दिवाली कब मनाई जाए, इसे लेकर कन्फ्यूजन है. हालांकि पंडितों-ज्योतिषियों और काशी विद्वत परिषद ने भी स्पष्ट कर दिया है कि दिवाली का दीपोत्सव और महालक्ष्मी पूजा 20 अक्टूबर को ही होगी फिर भी कुछ शहर-गांव और इलाके ऐसे हैं जो 21 अक्टूबर को दीपोत्सव मना रहे हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कासगंज में भी कुछ जगहों पर दिवाली उत्सव 21 अक्टूबर को मनाया जाने वाला है.
21 क्यों नहीं है लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ दिन?
लेकिन, 21 अक्टूबर को दीपोत्सव और लक्ष्मी पूजा के लिए सही समय क्यों नहीं है, इसके लिए शास्त्रों पर नजर डालें तो सटीक कारण निकल कर सामने आते हैं. इस बारे में पांडित्य और ज्योतिष के जानकार आचार्य हिमांशु उपमन्यु कहते हैं कि निर्णय सिन्धु, धर्म सिन्धु व्रतराज आदि के आधार पर व्रत-त्योहार आदि का विचार किया जाता है.
प्रदोष काल होना जरूरी
इसके अनुसार अगर दो दिन अमावस्या हो तो लक्ष्मी पूजन व दीपावली उस दिन मनानी चाहिए जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल को पार कर रात के एक घटी तक पहुंचती हो. जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल को पार करती है उसी दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाना चाहिए.
क्या होता है प्रदोषकाल
अब प्रश्न उठता प्रदोषकाल किस समय को कहते हैं? सूर्य अस्त के बाद तीन मुहूर्त के समय को प्रदोष काल कहा गया है, जो मोटे तौर पर 2 घंटे 24 मिनट के आस पास का समय होगा और 20 अक्टूबर को अमवस्या तिथि की शुरुआत दोपहर 2 बज कर 32 मिनट पर हो रही है, जिसके कारण इस दिन अमावस्या तिथि को प्रदोष काल और रात का समय दोनों ही मिल रहा है.
21 अक्टूबर को नहीं है अमावस्या और प्रदोष काल का संयोग
वहीं, 21 अक्टूबर को अमावस्या शाम बाद 4:26 मिनट तक ही है. पंचांग के आधार पर प्रमाणित है कि 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल को पार करना तो दूर उसे छू भी नहीं पा रही है. इसलिए 20 अक्टूबर को ही खुशियों और समृद्धि का उत्सव दीपावली मनानी चाहिए.
धनतेरस 18 अक्टूबर से दिवाली की शुरुआत
18 अक्टूबर 2025 को धनतेरस से दिवाली की शुरआत हो रही है. वैसे तो दीपोत्सव या दीपावली पांच दिनों का त्योहार है, लेकिन तिथि के बढ़ने के कारण इस बार दीपावली छह दिनों का त्योहार हो गया है. अभी तक बड़ा सवाल था कि 20 या 21 अक्टूबर में से दीपावली कब है? इसके समाधान में सामने आया है कि दीपावली इस बार 20 अक्टूबर को ही है.
ऐसा इसलिए, क्योंकि अमावस्या तिथि रात भर होनी चाहिए, जिसे निशीथ व्यापिनी अमावस्या कहते हैं और यह महानिशा पूजा के लिए जरूरी है जो दीपावली के दिन ही होती है. ये सभी संयोग 20 अक्टूबर की रात ही बन रहे हैं, इसलिए लक्ष्मी पूजा, प्रदोष काल का दीप पूजन और महानिशा पूजा ये सभी कुछ 20 अक्टूबर की शाम से रात तक हो जाएंगे.
21 अक्टूबर को क्या?
21 अक्टूबर को भी अमावस्या तिथि होने से इसका महत्व बढ़ जाता है. अमावस्या की तिथि शोधन और अध्यात्म की तिथि होती है. इसलिए अमावस्या के दिन नदी स्नान, गंगा स्नान की परंपरा रही है. इसके साथ ही इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है. उन्हें सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें, काले तिल का दान करें, वस्त्र और धन का दान करें. कार्तिक अमावस्या कि तिथि स्नान और दान की अमावस्या भी होती है. इस दिन शनिदेव पर तेल अर्पण करके ग्रह दोषों का असर कम किया जा सकता है.