होता है एग्जिट पोल? जानें ओपिनियन पोल से कितना अलग

आज 1 जून को लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम चरण के मतदान के कुछ समय बाद विभिन्न एजेंसियों द्वारा एग्जिट पोल जारी किए जाएंगे. आइए जानते हैं कि एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में क्या अंतर होता है और इसे वोटिंग के बाद ही क्यों जारी किया जाता है.

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Lok Sabha Election 2024
Lok Sabha Election 2024

आज यानी 1 जून को लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम चरण के मतदान के बाद एग्जिट पोल जारी किए जाएंगे. एग्जिट पोल में चुनाव परिणाम का अनुमान लगाया जाता है. हालांकि, कई बार एग्जिट पोल के नतीजे विफल भी हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि एग्जिट पोल क्या होते हैं और ये ओपिनियन पोल से है कितना अलग हैं और मतदान के बाद ही क्यों जारी होता है. 

What is Exit Poll: क्या होता है एग्जिट पोल?

एग्जिट पोल एक चुनावी सर्वे है. मतदान के दिन तमान न्यूज चैनल और एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियां मतदान केंद्रों पर मौजूद होते हैं. मतदान करने के बाद मतदाताओं से चुनाव से जुड़े कुछ सवाल पूछते हैं और उनके जवाब के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाती है. इस रिपोर्ट के आंकलन से पता चलता है कि मतदाताओं का रुझान चुनाव में किस तरफ है. एग्जिट पोल सर्वे में सिर्फ मतदाताओं को शामिल किया जाता है.

Exit Poll and Opinion Poll: वोटिंग के बाद ही क्यों जारी होता है एग्जिट पोल? जानें ओपिनियन पोल से कितना अलग

एग्जिट पोल से कितना अलग है ओपिनियन पोल?

ओपिनियन पोल भी एक चुनावी सर्वे है, मगर इसे चुनाव से पहले किया जाता है. इसमें सभी लोगों को शामिल किया जाता है. इसमें मतदाता होने की शर्त अनिवार्य नहीं है. इस सर्वे में विभिन्न मुद्दों के आधार पर क्षेत्रवार जनता के मूड का अनुमान लगाया जाता है. जनता को कौन सी योजना पसंद है या नापसंद है. किस पार्टी से कितना खुश है, इसका अनुमान ओपिनियन पोल से लग जाता है.

वोटिंग के बाद ही क्यों जारी होता है एग्जिट पोल?

चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद कोई भी एग्जिट पोल या सर्वे जारी नहीं किया जा सकता है. इन्हें अंतिम चरण के मतदान के बाद शाम को वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद ही एग्जिट पोल जारी किया जा सकता है. बता दें कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 126 ए के तहत अंतिम चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद तक एग्जिट पोल जारी करने पर रोक है. वहीं, इसका उल्लंघन करने पर दो साल कारावास, जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है.

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भारत निर्वाचन आयोगन साल 1998 में पहली बार एग्जिट पोल की गाइडलाइंस जारी की थी. वहीं, साल 2010 में 6 राष्ट्रीय और 18 क्षेत्रीय दलों के समर्थन के बाद धारा 126 ए के तहत मतदान के दौरान एग्जिट पोल जारी करने पर रोक लगाई गई थी. आपको बता दें कि ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल जारी करते समय सर्वे एजेंसी का नाम, कितने मतदाताओं से और क्या सवाल पूछे गए यह सब बताना अनिवार्य होता है. 

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