हिंदू पंचांग में अमावस्या (Amavasya) का दिन विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है. यह दिन उस समय को दर्शाता है जब चंद्रमा आकाश में पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है, और रात का अंधकार अपने चरम पर होता है. लेकिन इस गहरे अंधकार में भी श्रद्धा, साधना और आत्मचिंतन का उजाला छिपा होता है.
अमावस्या को पितरों को समर्पित दिन माना जाता है. इस दिन लोग तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. मान्यता है कि इस दिन किए गए कर्म पूर्वजों तक अवश्य पहुंचते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
कुछ विशेष अमावस्या तिथियों में सत्यनारायण अमावस्या, महालय अमावस्या (पितृपक्ष की अंतिम तिथि), माघ अमावस्या (गंगा स्नान और दान के लिए प्रसिद्ध), और आषाढ़ी अमावस्या (गुरु पूजा का विशेष महत्व) शामिल है.
अमावस्या के दिन नदियों, विशेषकर गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी आदि में स्नान करना पुण्यदायी माना जाता है. साथ ही दान, विशेष रूप से अन्न, वस्त्र और तिल, करने से पापों का क्षय होता है और आत्मा को शांति मिलती है.
चूंकि अमावस्या पर ऊर्जा का प्रभाव गहरा होता है, यह दिन साधना, ध्यान और आत्ममंथन के लिए श्रेष्ठ माना गया है. तांत्रिक साधनाओं और मंत्र सिद्धि के लिए भी यह रात विशेष होती है.
अंधकार के प्रतीक इस दिन पर दीपदान करना अज्ञान और भय को दूर करने का प्रतीक माना जाता है. कुछ लोग इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा करते हैं, ताकि नकारात्मक शक्तियों से रक्षा हो.
Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या का दिन पितरों की पूजा, तर्पण और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन की गई छोटी-सी गलती भी शुभ फल को कम कर सकती है. तो आइए जानते हैं कि पौष अमावस्या के दिन कौन सी गलतियां करने से बचना चाहिए.
Paush Amavasya 2025: मान्यताओं के अनुसार, पौष अमावस्या बहुत ही विशेष अमावस्या है. इस दिन पितरों की कृपा पाने, जीवन की बाधाओं को दूर करने और ग्रह दोष शांत करने का विशेष अवसर मिलता है. आइए जानते हैं कि पौष अमावस्या के दिन कौन से शुभ मुहूर्त और शुभ योग स्नान-दान होगा.
Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या पर पवित्र स्नान, काले तिल से तर्पण, ब्राह्मण भोजन और दान करना शुभ माना जाता है. इससे पितृदोष शांत होता है, पाप नष्ट होते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. इस दिन दान का खास महत्व है.
Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या का स्नान और दान 19 दिसंबर को किया जाएगा. इसी दिन शुक्र-गुरु की युति भी होने जा रही है जिससे षडाष्टक योग का निर्माण होगा. इस शुभ संयोग से कई राशियों की किस्मत चमकेगी.
Paush Amavasya:इस बार पौष अमावस्या 19 दिसंबर को पड़ रही है. यह अमावस्या बेहद शुभ योगों में पड़ रही हैं. इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है.
Paush Amavasya 2025: पौष महीने में पड़ने वाली अमावस्या बहुत खास मानी जाती है, कहते हैं पौष अमावस्या के दिन अगर मन से पितरों को प्रसन्न किया जाए तो पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सकता है.
Amavasya 2026: अमावस्या वह दिन होता है जब पितरों का तर्पण और स्नान-दान किया जाता है. चलिए अब जानते हैं साल 2026 में आने वाली अमावस्या की संपूर्ण लिस्ट.
Paush Amavasya 2025 Date: पौष माह की अमावस्या तिथि 19 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 20 दिसंबर की सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर होगा. ऐसे में पौष अमावस्या का व्रत 19 दिसंबर दिन शुक्रवार को रखा जाएगा.
Margashirsha Amavasya 2025: आज मार्गशीर्ष अमावस्या है. ज्योतिषविदों का कहना है कि इस अमावस्या पर शाम के समय एक दिव्य उपाय करने से शनि और राहु से जुड़ा संकट दूर किया जा सकता है. और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ाया जा सकता है.
Margshirsha Amavasya 2025: ज्योतिषियों के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या का महत्व कार्तिक मास में पड़ने वाली अमावस्या से कम नहीं होता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन बहुत ही खास होता है.
Margshirsha Amavasya 2025: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार अमावस्या तिथि का बड़ा महत्व बताया गया है. मार्गशीर्ष में आने वाली अमावस्या को अगहन अमावस्या कहा जाता है. यह अमावस्या कल मनाई जाएगी. ज्योतिषियों के अनुसार, मार्गशीर्ष अमवास्या के दिन कुछ गलतियां करने से बचना चाहिए.
Margshirsha Amavasya 2025: ज्योतिषियों के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या पर चंद्रमा मंगल की राशि में प्रवेश करने वाले हैं जिससे कुछ राशियों को सावधान रहने की सलाह दी जा रही है. आइए जानते हैं उन नकारात्मक राशियों के बारे में.
Margshirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या का यह संयोग केवल पूजा-पाठ का अवसर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करने वाला विशेष दिन माना गया है. इस अमावस्या में किए गए स्नान-दान, मंत्रजप और दीपदान को ऐसा कर्म बताया गया है जो जीवन की रुकी हुई ऊर्जा को गति देता है.
Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास में आने वाली अमावस्या तिथि है. अमावस्या वह दिन होता है जब चंद्रमा पूर्ण रूप से अदृश्य हो जाता है. इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक माना जाता है.
Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा और पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है. इस दिन स्नान, दान और पूजा से प्रसन्न होकर हमारे पितृ परिवार को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
दिवाली के अवसर पर पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 18 से 21 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति दी है, जिससे पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक परंपराओं के बीच बहस छिड़ गई है. पौराणिक कथाओं में पटाखों का उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन प्राचीन काल से आकाशदीप दान और उल्का दान जैसे अनुष्ठान होते रहे हैं.
दिवाली के उत्सव में रंगोली सजावट की प्राचीन परंपरा और आधुनिक बदलावों का समावेश है. पारंपरिक फूलों और पत्तियों की जगह अब रंगीन पाउडर और प्लास्टिक फूलों का उपयोग बढ़ा है. रंगोली न केवल सजावट का हिस्सा है, बल्कि पूजा पद्धति और सांस्कृतिक प्रतीकों से जुड़ी एक कला है. इसका इतिहास कामसूत्र और नारद शिल्प शास्त्र तक जाता है, जो इसे धार्मिक और सामाजिक महत्व प्रदान करता है.
दिवाली और महालक्ष्मी पूजा को लेकर कन्फ्यूजन के बीच पंडितों और ज्योतिषियों ने स्पष्ट किया है कि दीपोत्सव 20 अक्टूबर को ही मनाना शुभ है. शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि का प्रदोष काल पार करना आवश्यक है, जो 20 अक्टूबर को पूरा होता है जबकि 21 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष काल को पार नहीं करती.
2025 में दिवाली का मुख्य दिन 20 अक्टूबर है, जो अमावस्या तिथि के अनुसार निर्धारित हुआ है. इस बार दीपावली छह दिनों तक चलेगी क्योंकि तिथियों के कारण त्योहार का विस्तार हुआ है. 21 अक्टूबर को कोई मुख्य त्योहार नहीं है, जबकि गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को होगी.
दीपावली के दिन और दफ्तर की छुट्टियों को लेकर हर साल भ्रम की स्थिति बनती है क्योंकि चंद्र कैलेंडर की तिथि और ग्रेगेरियन कैलेंडर की तारीख में अंतर होता है. दीपावली अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है, जो इस साल 20 अक्टूबर को प्रदोष काल में पड़ रही है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक सोमवार, 20 अक्टूबर को दोपहर 03.45 बजे शुरू होगी, जो अगले दिन यानी मंगलवार, 21 अक्टूबर को शाम 05.50 बजे तक रहेगी. प्रदोष और निशीत काल के चलते ज्योतिषविद 20 अक्टूबर को दिवाली मनाना उचित मान रहे हैं.