स्विट्जरलैंड के ग्रीज ग्लेशियर की हालत बहुत खराब हो गई है. यह 5.4 km लंबा ग्लेशियर जलवायु परिवर्तन की वजह से तेजी से पिघल रहा है. स्विस ग्लेशियर मॉनिटरिंग सर्विस (ग्लैमॉस) ने कहा कि पूरे देश में बर्फ का पिघलाव अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है. ग्लैमॉस के डायरेक्टर मैथियास हस ने कहा कि यह एक मरता हुआ ग्लेशियर है. सिर्फ सितंबर 2025 तक के 12 महीनों में इसकी बर्फ की मोटाई 6 मीटर कम हो गई.
ग्रीज ग्लेशियर स्विट्जरलैंड के दक्षिणी कैंटन वेलिस में स्थित है. यह रिसर्च का केंद्र रहा है, लेकिन अब पीछे हट रहा है. 2000 से 2023 के बीच इसकी लंबाई 800 मीटर कम हो गई. 1880 के मुकाबले आज यह 3.2 किलोमीटर छोटा हो चुका है. औसत बर्फ की मोटाई अब सिर्फ 57 मीटर बची है.
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मई 2025 में इस ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा गिर गया, जिससे वेलिस कैंटन के ब्लैटेन गांव तबाह हो गया. यह हादसा ग्लेशियर पिघलाव की भयानक हकीकत दिखाता है. हस ने बताया कि 2022 और 2023 के लगातार सूखे सालों और 2025 की गर्म गर्मी ने इसे और बिगाड़ दिया. अप्रैल 2025 में भारी बर्फबारी से थोड़ी राहत मिली, लेकिन यह काफी नहीं थी.
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हस ने कहा कि गर्म गर्मियों के असर को रोकने के लिए हमें बहुत ज्यादा बर्फ चाहिए. लेकिन 2025 की गर्मी फिर से बहुत ज्यादा थी. ग्लेशियर के निचले हिस्सों में पांच सालों में ही बर्फ खत्म हो सकती है. ऊंचाई वाले हिस्सों (लगभग 3,000 मीटर पर) में 40-50 साल लगेंगे.
ग्लैमॉस के अनुसार 2016 से 2022 के बीच स्विट्जरलैंड के करीब 100 ग्लेशियर हमेशा के लिए गायब हो चुके हैं. देश में बर्फ का पिघलाव तेज हो रहा है, जो नदियों, पानी की आपूर्ति और पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है. ये ग्लेशियर पहाड़ी इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन का खतरा भी बढ़ा रहे हैं.

यह समस्या सिर्फ स्विट्जरलैंड की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की है. वर्ल्ड मेटियोरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएमओ) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 1990 के दशक से दुनिया के लगभग सभी इलाकों में बर्फ का नुकसान बढ़ गया है. इसका मुख्य कारण गर्मियों में तेज पिघलाव है.
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तीसरे साल लगातार हर बर्फीले इलाके (ग्लेशियर वाले क्षेत्र) में बर्फ का नुकसाल दर्ज किया गया. रिपोर्ट कहती है कि जलवायु परिवर्तन से गर्मियां और गर्म हो रही हैं, जिससे ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. आर्कटिक, अंटार्कटिका, हिमालय और आल्प्स जैसे इलाकों में यह असर साफ दिख रहा है.

हस जैसे विशेषज्ञों का कहना है कि हमें तुरंत कदम उठाने होंगे. ग्रीनहाउस गैसों को कम करना, गर्मियों में कूलिंग सिस्टम और ग्लेशियरों की निगरानी बढ़ाना जरूरी है. स्विट्जरलैंड पहले से ही ग्लैमॉस जैसे संगठनों से मॉनिटरिंग कर रहा है, लेकिन वैश्विक स्तर पर सहयोग चाहिए.
ग्रीज ग्लेशियर का पिघलाव हमें चेतावनी दे रहा है कि अगर हमने जलवायु परिवर्तन को न रोका, तो आने वाले सालों में और ज्यादा गांव, शहर और पारिस्थितिकी खतरे में पड़ जाएंगे.