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बरेली में धर्मांतरण गिरोह का भंडाफोड़, फर्जी मदरसे से फंडिंग का खुलासा

बरेली में धर्मांतरण गिरोह के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. गिरोह से जुड़ा मदरसा अपंजीकृत निकला और उसका इस्तेमाल केवल फंडिंग के लिए किया जा रहा था. मास्टरमाइंड अब्दुल मजीद समेत चार लोग गिरफ्तार हुए हैं. पुलिस ने 21 बैंक खातों से 13 लाख रुपये से ज्यादा के लेन-देन का पता लगाया और नेटवर्क 14 राज्यों तक फैला पाया.

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14 राज्यों के 29 जिलों में फैला है नेटवर्क- (Photo: Representational)
14 राज्यों के 29 जिलों में फैला है नेटवर्क- (Photo: Representational)

बरेली में हाल ही में पकड़े गए धर्मांतरण गिरोह की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस ने बताया कि गिरोह से जुड़ा मदरसा असल में अनरजिस्टर्ड था और उसका इस्तेमाल सिर्फ फंडिंग के लिए किया जा रहा था. पुलिस को शक है कि मदरसे का इस्तेमाल पढ़ाई-लिखाई के नाम पर अवैध गतिविधियों को चलाने के लिए किया गया.

एसपी (दक्षिण) अंशिका वर्मा ने बताया कि संस्था को सोसाइटी के तौर पर रजिस्टर किया गया था, लेकिन उसका नवीनीकरण नहीं कराया गया. इसके बावजूद इसे मदरसे की तरह चलाया जा रहा था. पुलिस ने संकेत दिए हैं कि इस इमारत को गिराने की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है.

गिरोह का मास्टरमाइंड अब्दुल मजीद
गिरोह का मास्टरमाइंड अब्दुल मजीद बताया जा रहा है, जिसने इस मदरसे का संचालन किया. पुलिस ने पिछले हफ्ते मजीद समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था. इन पर आरोप है कि ये लोग हिंदुओं को शादी और पैसों का लालच देकर धर्मांतरण कराते थे. पुलिस ने इस मदरसे से एक युवक को भी छुड़ाया था, जिसे जबरन धर्मांतरण और शादी के लिए बंधक बनाकर रखा गया था.

जांच में खुलासा हुआ कि गिरोह का नेटवर्क बरेली तक ही सीमित नहीं था, बल्कि 14 राज्यों के 29 जिलों में फैला हुआ था. गिरोह ने मदरसा फंडिंग के नाम पर दान इकट्ठा कर लाखों रुपये का लेन-देन किया.

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21 बैंक खातों का पता लगा
पुलिस ने चारों आरोपियों से जुड़े 21 बैंक खातों का पता लगाया है. इनमें से पांच खाते अब्दुल मजीद और उसकी पत्नी के नाम पर हैं, जिनमें हाल के महीनों में करीब 2,000 ट्रांजैक्शन के जरिए 13 लाख रुपये से ज्यादा का लेन-देन हुआ. एक अन्य आरोपी सलमान के पास 12 बैंक खाते मिले. छह उसके नाम और छह उसकी पत्नी के नाम पर. जबकि अरीफ और फहीम के पास दो-दो खाते हैं.

एसपी अंशिका वर्मा ने कहा कि पूछताछ के दौरान साफ हुआ कि फंडिंग एक सोसाइटी के जरिए की गई थी, जिसका नवीनीकरण नहीं हुआ था. मदरसे से जुड़े कोई वैध दस्तावेज भी नहीं मिले. पुलिस अब संबंधित विभागों के साथ मिलकर आगे की कार्रवाई कर रही है और गिरोह के आर्थिक व ऑपरेशनल नेटवर्क की गहन जांच कर रही है.

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