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चमोली में निर्माणाधीन वैली ब्रिज ढहा, फिर बढ़ीं ग्रामीणों की मुसीबतें

चमोली के थराली क्षेत्र में रतगांव को जोड़ने वाला 60 मीटर लंबा निर्माणाधीन वैली ब्रिज अचानक ढह गया, जिससे ग्रामीणों की बरसों पुरानी परेशानी फिर से सामने आ गई है. प्राणमती नदी पर बन रहा यह पुल पहले भी बह चुका था, और अब नई उम्मीद भी टूट गई. लापरवाही और तकनीकी अनुभव की कमी को लेकर लोक निर्माण विभाग पर सवाल खड़े हो गए हैं.

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निर्माणाधीन वैली ब्रिज ढहा
निर्माणाधीन वैली ब्रिज ढहा

उत्तराखंड के चमोली में रतगांव को जोड़ने के लिए प्राणमती नदी पर बन रहा निर्माणाधीन वैली ब्रिज अचानक ढह गया. 60 मीटर लंबे इस पुल के गिरने से न केवल करोड़ों रुपये की लागत पर पानी फिर गया, बल्कि ग्रामीणों की सालों पुरानी समस्या भी एक बार फिर जस की तस रह गई है.

गौरतलब है कि कुछ साल पहले प्राणमती नदी की चपेट में आकर यहां का पुराना मोटर पुल बह गया था, जिससे रतगांव और आसपास के क्षेत्रों का संपर्क पूरी तरह टूट गया. तब से स्थानीय लोग बारिश के मौसम में भारी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. हर बरसात में यह इलाका लगभग तीन महीने तक अलग-थलग पड़ जाता है, जिससे स्कूल, अस्पताल और आवश्यक सेवाएं प्रभावित होती हैं.

स्थानीय ग्रामीणों ने पिछले दो सालों से शासन और लोक निर्माण विभाग (PWD) के चक्कर काटे, जिसके बाद हाल ही में 60 मीटर लंबे वैली ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू किया गया था. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि जल्द ही यह पुल बनकर तैयार होगा और बरसात से पहले राहत मिलेगी, लेकिन गुरुवार को यह निर्माणाधीन पुल अचानक भरभराकर गिर गया.

इस हादसे के बाद लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं. स्थानीय लोगों का आरोप है कि विभाग में तकनीकी रूप से अनुभवहीन अधिकारियों की तैनाती की गई है, जिससे ऐसी लापरवाही हुई. ग्रामीणों ने मांग की है कि इस हादसे की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.

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रतगांव निवासी हरिश चंद्र ने बताया, 'हमने कई बार प्रशासन से निवेदन किया था कि यह इलाका संवेदनशील है, पुल का निर्माण मजबूत ढांचे और अनुभवी इंजीनियरों की निगरानी में हो. लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी. अब फिर से हम वहीं खड़े हैं, जहां दो साल पहले थे.'

वहीं, लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि घटना की जांच शुरू कर दी गई है और जल्द ही वैली ब्रिज का पुनर्निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा लेकिन ग्रामीणों की चिंता यह है कि आने वाली बरसात में फिर उन्हें तीन महीने तक गांव में ही कैद होकर रहना पड़ेगा. हालांकि अब इस पुल को बनाने वाले ठेकेदार के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज की गई है.


 

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