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आतिशी को दिल्ली की कमान सौंपना अरविंद केजरीवाल के लिए कितना फायदेमंद | Opinion

आतिशी को दिल्ली का मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने काफी सोच समझ कर ही बनाया होगा - लेकिन सवाल ये है कि अरविंद केजरीवाल की आगे की राजनीति के लिए ये ‘आतिशी’ पारी कितनी फायदेमंद होने वाली है?

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आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने का अरविंद केजरीवाल को ज्यादा फायदा मिलता, अगर आम आदमी पार्टी के नेताओं की तरफ से उनको सरेआम कठपुतली नहीं बताया जाता.
आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने का अरविंद केजरीवाल को ज्यादा फायदा मिलता, अगर आम आदमी पार्टी के नेताओं की तरफ से उनको सरेआम कठपुतली नहीं बताया जाता.

अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को कमान तो मनीष सिसोदिया के जेल जाते ही सौंप दी थी, खुद जेल जाने के बाद तो भरोसा करना मजबूरी थी, लेकिन जेल से छूटने के बाद जिम्मेदारी को औपचारिक रूप दे देना ज्यादा महत्वपूर्ण है.

ऐसा लगता है, अरविंद केजरीवाल ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है, बशर्ते ये निशाना आने वाले दिनों में वास्तव में सटीक भी साबित हो. 

महिला मुख्यमंत्री होने के फायदे

अगर आतिशी की जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाया गया होता तो बीजेपी और कांग्रेस उसे भी वैसे ही टारगेट करते जैसे अरविंद केजरीवाल हरदम ही दोनो राजनीतिक दलों के निशाने पर होते हैं.

आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर अरविंद केजरीवाल ने विरोधियों के हमले की धार कम करने की कोशिश तो की ही है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल या मनीष सिसोदिया के मुकाबले आतिशी को निशाना बनाना विरोधियों के लिए थोड़ा मुश्किल तो होगा ही. 
 
अभी तो आतिशी पर हमले का बीड़ा स्वाति मालीवाल ने ही उठाया है. स्वाति मालीवाल तकनीकी तौर पर अब भी आम आदमी पार्टी की ही राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास में कथित हमले की घटना के बाद से अपने ही साथियों के खिलाफ हमलावर हो गई हैं. 

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स्वाति मालीवाल के आतिशी पर हमले के फौरन बाद ही आम आदमी पार्टी ने इस्तीफा मांग लिया है. स्वाति मालीवाल केस में आतिशी ही अब तक अरविंद केजरीवाल का पक्ष रखती आई हैं. स्वाति मालीवाल पर आतिशी ने ही आप का आधिकारिक स्टैंड भी बताया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि स्वाति मालीवाल बीजेपी के हाथों में खेल रही हैं. 

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी मनोज तिवारी, प्रवेश वर्मा और चुनावों में अनुराग ठाकुर जैसे नेताओं को मोर्चे पर लगाया था, लेकिन 2020 में वो फिर से भारी बहुमत से जीत गये. 

अब आतिशी के खिलाफ भी वही नैरेटिव गढ़ने की कोशिश चल रही है, जो अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली ही नहीं पंजाब में भी नाकाम हो चुकी है.
  
लोकसभा चुनाव के जरिये बीजेपी ने बांसुरी स्वराज को दिल्ली के मोर्चे पर तैनात किया है. दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी अब दिल्ली से संसद पहुंच चुकी हैं.

बांसुरी स्वराज आते ही अरविंद केजरीवाल पर हमलावर हो गई थीं, लेकिन आतिशी को टारगेट करना उनके लिए उतना आसान नहीं होगा - और चुनावों में अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी पिछले चुनावों की तरह कैंपेन करते हैं, तो अरविंद केजरीवाल जितना आसान तो नहीं ही होगा - आतिशी को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने का एक बड़ा फायदा तो अरविंद केजरीवाल के लिए यही होगा. 

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राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव के फायदे

मुख्यमंत्री बन जाने के बाद भी आतिशी के कामकाज में कोई खास अंतर नहीं आने वाला है. फर्क बस इतना होगा कि अब वो कैबिनेट की मीटिंग भी खुद ले सकेंगी और कोई भी फैसला लेने के लिए पहले की तरह अरविंद केजरीवाल की हस्ताक्षर का इंतजार नहीं करना होगा, लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं कि वो सब कुछ मनमाने तरीके से कर लेंगी - ये तो अभी से उनको साफ कर दिया गया है कि किसी भी मामले में नतीजे पर पहुंचने से पहले आतिशी को मंजूरी तो अरविंद केजरीवाल से लेनी ही होगी. 

देखा जाये तो आतिशी ने लंबा प्रशासनिक अनुभव हासिल कर लिया है. 2020 में पहली बार विधायक बनने के बाद 2023 में मनीष सिसोदिया के जेल चले जाने पर आतिशी को मंत्री बनाया गया - और अब अरविंद केजरीवाल के जेल से छूटने के बाद वो महज चार साल में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ रही हैं.

अरविंद केजरीवाल ने चार साल में ही वो सारी ही खूबियां हासिल कर ली हैं, जिनकी अरविंद केजरीवाल को दिल्ली विधानसभा चुनाव तक कदम कदम पर जरूरत पड़ने वाली है.

जिस तरीके से अरविंद केजरीवाल की गैरमौैजूदगी में आतिशी ने आगे बढ़ कर मोर्चा संभाला. अरविंद केजरीवाल का हर जगह बचाव किया. राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कड़े तेवर अपनाये रखा - और दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना और अफसरों से दो-दो हाथ करती रहीं, साफ है कि आतिशी ने अरविंद केजरीवाल की नजर में खुद को परफेक्ट साबित कर दिया है. 

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देखा जाये तो आतिशी की भूमिका तो रबर स्टांप सीएम वाली ही है, लेकिन रबर स्टांप जहां भी लगाना हो वहां ठीक से लगे, इसमें कोई शक नहीं होना चाहिये - आतिशी, अरविंद केजरीवाल के मन की हर बात को हकीकत में अमल में भी लाएंगी, इस बात की पूरी गारंटी लगती है.

कठपुतली सीएम बताने के फायदे? 

आतिशी को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया जाना अरविंद केजरीवाल के लिए और भी फायदेमंद हो सकता था, अगर आम आदमी पार्टी के सारे नेता एक स्वर में उनकी वैलिडिटी नहीं समझा रहे होते.

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