पहाड़
एक पहाड़ (Hill), एक भू-आकृति है जो आसपास के इलाके से ऊपर फैली हुई होती है. अक्सर इसका एक अलग शिखर या चोटी होता है.
भूगोलवेत्ताओं (Geographers) ने ऐतिहासिक रूप से पहाड़ों को समुद्र तल से 1,000 फीट (304.8 मीटर) से अधिक की पहाड़ियों के रूप में माना है. यू.एस. ने भी एक पहाड़ को 1,000 फीट (304.8 मीटर) या उससे अधिक लंबा होने के रूप में परिभाषित किया. इस ऊंचाई से कम किसी भी समान भू-आकृति को पहाड़ी माना जाता था. हालांकि, संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने निष्कर्ष निकाला है कि इन शर्तों की वास्तव में यू.एस. में तकनीकी परिभाषाएं नहीं हैं (Definitions of Hill).
पहाड़ियों का निर्माण भू-आकृतिक घटनाओं के माध्यम से हो सकता है. फॉल्टिंग, बड़े भू-आकृतियों का इरोजन जैसे कि पहाड़ और ग्लेशियरों द्वारा सेडिमेंट यानी तलछट का जमाव. साथ ही, एक प्रक्रिया जिसे डाउनहिल क्रीप होती है जिसमें पहाड़ियों की गोल चोटियां, पहाड़ी को ढकने वाली मिट्टी और रेजोलिथ की गति के परिणामस्वरूप भी पहाड़ो की उंचाई बढ़ती है और नए पहाड़ों का निर्माण होता है (Making of a Hill).
पहाड़ो के रूप और निर्माण की विधि के आधार पर इसका वर्णन करने के लिए विभिन्न नामों का उपयोग किया जा सकता है. ऐसे कई नाम भौगोलिक क्षेत्र में इस्तेमाल हुए हैं, जो उस क्षेत्र के लिए एक प्रकार की पहाड़ी संरचना का वर्णन करते हैं. हालांकि यह नाम अक्सर भूवैज्ञानिकों द्वारा अपनाए जाते हैं और भौगोलिक संदर्भ में उपयोग किए जाते हैं (Hills,Various names by Geologists).
साल का अंत यात्रा के लिए बेहतरीन समय में से एक माना जाता है. अगर आप इस मौके को खास बनाना चाहते हैं, तो ऊटी की सैर एक शानदार विकल्प हो सकता है. IRCTC के जरिए आप अपने बजट के अनुसार पैकेज चुनकर यात्रा का आनंद ले सकते हैं. आइए जानते हैं इस टूर पैकेज की डिटेल.
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हर साल बारिश हिमालय की सच्चाई सामने रख देती है. करोड़ों खर्च कर बनाई सड़कें और पुल कुछ घंटों की बारिश में ढह जाते हैं. असली समस्या सिर्फ मौसम नहीं, बल्कि हमारी लापरवाही और गलत प्लानिंग है. जब तक हम समझदारी और टिकाऊपन के साथ निर्माण नहीं करेंगे, तब तक पहाड़ हमारी महत्वाकांक्षाओं को बार-बार बहा ले जाएंगे. वक्त आ गया है नई सोच और नए नैतिक ढांचे की.
झांसी की बेटी सोनिया कुशवाहा ने पर्वतारोहण में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है. 15 अगस्त को हिमाचल प्रदेश स्थित 20,219 फीट ऊंचे माउंट सिनकुन वेस्ट की चोटी पर पहुंचकर उन्होंने भारतीय तिरंगा फहराया.
ऑफिस के काम से ऊब गए हैं? क्यों न काम के साथ-साथ छुट्टियों का भी मजा लिया जाए? भारत में ऐसी कई खूबसूरत जगहें हैं, जहां आप प्रकृति के बीच बैठकर काम कर सकते हैं.
अगर आपको रोमांच का चस्का है और पहाड़ों पर घूमने का शौक है, तो भारत के ये 7 शानदार पहाड़ी रास्ते आपकी ट्रैवल लिस्ट में जरूर होने चाहिए. हर रास्ते का सफर थोड़ा मुश्किल है, लेकिन ये किसी कहानी की किताब से कम नहीं है.
धराली की आपदा हमें बताती है कि नदी की बनावट और भू-कटाव का विज्ञान कितना महत्वपूर्ण है. कॉनवेक्स साइड पर ज्यादा दबाव और कटाव ने तबाही मचाई, जबकि कॉनकेव साइड ने प्राकृतिक सुरक्षा दी. 54 करोड़ साल पुरानी ढीली मिट्टी, जलवायु परिवर्तन और मानवीय गलतियों ने मिलकर इस संकट को गहरा किया.
हिमालय के ऊंचे पहाड़ों में बसा लद्दाख, जो कभी प्राचीन सिल्क रूट का हिस्सा था. जलवायु परिवर्तन के कारण लद्दाख में याकों की संख्या कमी आ रही है. याकों को को चराना, दूध दुहना और ऊन इकट्ठा करना लद्दाख के लोगों की जीवनशैली का हिस्सा है. तेज़ी से पिघलते ग्लेशियर, अनियमित बारिश और पहाड़ों पर घटती बर्फ से चरवाहों और उनके पशुओं, दोनों पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है.
सोलो ट्रिप आपको खुद से मिलने, अपनी ताकत को पहचानने और दुनिया को अपनी शर्तों पर खोजने का मौका देती है. आखिर, अकेले घूमना क्यों इतना जरूरी है? यह एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब हर यात्री को खुद तलाशना चाहिए.
मंडी जिले के गोहर इलाके में बादल फटने की चार घटनाएं हुई हैं, जिनमें कई घरों को नुकसान पहुंचा है. कई लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन अब भी 10 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं. धर्मपुर इलाके में भी बादल फटने के बाद छह घर सैलाब में समा गए.
26 मई को इंसान की पकड़ से इतिहास फिसल गया था, जब साथी पर्वतारोही चार्ल्स इवांस और टॉम बॉर्डिलन चोटी के 300 फीट करीब पहुंच गए थे, लेकिन थकावट और खराब डिवाइस की वजह से उन्हें वापस लौटने पर मजबूर होना पड़ा.
29 जनवरी को हल्के पश्चिमी विक्षोभ ने उत्तर भारत के पहाड़ों पर दस्तक दी. हालांकि तीव्रता कम होने के चलते इसका असर बहुत ज्यादा नहीं रहा. इसके बाद 31 जनवरी से 2 फरवरी 2025 के बीच एक और पश्चिमी विक्षोभ आएगा. यह प्रणाली पहले की तुलना में थोड़ी अधिक प्रभावी होगी.
रिज के साथ लगता निचला क्षेत्र भी सिंकिंग जोन में आता है. इससे पहले, रिज के गेएटी थिएटर के सामने वाले हिस्से और तिब्बती मार्केट में भी भूस्खलन हो चुका है. इसी तरह लक्कड़ बाजार की ओर भी जगह-जगह सड़कों पर दरारें पड़ रही हैं.
आज यानी 30 जनवरी को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू-मनाली हाईवे पर पहाड़ दरकने की घटना दर्ज की गई.
उत्तराखंड के हरसिल की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें आप देख सकते हैं कि बर्फ से ढके पहाड़ कितने सुंदर लग रहे हैं.
देश में मानसून कहर बरपा रहा है. पहाड़ से लेकर मैदान तक आसमानी आफत बरस रही है. पहाड़ी इलाकों का हाल सबसे बेकार रहा जहां दो दर्जन से ज्यादा मौतें हो गईं. एक तो बारिश और ऊपर से लैंडस्लाइड ने काफी तबाही मचाई. देखें पहाड़ी शहरों की तबाही पर 'श्वेतपत्र'.
हर महीने आपको पाकिस्तान, जम्मू और कश्मीर, अफगानिस्तान या काराकोरम बेल्ट में भूकंप की खबरें मिलती हैं. वजह ये है कि हिमालय अब भी अपनी ऊंचाई बढ़ा रहा है. ऊंचाई बढ़ने और भूकंप आने की वजह है भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट की टक्कर. जो लगातार एकदूसरे को दबा रही हैं. या टक्कर मार रही हैं.
Luxury Cave Hotel In Desert: एक शख्स ने वीरान रेगिस्तान में अपने लिए एक गुफा खरीद ली. जब उसने गुफा खरीदी, तब कई लोगों ने उसका मजाक बनाया. मगर आज वो शख्स इसी के कारण करोड़पति बन गया है.
पृथ्वी पर सबसे ऊंचा पहाड़ माउंट एवरेस्ट है. लेकिन इससे तीन गुना बड़ा पहाड़ भी मौजूद है. सोचिए उस पहाड़ पर जाकर कैसा दिखेगा नजारा? क्या उस पहाड़ पर आजतक कोई गया है? उस पहाड़ के चारों तरफ का नजारा लाल रंग का है. असल में यह एक विशालकाय ज्वालामुखी है, जो किसी समय बहुत एक्टिव था.
अचानक आए एवलांच (Avalanche) में शख्स की जान चली गई. वो बर्फ की मोटी चादर में दब गया था. वहीं उसका साथी बुरी तरह घायल हो गया. हालांकि, उसकी जान बच गई है. उसको रेस्क्यू करने के लिए हेलिकॉप्टर की मदद लेनी पड़ी.